मुंबई, 28 सितंबर2021: गोदरेज एंड बॉयस, जो गोदरेज समूह की प्रतिष्ठित कंपनी है, ने घोषणा की कि इसके बिजनेसगोदरेज इंटेरियो,जो होम एवं संस्थागत खंडों में भारत का अग्रणी फ़र्नीचर ब्रांड है, ने विशेष अध्ययन ‘द रियल वर्ल्ड रिपरकशंस ऑफ वर्चुअल फैटिग’केनिष्कर्षों को प्रकाशित किया है। वर्चुअल मोड में काम करते हुए कर्मचारियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को समझने के लिए, गोदरेज इंटेरियो के वर्कस्पेस एंड अर्गोनॉमिक्स रिसर्च सेल ने देशव्यापी अध्ययन कराया ताकि चुनौतियों को समझा जा सके और श्वेतपत्र में उचित समाधानों को विस्तार से बताया जा सके। कुल 235 कामकाजी कर्मचारियों ने शोध में भाग लिया, जिनमें से 68% 26-40 वर्ष के आयु वर्ग के थे, उनमें से अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों और भारतीय कॉरपोरेट्स के लिए काम करने वाले थे।
श्वेतपत्र के अनुसार, वर्चुअल फैटिग को एक्सटेंडेड वर्चुअल कॉल्स लेने के दौरान महसूस किये जाने वाले थकान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विजुअल फैटिग, लिस्नर्स फैटिग, फिजिकल फैटिग और मेंटल फैटिग को वर्चुअल फैटिग के कारक तत्वों के रूप में चिह्नित किया गया है। वर्चुअल फैटिग, वर्चुअल बैठकों में अनियमित भागीदारी के चलते पैदा होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का एक उपनाम बन चुका है। लंबी बैठकों में शामिल होने के लिए एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठे रहने के चलते शरीर में दर्द हो सकता है और इस तरह की समस्याएं – जो वर्चुअल फैटिग की देन हैं – पैदा हो सकती हैं। अर्गोनॉमिक स्ट्रेसर्स जैसे कि स्टेटिक पॉश्चर्स एवं स्टांसेज जैसे वर्चुअल कॉल्स के दौरान आगे की झुके होने के चलते शारीरिक थकान महसूस हो सकती है।
गोदरेज इंटेरियो के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट, मार्केटिंग (बी2बी), समीर जोशी ने कहा, ”कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच और तीसरी लहर की संभावनाओं के साथ, यह काफी हद तक निश्चित हो गया है कि आगामी समय में बिजनेस एंगेजमेंट्स के लिए वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग को अधिक तवज्जो दी जायेगी।
इस परिदृश्य में, देश भर के संगठनों को संबंधित व्यावसायिक संकट को समझना जरूरी है जिससे उनके कार्यबल की भलाई सुनिश्चित हो सके। गोदरेज इंटेरियो, अपने वर्कप्लेस एंड एर्गोनॉमिक्स रिसर्च सेल के माध्यम से उन मुद्दों का अध्ययन करने का प्रयास करता है जो हमारे लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं और हमारे श्वेतपत्रों के माध्यम से उन मुद्दों का समाधान प्रदान करने की कोशिश की जाती है। हम आशा करते हैं कि संगठन और व्यक्ति समान रूप से इसे इस स्थिति में सामना कर रही कुछ समस्याओं को कम करने के लिए एक आसान मार्गदर्शिका के रूप में पाएंगे। जैसा कि हम इस नई कार्य पद्धति में महारत हासिल करते हैं, हमारा मानना है कि पेशेवर जरूरतों को पूरा करने के लिए अपना और अपनाई जाने वाली रणनीतियों की देखभाल करना अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है।”
शोध अध्ययन के अनुसार, यह खुलासा किया गया कि पिछले वर्ष से, 46% कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। महामारी के प्रकोप के बाद से, लैपटॉप्स और सेल फोन्स ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है कि हमारी पेशागत जरूरतें हमेशा पूरी हों। इससे स्क्रीन टाइम बढ़ गया है। अध्ययन से खुलासा हुआ कि 72 प्रतिशत भारतीय कार्यबल दिन भर में 9 घंटे से अधिक समय कंप्यूटर या लैपटॉप स्क्रीन से कनेक्ट होकर गुजारता है ताकि कार्य-संबंधी अपने डेडलाइंस पूरा कर सकें। इसके अलावा, 35% उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि उन्हें सामान्य कार्यदिवस पर एक के बाद एक 20 से अधिक वर्चुअल कॉल्स पर बात करना होता है। यही नहीं, 41%कर्मचारियों ने लंबे वर्चुअल कॉल्स के अंत में उनकी आंखों में हल्के से लेकर गंभीर रूप से जलन के अनुभव की बात कही। जबकि, 19% उत्तरदाताओं ने लंबे वीडियो कॉल्स के बाद ब्लरी विजन के अनुभव का दावा किया। इस अध्ययन में आगे यह खुलासा हुआ कि चिंताजनक रूप से 86%कर्मचारी मस्कोस्केलेटल डिसऑर्डर्स (एमएसडी) का अनुभव कर रहे हैं और इस समस्या से पुरुषों की तुलना में महिला कर्मचारी अधिक पीडि़त हैं। 26 से 40 वर्ष के आयु वर्ग के कर्मचारियों ने दर्द की सर्वाधिक शिकायत की है।
यह शोध अध्ययन डिजिटल स्वास्थ्य की बेहतरी का समर्थन करता है::
- आंख और गर्दन की मांसपेशियों के तनाव को कम करने के लिए, स्क्रीन की ऊंचाई उपयोगकर्ता की आंख के बराबर में या इससे हल्की-सी नीचे होनी चाहिए
- आंख पर पड़ने वाले जोर को कम करने के लिए, गैजेट की ब्राइटनेस या कंट्रास्ट लेवल को समायोजित करें
- स्क्रीन से दूर देखने के लिए फोन या किसी भी ऐप्प में टाइमर सेट करें जो इसके लिए आपको स्मरण दिलाता रहे
- वीडियो के बजाये ऑडियो मोड में कॉल्स पर बात करना अधिक आरामदेह होता है, विशेषकर लंबी मीटिंग्स के दौरान। इससे कॉल पर बात करने वाला व्यक्ति अपने पॉश्चर में बदलाव कर सकता है, घुमते-फिरते बात कर सकता है, इस दौरान दूसरे काम भी कर सकता है और आवश्यकतानुसार बच्चों और परिवार के सदस्यों को भी अटेंड कर सकता है
- थकान दूर करने के लिए बीच-बीच में आंखों की झपकी लें और आंखों के व्यायाम करें