जून, 21 में बाजार खुलने के बाद एमएसएमई ऋण की मांग बढ़ी

मुंबई, 29 जुलाई, 2021– सिडबी की नई ट्रांसयूनियन सिबिल एमएसएमई पल्स रिपोर्ट से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में एमएसएमई को 9.5 लाख करोड़ रुपए के ऋण वितरित किए गए थे। यह राशि पिछले वित्त वर्ष 2020 की तुलना में बहुत अधिक है, तब 6.8 लाख करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए थे। एमएसएमई को ऋण वितरण में इस महत्वपूर्ण वृद्धि में आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसे सरकारी हस्तक्षेप प्रमुख कारक थे। भारत में कुल ऑन-बैलेंस शीट वाणिज्यिक उधार जोखिम मार्च ’21 में 74.36 लाख करोड़ रुपए था, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 0.6 फीसदी थी। एमएसएमई सेगमेंट का क्रेडिट एक्सपोजर था मार्च ’21 तक 20.21 लाख करोड़ रुपए यानी 6.6 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर दिखा रहा है। यह ऋण वृद्धि एमएसएमई ऋण देने के सभी उप क्षेत्रों में देखी गई है।

महामारी की दोनों लहरांे के बाद ऋण की मांग में दिखा उछाल

रिपोर्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि महामारी की पहली और दूसरी लहर के बाद अनलाॅक में ऋण की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पहली लहर के दौरान वाणिज्यिक क्रेडिट पूछताछ में शुरुआती गिरावट के बाद 76 फीसदी की गिरावट आई। यह गिरावट ईसीएलजीएस के हस्तक्षेप की बदौलत तेजी से ठीक हो गई और तब से पूर्व-कोविड स्तरों के करीब बनी हुई है। मार्च ’21 में वाणिज्यिक ऋण पूछताछ पूर्व-कोविड स्तर पर 32 फीसदी थी; यह मजबूत गति दूसरी लहर से प्रभावित हुई थी, लेकिन जून ’21 ने फिर से पूर्व-कोविड के स्तर में तेज सुधार दिखाया।

एमएसएमई पल्स के निष्कर्षों पर बोलते हुए, ट्रांसयूनियन सिबिल के एमडी और सीईओ श्री राजेश कुमार ने कहा,  ‘‘कोरोना के बाद अनलाक वाले हालात में एमएसएमई ऋण मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि के साथ यह भरोसा फिर बंधा है कि देश एक बार फिर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। सरकार की विकास-समर्थक पहल जैसे ₹ 4.5 लाख करोड़ के ईसीएलजीएस समर्थन का विस्तार, ऋणों के पुनर्गठन जैसे नियामक सुधार और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके बैंकों और क्रेडिट संस्थानों द्वारा इन पहलों के तेजी से कार्यान्वयन ने एमएसएमई को मजबूत किया है। इन प्रगतिशील नीतियों और समर्थन के साथ, भारत का एमएसएमई क्षेत्र निश्चित तौर पर नए सिरे से उभरने के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है और यह हमारी अर्थव्यवस्था की भविष्य की ताकत और विकास के लिए अच्छा है।’’

वर्ष 2021 में नए ऋण प्राप्त करने वाले एमएसएमई उधारकर्ताओं की प्रोफाइल बदली

एमएसएमई उधार में महत्वपूर्ण बदलाव पर अंतर्दृष्टि को समझने के लिए, एमएसएमई पल्स1 के इस संस्करण में कोरोना की पहली लहर के बाद वित्त पोषित करने वाली संस्थाओं की तुलना में पहली लहर से पहले वित्त पोषित संस्थाओं के उधारकर्ता प्रोफाइल का विश्लेषण शामिल है। सिबिल रैंक (सीएमआर) एमएसएमई को 1-10 के पैमाने पर अपने क्रेडिट इतिहास डेटा के आधार पर रैंक प्रदान करता है, सीएमआर-1 सर्वोत्तम संभव रैंक है और सीएमआर-10 एमएसएमई के लिए सबसे जोखिम भरी रैंक है। कोरोना की पहली लहर के बाद उच्च जोखिम वाले एमएसएमई संस्थाओं (सीएमआर 8-10) की नई उत्पत्ति में कमी आई है।

 

यह कमी सीएमआर 6-7 में उत्पत्ति में वृद्धि से ऑफसेट है, जिसका अर्थ है कि उधारदाताओं ने वर्तमान अनिश्चित वातावरण में जोखिम उठाने की क्षमता को कम कर दिया है और वर्तमान अनिश्चित वातावरण में सीएमआर 1-5 की सीमा में अच्छे एमएसएमई खोजने में भी कठिनाई हो रही है। यह प्रवृत्ति ट्रांसयूनियन सिबिल के क्रेडिटविज (सीवी) एल्गोरिथम के छूटे हुए भुगतानों के विश्लेषण के माध्यम से भी परिलक्षित होती है, जो दर्शाता है कि बिल्कुल साफ ट्रैक रिकॉर्ड वाले एमएसएमई को खोजना कठिन है। विश्लेषण एमएसएमई के बकाया दायित्वों के प्रति भुगतान व्यवहार को दर्शाता है। विश्लेषण से पता चलता है कि-

– जिन एमएसएमई को जनवरी से मार्च – 21 की अवधि में ऋण दिया गया था, उनमें से 29 प्रतिशत पिछले तीन महीनों में एक से अधिक भुगतान चूक गए थे

– जिन एमएसएमई को जनवरी से मार्च – 20 के दौरान ऋण दिया गया था, उनमें से 21 प्रतिशत पिछले तीन महीनों में एक से अधिक भुगतान करने से चूक गए थे।

सिडबी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री शिवसुब्रमण्यम रमन ने कहा, ‘‘एमएसएमई क्रेडिट डेटा, ईसीएलजीएस योजना की सफलता को भी दर्शाता है। इस योजना ने इस क्षेत्र में संवितरण में 40 फीसदी वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिससे एमएसएमई के बीच व्यावसायिक भावनाएं पुनर्जीवित हुई है। रिवाइवल का संकेत देने वाला मुख्य आकर्षण न्यू-टू-बैंक (एनटीबी) को क्रेडिट है, जो प्री-कोविड स्तरों पर वापस आ गया है, जबकि एक्साइटिंग-टू-बैंक (ईटीबी) को क्रेडिट में उछाल बना हुआ है। सरकार द्वारा हाल ही में अतिरिक्त राहत उपायों से विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा, यात्रा और पर्यटन में, एमएसएमई क्षेत्र में क्रेडिट उठाव में सुधार की उम्मीद है। आगे बढ़ते हुए ऋणदाताओं को एमएसएमई के लिए ऋण वृद्धि को बनाए रखते हुए क्रेडिट पोर्टफोलियो के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी करने की आवश्यकता है।’’

स्थिरता को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण सीएमआर पर आधारित नियमित पोर्टफोलियो निगरानी

हाल की तिमाहियों में क्रेडिट बैलेंस में त्वरित वृद्धि – विशेष रूप से मध्यम जोखिम और उच्च जोखिम खंडों में पोर्टफोलियो की निगरानी के लिए मामले को मजबूत बनाती हैं। क्रेडिट विजन (सीवी) एल्गोरिदम जैसे, नकद क्रेडिट और ओवरड्राफ्ट ऋण जैसी परिक्रामी क्रेडिट सुविधाओं के लिए क्रेडिट बैलेंस में ट्रेंड यूटिलाइजेशन का विश्लेषण 12 महीनों की अवधि में किया जाता है। ये एल्गोरिदम क्रेडिट ब्यूरो डेटा के और अधिक पृथक्करण को सक्षम बनाता है, और जब सीएमआर के साथ संयोजन में उपयोग किया जाता है, तो एक तेज जोखिम भेदभाव प्रदान करता है।

सिबिल एमएसएमई रैंक (सीएमआर) के भीतर उपयोग का विभाजन इंगित करता है कि सीएमआर 4-5 रैंक उधारकर्ता खंड के उच्चतम उपयोग खंड ( 78 फीसदी औसत उपयोग) में एमएसएमई संस्थाओं की खराब दर 13 फीसदी है, जबकि समान सीएमआर 4-5 में उधारकर्ताओं के सेगमेंट की दर 50 फीसदी से नीचे के उपयोग के स्तर के लिए 7 फीसदी तक कम हो जाती है। इस प्रकार, ट्रेंड यूटिलाइजेशन एल्गोरिथम का उपयोग करके, अच्छी रैंक में जेब का भार पता करना संभव है, साथ ही मध्यम-जोखिम वाले उधारकर्ताओं के बीच बेहतर उधारकर्ताओं को अलग करना आसान है।

राजेश ने निष्कर्ष दिया ‘ईसीएलजीएस हस्तक्षेपों द्वारा समर्थित, एमएसएमई खंड व्यवसाय विकास और आर्थिक पुनरुत्थान को चलाने के लिए अच्छी तरह से समर्थित है। बैंकों और क्रेडिट संस्थानों को अब निरंतर ऋण वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और सीएमआर और क्रेडिटविजंस लेंस के माध्यम से अपने पोर्टफोलियो के स्वास्थ्य की निगरानी पर ध्यान देना चाहिए ताकि निरंतर विकास के लिए समय पर आवश्यक हस्तक्षेप को लागू करने में वे सक्षम हो सकें।’

 

1इस विश्लेषण के लिए केवल कार्यशील पूंजी और सावधि ऋण नई उत्पत्ति को ध्यान में रखा गया था – सभी नवीनीकरण, साथ ही जीईसीएल ऋण (ईसीएलजीएस के तहत टॉप अप ऋण) को बाहर रखा गया था। उधारकर्ताओं की क्रेडिट विशेषताओं का विश्लेषण किया जाते समय इसलिए सभी नए क्रेडिट उत्पत्ति को विश्लेषण से बाहर रखा गया है। इस विश्लेषण के लिए 1 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए के बीच प्रतिबंधों पर विचार किया गया। जनवरी ’21 से मार्च’21 तक पोस्ट-कोविड वेव 1 के लिए और जनवरी ’20 से मार्च ’20 तक प्री-कोविड वेव 1 समयावधि मानी गई है। जनवरी-मार्च ’21 की समयावधि को इसलिए चुना गया क्योंकि तब है जब लॉकडाउन-अनलॉक के विभिन्न चरणों के बाद सामान्य स्थिति बहाल हो गई थी और नियामक हस्तक्षेप भी कम हो गए थे।

एएमएसएमई पल्स- 12वां संस्करणः हाइलाइट्स

एमएसएमई क्षेत्र के लिए ईसीएलजीएस और अन्य हस्तक्षेपों ने वित्त वर्ष 2021 में एमएसएमई खंड को पहले के वर्षों की तुलना में अधिक ऋण राशि वितरित की हैः वित्त वर्ष 2021 में, देश ने एमएसएमई क्षेत्र को 9.5 लाख करोड़ रुपए के ऋण वितरित किए; वित्त वर्ष 2020 के 6.8 लाख करोड़ की तुलना में अधिक। वित्त वर्ष 2021 के लिए एमएसएमई ऋण देने में यह तेज उछाल ईसीएलजीएस की आत्मनिर्भर भारत योजना से समर्थित थी, जिसने उधारदाताओं को 100 फीसदी क्रेडिट गारंटी प्रदान की।

जून ’21 में अनलॉक के कारण एमएसएमई द्वारा क्रेडिट मांग (क्रेडिट पूछताछ के रूप में मापा गया) में तेज उछाल आया है, जो वित्त वर्ष 2021 की चैथी मजबूत तिमाही के बाद दूसरी लहर से प्रभावित हुआ थाः पहली लहर के बाद वाणिज्यिक क्रेडिट पूछताछ में 73 फीसदी की प्रारंभिक गिरावट के बाद ईसीएलजीएस के सपोर्ट के साथ यह गिरावट तेजी से ठीक हो गई और तब से प्री-कोविड स्तरों के करीब बनी हुई है। मार्च ’21 वाणिज्यिक क्रेडिट पूछताछ पूर्व-सीओवीआईडी स्तरों पर 32 फीसदी थी; यह मजबूत गति दूसरी लहर से प्रभावित हुई थी, लेकिन जून ’21 में पूर्व-कोरोना स्तरों पर तेजी से सुधार हुआ है।

मार्च ’21 में एमएसएमई क्रेडिट बकाया 6.6 फीसदी की वृद्धि हुई है, माइक्रो सेगमेंट सबसे तेजी से 7.4 फीसदी की दर से बढ़ रहा हैः क्रेडिट मांग में मजबूत उछाल, समान रूप से मजबूत क्रेडिट आपूर्ति और ईसीएलजीएस समर्थन के साथ, एमएसएमई की क्रेडिट बकाया राशि में वृद्धि हुई है। 6.6 फीसदी की सालाना वृद्धि दर के साथ 20.21 लाख करोड़ रुपए का क्षेत्र। माइक्रो सेगमेंट में सबसे तेजी से 7.4 फीसदी की वृद्धि हुई है, इसके बाद स्माॅल सेगमेंट में 6.8 फीसदी और मीडियम सेगमेंट में 5.8 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है।

न्यू-टु-बैंक (एनटीबी) को ऋण देने, एमएसएमई पूर्व-कोविड स्तरों पर वापस आ गए हैं, जबकि एक्साइटिंग-टु-बैंक (ईटीबी) को उधार देना जारी हैः एनटीबी एमएसएमई को ऋण वितरण अप्रैल ’20 में पूर्व कोविड स्तर की तुलना में 90 फीसदी तक गिर गया था। मार्च ’21 में धीरे-धीरे पूर्व-कोविड स्तरों की तुलना में 5 फीसदी अधिक वापस आ गया है। ईसीएलजीएस के कारण जून’20 में ईटीबी एमएसएमई को क्रेडिट वितरण पूर्व-कोविड स्तरों से बढ़कर 75 फीसदी हो गया, और तब से पूर्व-कोविड स्तर को बनाए हुए है।

सरकार और नियामक द्वारा नीति स्तर के हस्तक्षेप ने दिसंबर ’20 तक एमएसएमई में क्रेडिट डाउनग्रेड को नियंत्रित करने में मदद की है, मार्च ’21 में कर्ज की गिरावट रूकी हैः एमएसएमई क्रेडिट परफाॅर्मेंस मूवमेंट, जिसे सिबिल एमएसएमई रैंक (सीएमआर) डाउनग्रेड के माध्यम से मापा गया है, मोटे तौर पर नीति-स्तरीय हस्तक्षेपों के साथ दिसंबर ’20 तक नियंत्रण में दिखता है। विलंबता की मान्यता के लिए दिशा-निर्देशों में स्थगन और स्पष्टीकरण के साथ, डाउनग्रेड मार्च ’21 की तिमाही में उछल गया है – जिससे मध्य-जोखिम वाले एमएसएमई के पूल में वृद्धि हुई है।

ऋणदाताओं में जोखिम उठाने की क्षमता पूर्व-महामारी के स्तर पर वापस आ गई हैः ईसीएलजीएस की 100 फीसदी क्रेडिट गारंटी के समर्थन के साथ सभी उधारदाताओं में अनुमोदन दरों में वृद्धि हुई है। सीएमआर के ओरिजिनेशन शेयर या उत्पत्ति हिस्से से पता चलता है कि महामारी के शुरुआती दौर में हाई-रिस्क सेगमेंट सीएमआर 7-10 का हिस्सा गिरा और लो-रिस्क सेगमेंट सीएमआर 1-3 बढ़ा। लेकिन अब, सीएमआर द्वारा उत्पत्ति वितरण पूर्व-सीओवीआईडी -19 स्तरों के समान है।

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