मुंबई, 13 अगस्त, 2021: एक्सिस बैंक फाउंडेशन (एबीएफ) और आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम इंडिया (एकेआरएसपीआई) ने ‘जनजातीय क्षेत्रों में जल प्रबंधन के सर्वोत्तम अभ्यासों का विवरण (Compendium of Best Practices Water management in Tribal Areas’) ‘विषय पर आज एक रिपोर्ट जारी की है।इस रिपोर्ट में देश भर के जनजातीय समुदायों के लिएबेहतर प्रशासन एवंकृषिगत जल के लिए संसाधनों के अधिक आवंटन की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।ध्रुवी शाह, सीईओ, एक्सिस बैंक फाउंडेशन और अपूर्व ओझा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम इंडिया की उपस्थिति में,श्री.एम के जाधव, सचिव, जल संसाधन, गुजरात सरकार ने यह रिपोर्ट पेश की।
देश की 70% आबादीभारत के मध्य भाग में रहती है, जो राजस्थान के बांसवारासे लेकर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया तक के आठ जिलों में मौजूद है, लेकिन इन जनजातीय क्षेत्रों की सिंचाई के अधीन आने वाले क्षेत्र का प्रतिशतगैर-जनजातीय आबादी का आधा है। इसके अलावा, इन भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदायों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि पहाड़ी इलाके की ढलान वाली कृषि भूमि, जो भूजल भंडारण के लिए अनुपयुक्त है और शुष्क मौसम के दौरान उन तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।इन अवलोकनों के आधार पर, एबीएफऔर एकेआरएसपीने सरकारों द्वारा किए गए सिंचाई निवेश को प्रदर्शित करने के लिए मध्य भारतीय क्षेत्र का व्यापक अध्ययन किया है और बताया है कि किस तरह से इन आदिवासी क्षेत्रों के लिए बड़े बांध, लिफ्ट सिंचाई योजनाएं, गहरी खुदाई वाली योजनाएं और अन्य जल-केंद्रित योजनाएं आवश्यकताएं हैं।
लॉन्च के अवसर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए,एक्सिस बैंक फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ध्रुवीशाह ने कहा, “जल सुरक्षा ग्रामीण समुदायों की प्राथमिक चुनौतियों में से एक है।जहां जनजातीय क्षेत्रों में जल नियंत्रण के लिए अधिक संसाधन आवंटित करना महत्वपूर्ण है, वहीं यह भी जरूरी है कि संसाधनों का उपयोग अधिक प्रभावशील ढंग से किया जाए।प्रस्तुत विवरण से नीति-निर्माताओं, चिकित्सकों और गैर सरकारी संगठनों को मध्य-भारतीय आदिवासी क्षेत्र के कुछ सबसे गरीब क्षेत्रों में जल सुरक्षा को बढ़ाने मेंअंतर्दृष्टि मिलेगी।“
एकेआरएसपी (I) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अपूर्वा ओज़ा ने बताया, “हमारी जनजातीय आबादी गरीबी की समस्या से जूझ रही है जिसका कारण अच्छी बारिश के बावजूद जल नियंत्रण की खराब स्थिति है। समय की कसौटी पर खरे उतरे संदर्भ विशिष्ट समाधानों को बेहतर बनाकर इसका हल किया जा सकता है।इसविवरणसे हमें हमारे सभी संसाधनों का अधिक बुद्धिमानी से उपयोग करने में मदद मिलेगी।इसलिए यह आवश्यक है कि दाता (डोनर) और गैर सरकारी संगठन न केवल क्षेत्र कार्यान्वयन के लिए बल्कि ग्रामीण गरीबी की जटिल समस्याओं को हल करने के लिए सबसे अच्छा काम करने वाले विचारशील शोध के लिए भी एक साथ आएं।“
रिपोर्ट में सीएसओ और एनजीओ द्वारा पेयजल सुरक्षा एवं जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु कराये गये कुछ सफल हस्तक्षेप भी दिये गये हैं ताकि मध्य जनजातीय क्षेत्र के निवासियों की आजीविका चलाने में मदद मिल सके। आगे, इसमें जल प्रबंधन एवं संरक्षण की सर्वोत्तम पारंपरिक पद्धतियों पर भी प्रकाश डाला गया है जो जनजातीय संदर्भ में प्रभावी हैं। उदाहरण के लिए, फसलों की सिंचाईका एक ऐसा हीपारंपरिक तरीका है, चैनलों के एक जटिल नेटवर्क के माध्यम से बारहमासी या मौसमी धाराओं में पानी के डायवर्जन का, जिससे गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके पानी को खेतों में प्रवाहित कराया जा सकता है। आधुनिक समय में डायवर्जन आधारित सिंचाई के रूप में जानी जाने वाली यह प्रणाली देश के विभिन्न हिस्सों में प्राचीन काल से विभिन्न स्थानीय नामों के तहत प्रचलित है।
इस विस्तृत रिपोर्ट में ऐसी पद्धतियाँ सुझायी गयी हैं जिन्हें उन सरकारी विभागों के साथ साझा किया जा सकता है जो सिंचाई एवं जनजातीय मामलों को देखता है,ताकि सभी जिलों और राज्यों में कृषि जल इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जा सके, जिससे जनजातीय समुदायों के लिए जल की सुलभता और उस पर उनका नियंत्रण बढ़े।