दिल्ली, 21 जुलाई, 2021- एलएसएसी ग्लोबल ने श्री आदित्य पानुगंती को इस वर्ष के शामनाद बशीर एक्सेस टू जस्टिस स्कॉलरशिप का विजेता घोषित किया है।
उनके निबंध, ‘एआई इन लॉ – ए केस ऑफ काॅशन’ को कुशलता से तैयार किया गया था और इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में बहुत ही विचारशील तर्क प्रस्तुत किए गए थे। इसमंे बताया गया था कि कैसे यह पूर्वाग्रह को कम नहीं करता है या न्याय तक पहुंच नहीं बढ़ाता है। श्री पानुगंती ने एआई से संबंधित विभिन्न उदाहरणों की सहायता और शोध संबंधी संदर्भों के माध्यम से कानून को लेकर एक व्यापक दृष्टिकोण पेश किया और इस प्रकार विजेता प्रविष्टि के रूप में अपने लिए जगह बनाई। इस स्कॉलरशिप में विजेता को ₹4 लाख का पुरस्कार मिलता है।
वर्ष 2020 में एलएसएसी ग्लोबल ने एक प्रभावशाली वकील और अग्रणी अकादमिक प्रोफेसर शामनाद बशीर की स्मृति में शामनाद बशीर एक्सेस टू जस्टिस स्कॉलरशिप की स्थापना की। प्रोफेसर शामनाद बशीर ने भारत में आईपी कानून और नीति के पाठ्यक्रम को आकार दिया। प्रो. बशीर ने कानूनी बिरादरी में विविधता बढ़ाने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए और आईडीआईए की स्थापना की। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा तक बेहतर पहुंच प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाता है। शामनाद बशीर एक्सेस टू जस्टिस स्कॉलरशिप एक निबंध प्रतियोगिता पर आधारित है, जिसके तहत एलएसएसी ग्लोबल एलायंस कॉलेज में प्रवेश लेने वाले पंजीकृत एलएसएटी-इंडिया उम्मीदवार की विजेता निबंध प्रविष्टि के लिए अधिकतम ₹4 लाख तक का पुरस्कार दिया जाता है।
एलएसएसी ग्लोबल को इस साल 260 निबंध प्रविष्टियों के साथ कानून की पढ़ाई के इच्छुक छात्रों की ओर से शानदार रेस्पाॅन्स मिला। जहां सभी प्रतिभागियों ने अपनी ओर से महत्वपूर्ण बिंदु और परिवर्तनकारी सुझाव प्रस्तुत किए, वहीं आदित्य ने पानुगंती ने एक संतुलित और बेहतर दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
शामनाद बशीर एक्सेस टू जस्टिस स्कॉलरशिप मिलने की खबर से उत्साहित आदित्य कहते हैं, ‘‘एलएसएटी-इंडिया ने मुझे जो अवसर दिया है, उसके लिए मैं आभारी हूं। शामनाद बशीर निबंध छात्रवृत्ति प्रतियोगिता में शामिल होना एक आनंददायक अनुभव रहा। इस प्रतियोगिता ने कानून के विषय के प्रति मेरे रुझान की पुष्टि की और मुझे अपनी योग्यता साबित करने का अवसर प्रदान किया।’’
इसके अतिरिक्त, एलएसएसी ग्लोबल ने उपविजेता सुश्री देवांगी दुबे (प्रथम रनर अप) और सुश्री दयानिता जी (सेकंड रनर अप) को उनके शानदार निबंधों के लिए बधाई दी। सुश्री देवांगी कहती हैं, ‘‘निबंध छात्रवृत्ति का विषय सुविचारित और प्रासंगिक था। मुझे इसके बारे में शोध करने और लिखने में बहुत मजा आया। एलएसएटी-इंडिया ने हमें जो बहुमूल्य सहायता प्रदान की, उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है।’’
इस स्पर्धा में सेकंड रनर अप का सम्मान हासिल करने वाली सुश्री दयानिता पूरे उत्साह के साथ एलएसएटी-इंडिया परीक्षा देने के अपने अनुभव को बयान करती हैं, ‘‘मुझे तकनीकी स्तर पर कोई कठिनाई नहीं हुई, क्योंकि पूर्व परीक्षण जांच और एक बहुत ही सहायक टीम ने मेरे प्रश्नों का जल्द से जल्द जवाब दिया। वास्तविक परीक्षण की बात करें तो यह तुलनात्मक रूप से माॅडरेट किस्म का था। सभी खंड बहुत ही रोचक थे और उनकी ओर पूरा ध्यान देने की आवश्यकता थी।’’
निबंध प्रतियोगिता का उद्देश्य भारत में विभिन्न सामाजिक आर्थिक समूहों में प्रतिभाशाली छात्रों के लिए कानूनी शिक्षा तक पहुंच के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष निबंध का विषय था- कानूनी पेशे पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रभाव और क्या यह न्याय को बढ़ावा देता है और समाज में विविधता को सपोर्ट करता है। प्रतिभागियों को इस दावे के पक्ष या विपक्ष में एक निबंध प्रस्तुत करना था कि ‘कैसे कानूनी पेशे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स की शुरूआत पूर्वाग्रह को कैसे कम करती है, न्याय तक कैसे पहुंच बढ़ाती है, और समाज में विविधता को कैसे बढ़ावा देती है?’
एलएसएसी के वाइस प्रेसीडेंट यूसुफ अब्दुल करीम ने कहा, ‘‘हम आदित्य को यह स्काॅलरशिप हासिल करने पर और देवांगी और दयानिता को अपनी बात रखने और आदित्य को कड़ी टक्कर देने के प्रयास के लिए बधाई देते हैं। हम सभी प्रतिभागियों को उनके निबंध प्रस्तुत करने के लिए पूरी गंभीरता से सराहना करते हैं। इस साल की प्रतियोगिता ने एक बार फिर यह बात साबित की कि आज के युवाओं में इस बात को लेकर गहरी जागरूकता है कि टैक्नोलाॅजी हमारे समाज को कैसे प्रभावित करती है और हमारे समाज के विविध वर्गों के लिए जीवन के मानकों में पर्याप्त सुधार लाने के लिए किस हद तक टैक्नोलाॅजी समाज का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।’’
निबंधों का मूल्यांकन मौलिकता, विषय की प्रासंगिकता, व्यापकता, संरचना, विश्लेषण, समझ, व्याख्या और कानूनी पेशे में विविधता के बारे में निष्कर्षों के आधार पर किया गया था। कानूनी बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने वाले न्यायाधीशों के एक सम्मानित पैनल ने प्रविष्टियों की समीक्षा की। पैनल मंे शामिल प्रतिष्ठित नाम इस प्रकार हैं-
– श्री अभिषेक दुबे पार्टनर, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी, एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स
– डॉ. अनंत पद्मनाभन, एसोसिएट प्रोफेसर और डीन, स्कूल ऑफ लॉ, साई विश्वविद्यालय
– एडवोकेट अंगेश पांचाल, स्वतंत्र लीगल प्रेक्टिशनर
– प्रो (डॉ.) कनुप्रिया, प्रोफेसर और एसोसिएट डीन, स्कूल ऑफ लॉ, सुशांत विश्वविद्यालय
– श्री काजिम रिजवी, संस्थापक निदेशक – द डायलॉग
– डॉ. नचिकेता मित्तल, विधि के प्रोफेसर और विधि संकाय में निदेशक, जागरण लेकेसिटी विश्वविद्यालय, संस्थापक – वर्चुअल लॉ स्कूल – ज्यूडिशियल प्रिपरेशन एंड एडवाइजरी सेंटर
– प्रो. पद्मनाभ रामानुजम, डीन, आईएफआईएम लॉ स्कूल
– प्रो. (डॉ.)आर. वेंकट राव, पूर्व कुलपति, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बैंगलोर
– श्री सुमीत मलिक, निदेशक, ईबीसी ग्रुप ऑफ कंपनीज
– श्री तनुज कालिया, संस्थापक सीईओ, लॉक्टोपस
– प्रो. (डॉ.) वी.सी. विवेकानंदन, कुलपति, हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी
इस छात्रवृत्ति के माध्यम से, एलएसएसी ग्लोबल भारत में प्रतिभाशाली छात्रों और लॉ स्कूल के उम्मीदवारों के लिए नए दरवाजे खोलने और उन्हें अवसर प्रदान करने के लिए तत्पर है, इस प्रकार, कानून और शिक्षा में गुणवत्ता, पहुंच और इक्विटी को बढ़ावा देने के लिए लॉ स्कूल एडमिशन काउंसिल (एलएसएसी) के मिशन को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। साथ ही, विविध और प्रतिभाशाली व्यक्तियों को कानून का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करने और अभ्यास के माध्यम से उनके नामांकन और प्रीलॉ से प्रेक्टिस तक की उनकी यात्रा का समर्थन करने की कोशिशें की जाती हैं।
एलएसएटी-इंडिया के बारे में
एलएसएटी-इंडिया एक मानकीकृत परीक्षा है जिसे पूरे भारत में कई लॉ कॉलेजों द्वारा प्रवेश मानदंड के रूप में अपनाया गया है। यह उन कौशलों को जांचता है जिन्हें लॉ स्कूल में सफलता के लिए आवश्यक माना जाता है। एलएसएटी-इंडिया विशेष रूप से लॉ स्कूल एडमिशन काउंसिल, यूएसए (एलएसएसी) द्वारा भारत में लॉ स्कूलों में प्रवेश के लिए बनाया गया है। एलएसएसी 70 से अधिक वर्षों से विभिन्न देशों के लॉ स्कूलों को अपने आवेदकों के महत्वपूर्ण सोच कौशल का मूल्यांकन करने में मदद कर रहा है।