श्री अमित पालटा, चीफ डिस्ट्रिब्यूशन ऑफिसर, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस
”रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग” संभवत: वित्तीय प्लानिंग का एक ऐसा पहलू है जिसकी सबसे अधिक अनदेखी की जाती है। अधिकांश लोग इस बारे में 40-50 की उम्र में पहुंचने के बाद ही विचार करना शुरू करते हैं। हालांकि, इसे व्यावहारिक रूप से लागू करने में वो 45-55 वर्ष की उम्र लगा देते हैं। अध्ययनों के मुताबिक, एक व्यक्ति को रिटायरमेंट के बाद आत्मनिर्भर तरीके से जिंदगी बिताने के लिए उन्हें अंतिम बार प्राप्त वेतन के लगभग 70-90% की आवश्यकता होती है।
रिटायरमेंट की प्लानिंग में मुख्य रूप से दो चरण शामिल हैं – संचयी (बचत) और वार्षिकी (एन्यूइटी)। संचयी (एक्युमुलेशन) या बचत (सेविंग्स) की प्रक्रिया जितनी शीघ्र शुरू हो उतनी ही अधिक फलदायी होती है, क्योंकि इस प्रक्रिया में आप लंबे समय तक के लिए नियमित रूप से एक राशि अलग निकालकर रखते हैं और यह राशि चक्रवृद्धि के जरिए गुणात्मक रूप से बढ़ती है। जीवन बीमा कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले दीर्घकालिक बचत उत्पाद, रिटायरमेंट के लिए धनराशि के निर्माण का शानदार तरीका प्रदान करते हैं और साथ ही, उत्पाद की पूरी समयावधि के दौरान जीवन सुरक्षा भी देते हैं। बीमा कंपनियों के पास उपलब्ध रिटायरमेंट टूल्स और कैलकुलेटर्स आवश्यक धनराशि के संबंध में स्पष्ट दृष्टि प्रदान करते हैं।
आइए देखें कि कैसे जल्दी शुरुआत करना ज्यादा बेहतर है। इसे समझने के लिए एक 30 वर्ष के और एक 40 वर्ष के कामकाजी पेशेवर का उदाहरण लेते हैं जिनका लक्ष्य 60 वर्ष की उम्र तक 1 करोड़ रु. की रिटायरमेंट धनराशि सृजित करना है। यदि रिटर्न की दर 8% मानें, तो 30 वर्ष की उम्र वाले प्रोफेशनल को लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 30 वर्षों तक सालाना 1 लाख रु. जमा करना होगा, अर्थात् निवेश की कुल राशि 30 लाख रु. है। जबकि 40 वर्ष की उम्र वाले व्यक्ति को अगले 20 वर्षों तक सालाना 2 लाख रु. का निवेश करना होगा, अर्थात् निवेश की कुल राशि 40 लाख रु. होगी। ऐसे कई दीर्घकालिक बचत उत्पाद उपलब्ध हैं जिनका उपयोग करके विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो बनाया जा सकता है। मुख्य बात है, नियमित निवेश और उत्पाद की संपूर्ण समयावधि तक की प्रतिबद्धता।
दृढ़तापूर्वक यह परामर्श है कि जब व्यक्ति अपनी रिटायरमेंट लाइफ में प्रवेश करे तो उस पर कोई ऋण बकाया नहीं होना चाहिए। यदि इस बात का ध्यान नहीं रखा जाता है, तो यह रिटायरमेंट की धनराशि पर भारी पड़ सकता है और मूल उद्देश्य ही नष्ट हो सकता है। इसलिए, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप रिटायरमेंट तक के वर्षों के लिए अपने वित्त की प्राथमिकता निर्धारित कर लें ताकि आपके पास उपलब्ध धनराशि का उचित तरीके से उपयोग हो सके।
रिटायर हो चुके व्यक्तियों को आजीवन गारंटीशुदा नियमित आय चाहिए होती है और एन्यूइटी प्रोडक्ट्स को इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाता है। रिटायर हो चुके व्यक्ति सिंगल प्रीमियम का भुगतान करके आजीवन नियमित आय का आनंद ले सकते हैं। एन्यूइटी प्रोडक्ट्स दो वैरिएंट्स में उपलब्ध हैं – इमेडिएट और डेफर्ड एन्यूइटी। इमेडिएट एन्यूइटी में, खरीद के तुरंत बाद ही नियमित आय प्राप्त होनी शुरू हो जाती है और यह उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है जो रिटायर होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। जबकि डेफर्ड एन्यूइटी विकल्प में, आय के आरंभ को अधिकतम 10 वर्षों के लिए स्थगित किया जा सकता है। इस विकल्प के जरिए 50 या 55 वर्ष की आयु का व्यक्ति भी काफी अग्रिम रूप से रिटायरमेंट की आय के लिए प्लानिंग कर सकते हैं, चूंकि आय को जितना अधिक समय के लिए स्थगित किया जायेगा आय उतनी ही अधिक होगी। इन दोनों वैरिएंट्स को साथ मिलाकर ऐसा रिटायरमेंट आय समाधान विकसित किया जा सकता है जो बढ़ती आय प्रदान करे जो कि रहन-सहन की बढ़ती लागत को ध्यान में रखते हुए अत्यावश्यक है।
कुछ एन्यूइटी उत्पाद कई फीचर्स भी प्रदान करते हैं जैसे 76 वर्ष तक पहुंचने या 80 वर्ष के होने पर खरीद मूल्य का अर्ली रिटर्न। पर्चेज प्राइस के रिटर्न के विकल्प के साथ जॉइंट लाइफ एन्यूइटी सुनिश्चित करता है कि प्राथमिक प्राप्तकर्ता (उदाहरण के लिए, पति) की मृत्यु के बाद, द्वितीयक पॉलिसीधारक (उदाहरण के लिए, पत्नी) को नियमित आय मिलती रहे। दोनों पॉलिसीधारकों और एन्यूएंट्स की मृत्यु के बाद, नॉमिनी को खरीद मूल्य वापस कर दिया जाता है।
सारांश में, रिटायरमेंट की प्लानिंग जितनी जल्द शुरू कर दी जाये, उतना ही अच्छा है, चूंकि इससे धीरे-धीरे धनराशि बनाने में मदद मिलती है। इस धनराशि का उपयोग एन्यूइटी प्रोडक्ट खरीदने के लिए किया जा सकता है जिससे आजीवन गारंटीशुदा नियमित आय प्राप्त होती रहेगी।