Editor – Dinesh Bharadwaj
अजमेर डीएसओ अंकित पचार के बर्खास्त मामले ने पकड़ा तूल।
राजस्थान के खाद्य नागरिक आपूर्ति सेवा के अधिकारी एवं उचित मूल्य दुकानदारों के द्वारा सेवा ठप की जाती है तो प्रदेश के 3.75 करोड़ उपभोक्ता खाद्य सामग्री प्राप्त करने से वंचित रहेंगे l
जयपुर | प्रशिक्षुकाल में मिली शिकायतों में संदिग्ध भूमिका, अनियमितता, राजकीय कार्य में उदासीन व दायित्वों के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप के चलते अजमेर जिला रसद अधिकारी अंकित पचार के बर्खास्त मामले को लेकर खाद्य नागरिक आपूर्ति सेवा समिति जिला रसद अधिकारी, प्रवर्तन अधिकारी, प्रवर्तन निरीक्षक के राज्य स्तरीय संगठन के द्वारा आज बैठक का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश भर के सभी अधिकारियों ने एक स्वर में खाद्य सचिव नवीन जैन, अतिरिक्त खाद्य सचिव अनिल अग्रवाल को निलंबित करने की मांग की गई एवं बर्खास्त जिला रसद अधिकारी अंकित प्रचार को बहाल करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम सीएमओ में ज्ञापन सौंपा गया वही मीडिया को संबोधित करते हुए नागरिक आपूर्ति सेवा समिति की प्रदेश अध्यक्ष बबीता यादव ने कहा कि आज 4:00 बजे खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के व्हाट्सएप ग्रुप से एक साथ रिमूव होंगे उसके बाद पेन डाउन 30 तारीख तक मांगों को नहीं माना जाएगा तब तक जारी रहेगा उसके बाद भी अगर हमारी मांगों को नहीं माना जाता है तो हम राशन डीलर संगठनों एवं अन्य संगठनों के साथ संपूर्ण कार्य को ठप करेंगे वही प्रवर्तन अधिकारी अनामिका ने बताया कि यह कार्रवाई वैज्ञानिक नहीं है सोची समझी एवं गुड रचित भावना के साथ की गई कार्रवाई है l इसी संबंध में सभी अधिकारियों ने प्रस्ताव पास किया कि हमारी लंबित मांगे एवं प्रशिक्षण अवधि पूर्ण होने के बावजूद भी स्थायीकरण नहीं किया गया l बर्खास्त जिला रसद अधिकारी अंकित पहचान ने बताया कि मुझे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया उसी में पहले से ही लिखा गया कि आपको सेवा मुक्त किया जाए तो यह तो पूर्व से ही सुनियोजित था मेरे खिलाफ षड्यंत्र किया गया है जरूरत पड़ी तो मैं इस संबंध में उच्च स्तर पर अपील करूंगा l कार्रवाई बिल्कुल एक तरफा की गई है। जो कि न्याय के सिद्धांतों के विपरित है। मैं विधिक व न्याय संगत प्रक्रिया अपनाते हुए उचित स्तर पर अपना पक्ष रखूंगा।
शशि शेखर शर्मा ने बताया कि अजमेर डीएसओ अंकित पचार को विधिक प्रक्रिया को अपनाए बगैर जल्दबाजी में बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने आदेश को अवांछनीय व द्वेषता से जारी किया जाना बताया। जिसका समिति व सदस्यगण निंदा करते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से पचार को पुन: बहालकर निष्पक्ष जांच की मांग की।