ये केवल बुद्धिमानी की बातें ही नहीं हैं। ये शांतिप्रद एवं उत्साहजनक भी हैं। इस तरह की अंतर्दृष्टिपरक बातें अधिकांश लोगों को आसानी से समझ नहीं आतीं। अव्यक्तजी को भी ये बातें यूं ही समझ नहीं आयीं। दरअसल, उन्होंने अपने जीवन की हर एक चीज़ का परित्याग कर दिया। एक शानदार कॅरियर से लेकर अपने खुद के घर तक को उन्होंने त्याग दिया। उन्होंने इन सभी को त्यागकर हिमालय में चले गये। सत्य की तलाश में उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया। उनका कहना है, ”जब आप सत्य के मार्ग पर चलते हैं, तो जीवन से जुड़ी कई चीज़ें पीछे छूट जायेंगी। हालांकि, आपको दूसरी चीजें मिलेंगी। शांति, संतोष। आपको ये मिलेंगी। आप उन्हें जान सकेंगे।”
अव्यक्तजी का जीवन गहन खोज से भरा रहा है, और बदले में, उन्हें जीवन के परम सत्य का साक्षात्कार हुआ है। श्री वल्लभ भंशाली के ट्रुथटॉक्स के नवीनतम संस्करण में उन्होंने सरल, विचारोत्तेजक शब्दों में जीवन के इन सार तत्वों को समझाया है।
अव्यक्तजी एक विद्वान, लेखक, ध्यानाभ्यासी और साधक हैं। उन्होंने टॉल्सटॉय, महात्मा गांधी, विनोबा भावे, भगवान बुद्ध, स्वामी विवेकानंद, संत कबीर और इस तरह की अन्य उच्च कोटि की विभूतियों के जीवन का अध्ययन किया है। इनमें से सभी लोग सत्य, प्रेम और दया के मूर्तिमान स्वरूप रहे हैं। और अव्यक्तजी भी इसी पथ पर अग्रसर हैं। ट्रुथटॉक के नवीनतम संस्करण में, उन्होंने कहा, ”प्रेम और करुणा के बिना सत्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। जब आपको हर एक जीव में इस सत्य का साक्षात्कार हो जाता है, तो आपके भीतर भी उन सभी के प्रति और अपने प्रति प्रेम और करुणा का उद्भव हो जायेगा।”
बातचीत के दौरान, उन्होंने कृतज्ञता से भरा जीवन जीने के महत्व के बारे में विस्तार से बताया; एक ऐसा जीवन जिससे दूसरों को लेश मात्र भी कष्ट न हो। क्योंकि उनका दृढ़ विश्वास है कि इस तरह का जीवन मनुष्यों की वास्तविक प्रकृति का झलक भी है। उनके ही शब्दों में, ”हम प्राय: बहुत सारी चीज़ें चाहते हैं। लेकिन हमें इस बात का पता भी नहीं होता कि हम जिन चीज़ों को हासिल करने के लिए उनके पीछे भागे जा रहे हैं उनके मिल जाने के बाद हम क्या करेंगे।”
उन्होंने इस बारे में भी अपने विचार साझा किये कि हम सभी के जीवन में एक लक्ष्य, एक उद्देश्य क्यों होना चाहिए। और जब तक हम यह जान नहीं लेंगे, हम हमेशा ही व्यर्थ की चीज़ों के पीछे भागते रहेंगे। हम प्राप्त वस्तुओं से सदा असंतुष्ट रहेंगे। उन्होंने उद्देश्य की तलाश करने के तरीके के बारे में भी बताया। और यह बताया कि ज्योंहि हम अपने जीवनोद्देश्य को हासिल कर लेते हैं, त्योंहि हमें भीतरी शांति मिल जाती है।
अव्यक्तजी इस गहन साक्षात्कार के दौरान हमारी व्यक्तिगत सच्चाइयों तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने अभिभावकों से आह्वान किया, ”अपनी स्वयं की आक्रामकताओं को अपने बच्चों में स्थानांतरित न होने दें।” इसके बजाये, उन्होंने कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि वो अपने बच्चों के साथ खुलकर संवाद करें और बच्चों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। अपने द्वारा की गयी गलतियों को साझा करें, अपनी सीखों को साझा करें, अपनी खुशियों और दु:खों को साझा करें, जीवन की छोटी से छोटी चीजों को साझा करें।पूरी सच्चाई और सहानुभूति के साथ साझा करें।
अव्यक्तजी के साथ ट्रुथटॉक के 35 मिनट के इस विवेकपूर्ण संवाद के ये कुछ अंश मात्र हैं। इस साक्षात्कार के बारे में, श्री भंशाली ने कहा, ”अव्यक्तजी का इस मंच पर आना हमारे लिए सौभाग्य की बात है, जिनके विशुद्ध एवं शक्तिशाली विचारों का निश्चित रूप से हमारे दर्शकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हमें विश्वास है कि उनकी असाधारण कहानी और असामान्य विवेक से उनके जीवन में खुशहाली आयेगी। हम सभी लोगों को आमंत्रित करते हैं कि वो इस बातचीत को देखें और www.truthtalks.inके जरिएट्रुथटॉक्स कम्यूनिटी से जुड़ें।”
सत्य विज्ञान फाउंडेशन की पहल, ट्रुथटॉक्स के छठवें संस्करण में 17 जुलाई को अव्यक्तजी को दिखाया गया। यह बातचीत यूट्यूब पर देखने के लिए यहां उपलब्ध है:
फाउंडेशन के विषय में –
ट्रूथटॉक्स और सत्य विज्ञान फाउंडेशन, देश अपनाएं सहयोग फाउंडेशन के अंग हैं। देश अपनाएं सहयोग फाउंडेशन का उद्देश्य तीन प्रमुख धुरियों – नागरिकता शिक्षा, स्वयंसेवा और परिवेशी सहयोग पर जिम्मेदार नागरिकता एवं समाज का निर्माण करना है। अधिक जानकारी हेतु, www.deshapnayen.orgपर जाएं या info@deshapnayen.org पर हमें लिखें।
ट्रूथटॉक्स के विषय में –
ट्रूथटॉक्स, सत्य विज्ञान फाउंडेशन और देश अपनाएं के संस्थापक, श्री वल्लभ भंशाली की एक पहल है। इसका उद्देश्य उन लोगों से सीखना और प्रेरित होना है जिन्होंने अपने जीवन में सत्य के ‘प्रयोग’ किये हैं। इस श्रृंखला का क्रम ऐसा है कि हर वर्ग के लोग सत्य जो प्रकृति का सबसे शक्तिशाली प्रक्रिया है उसे बेहतर ढंग से समझ सकें। सत्य वस्तुत: महज़ एक नैतिक मूल्य या कानूनी बाध्यता से बढ़कर जन-जीवन में अधिक शांति, विश्वास एवं सम्मान लाने हेतु एक व्यावहारिक उपकरण के रूप में अपनाया जा सके। असत्य कानूनी रास्तों और अनाज के बिगड़े हुए ढर्रे के कारण महज एक महँगी आदत ही है, आवश्यकता नहीं। ट्रूथ टॉक्स के माध्यम से प्रेरित होकर आप थोड़े ही समय में इसमें से निकल कर जीवन में क्रांति जा सकते हैं।
इस ऑनलाइन टॉक्स सीरीज में कई विशिष्ट मेहमान शामिल हो चुके हैं: श्री एनआर नारायण मूर्ति, जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा, श्री राहुलद्रविड़, सुश्री बीके शिवानी और श्री प्रसून जोशी। ट्रूथ टॉक्स के माध्यम से प्रेरित होकर आप थोड़े ही समय में इसमें से निकल कर जीवन में क्रांति जा सकते हैं।