एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी के चेयरमैन दीपक एस पारेख ने कहा – भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में तेजी से बढ़ने की क्षमता

मुंबई20 जुलाई2021- एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी के चेयरमैन श्री दीपक एस पारेख ने शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा है कि भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में तेजी से बढ़ने की क्षमता है। पारेख ने कहा कि बीता हुआ वर्ष इतिहास में सबसे कठिन वर्षों में से एक माना जाएगा। एक ऐसी आपदाजिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया। कोविड -19 के कारण अर्थव्यस्था मे ंऐसे झटके पहले नहीं देखे गएइसके चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में भयंकर गिरावट दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था भी सिकुड़ कर 7.3 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। आर्थिक उदारीकरण के बाद इतनी गिरावट नजर नहीं आई थी। कोविड-19 की दूसरी लहर पहले की तुलना में काफी अधिक रही है और इसने वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही में अर्थव्यवस्था की रिकवरी को प्रभावित किया है।

उपभोक्ता भावनाओं पर प्रभाव की चिंता के बीच सवाल है कि क्या पिछले साल की तरह अर्थव्यवस्था की रिकवरी हो पाएगी। जितना तेज गति से हालात पहले जैसे होंगेआर्थिक गतिविधि उतनी ही तेजी से स्थिरता की ओर लौट आएगी।

श्री पारेख के अनुसारइस साल के अंत तक भारत में जनसंख्या के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण किया जा चुकेगा। जिससे रिकवरी में मदद मिलने की संभावना है। पूरे वर्ष के आधार पर देखा जाए तो समग्र आर्थिक प्रभाव बहुत खराब होने की आशंका नहीं है बशर्ते कोरोना की स्थिति बहुत ज्यादा न बिगड़ जाए। वित्त वर्ष 2021 की चैथी तिमाही में स्वस्थ निवेश वृद्धि और उच्च बजटीय आवंटन के माध्यम से पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने पर केंद्र सरकार का जोरबुनियादी ढांचे के वित्तपोषण तक पहुंच में सुधार आदि से भी अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में मदद मिलनी चाहिए। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए मेरी राय मेंअनुकूल आधार प्रभावसहायक राजकोषीय और मौद्रिक नीति और उत्साही वैश्विक वातावरण के कारण वित्त वर्ष 2022 में अर्थव्यवस्था में मजबूत प्रगति की संभावना है।

कोविड-19 के परिदृश्य में उद्योग का प्रदर्शन

म्यूचुअल फंड उद्योग का एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) वर्षवार 41 फीसदी बढ़कर 31.4 लाख करोड़ रुपए हो गया है। पिछले 5 वर्षों मेंम्यूचुअल फंड उद्योग एयूएम ने 20.6 फीसदी की सीएजीआर देखी है और इक्विटी-ओरिएंटेड एयूएम 25 फीसदी के सीएजीआर से बढ़ा है। उच्च वृद्धि के बावजूद भारत का म्यूचुअल फंड एयूएम टु जीडीपी अनुपात 75 फीसदी के वैश्विक औसत की तुलना में 15 फीसदी के रूप में काफी कम है। इसी तरहइक्विटी एयूएम टु मार्केट कैप 30 फीसदी के वैश्विक औसत के मुकाबले 5 फीसदी रहा। किसी भी तरह से भारत का म्यूचुअल फंड का प्रवेश स्तर अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी कम है। भारत में 50 करोड़ से अधिक आयकर स्थायी खाता संख्या (पैन) हैंलेकिन केवल 2.2 करोड़ म्यूचुअल फंड निवेशक हैं।

यह श्री पारेख के इस विश्वास की पुष्टि करता है कि इस उद्योग में तेजी से बढ़ने की क्षमता है। वे कहते हैं, ‘सेबी ने न केवल उद्योग को विनियमित करने के मामले में बल्कि विकास में सहायता के मामले में भी एक सराहनीय काम किया है। वैश्विक एजेंसियां भारत के म्यूचुअल फंड नियामक ढांचे की सराहना कर रही हैं और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के मामले में म्यूचुअल फंड उद्योग को शीर्ष पर मानती हैं। मुझे उम्मीद है कि हम इसका फायदा उठा सकते हैं और अपने घरेलू म्यूचुअल फंड को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए सुलभ बना सकते हैं। म्यूचुअल फंड योजनाओं के यूनिटधारकों के साथ प्रमुख कर्मचारियों के हितों को जोड़ने के संदर्भ में हालिया विनियमन सही दिशा में एक कदम है। मुझे बताया गया है कि विकसित देशों में भी इस तरह का विनियमन मौजूद नहीं है और मुझे उम्मीद है कि जहां तक नियामक वातावरण की बात हैउन्हें हमारा ही अनुसरण करना होगा। नियामक से सर्कुलर में कुछ संशोधन करने का अनुरोध किया गया है।

इस पर श्री पारेख का व्यक्तिगत रूप से मानना है कि कर्मचारियों को स्कीम के समूह का चयन करने के लिए अधिक लचीलापन मिलना चाहिए जो नियामक द्वारा निर्धारित 20 फीसदी की सीमा के भीतर अपने स्वयं के जोखिम प्रोफ़ाइल के आधार पर निवेश करना चाहते हैं। विभिन्न प्रकार के ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न म्यूचुअल फंड उत्पाद बनाए गए हैं।

उदाहरण के लिएलिक्विड और ओवरनाइट फंड बड़े कॉरपोरेट फंड या शॉर्ट टर्म सरप्लस वाले निवेशकों के लिए होते हैंजबकि दूसरी ओर सेक्टोरल या थीमैटिक फंड उच्च जोखिम वाले ग्राहकों के लिए या किसी खास रणनीति को लागू करने के लिए होते हैं। पारेख का यह भी मानना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति निधि और कर की कटौती के बाद 20 फीसदी की सीमा की गणना के मामले में नियामक बिल्कुल निष्पक्ष है। हालांकिप्रमुख कर्मचारियों को अपने जोखिम प्रोफाइल पर निर्णय लेने दें और संबंधित योजनाओं में आवंटित करें। साथ हीउन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वह नियामक से अनुरोध करना चाहते हैं कि वे कटौती के हिस्से के रूप में मोरगेज पेमेंट पर भी विचार करें। विशेष रूप से युवा कर्मचारियों के लिए बंधक भुगतान एक तरह का भौतिक एमाउंट है।

 

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