मुंबई, 21 अक्टूबर, 2021- होल्सिम समूह की इकाई और भारत की एक प्रमुख सीमेंट और कंक्रीट कंपनी एसीसी लिमिटेड ने अपने अभिनव, कम कार्बन और उच्च गुणवत्ता वाले वाटर-रेपेलेंट सीमेंट ‘एसीसी गोल्ड वाटर शील्ड सीमेंट’ के लिए सोलर इंपल्स (एसआई) फाउंडेशन का एफिशिएंट सॉल्यूशन लेबल हासिल किया है।
‘एसीसी गोल्ड वाटर शील्ड सीमेंट’ अपनी तरह का अनूठा, टिकाऊ विशेषताओं और उच्च गुणवत्ता वाले जलरोधी गुणों के साथ विशेष रूप से तैयार किया गया सीमेंट है, जो घरों को नमी और रिसाव से बचाता है। सोलर इंपल्स फाउंडेशन अपने कुशल समाधान लेबल के माध्यम से ‘एसीसी गोल्ड वाटर शील्ड सीमेंट’ को दुनिया के अग्रणी कुशल समाधानों में से एक के रूप में मान्यता देता है जो पर्यावरण को लाभदायक तरीके से बचाता है।
2018 में सोलर इंपल्स फाउंडेशन ने 1,000 ऐसे सॉल्यूशंस का चयन करने की अपनी चुनौती शुरू की जो एक लाभदायक तरीके से पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। इसका उद्देश्य ऐसे समाधानों से जुड़ी इकाइयों को उनके कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए प्रेरित करना है। चयनित समाधानों को उनके सकारात्मक पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभाव के प्रमाण के रूप में सोलर इंपल्स फाउंडेशन से एक लेबल प्राप्त होता है। प्रत्येक सम्मानित समाधान का स्वतंत्र विशेषज्ञों के एक पूल द्वारा कड़ाई से मूल्यांकन किया जाता है।
एसीसी लिमिटेड के एमडी और सीईओ श्रीधर बालकृष्णन ने कहा, ‘‘हम अपने उत्पाद डिजाइन, उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सस्टेनबिलिटी और इनोवेशन को शामिल करते हुए दायित्वपूर्ण और लागत प्रभावी उपायों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एसीसी गोल्ड को ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है ताकि घर के विभिन्न हिस्सों में पानी के रिसाव को रोका जा सके, साथ ही एक दीर्घकालिक और स्थायी भविष्य में भी योगदान दिया जा सके।’’
‘एसीसी गोल्ड वाटर शील्ड सीमेंट’ लंबे समय तक कायम रहने वाले घरों के निर्माण में सहायता करता है क्योंकि इसका क्लिंकर फैक्टर स्टैंडर्ड (ओपीसी) सीमेंट की तुलना में 30 प्रतिशत कम है। सीमेंट अन्य उद्योगों से हासिल 30-50 फीसदी पुनर्नवीनीकरण सामग्री से बना है।
यह सीमेंट वांछित जलरोधी गुणों को हासिल करने के लिए सूक्ष्म रूप से नियंत्रित प्रक्रिया परिवर्तनों के आधार पर तैयार किया जाता है, जिसके साथ इनपुट कच्चे माल की मात्रा में समायोजन भी किया जाता है। एक तरफ कार्बन उत्सर्जन में कमी के कारण जलवायु के अनुकूल निर्माण सामग्री को तैयार करना संभव होता है, दूसरी तरफ इसके वाटर-रेपेलेंट गुणों के कारण भवन संरचना में नमी और पानी के प्रवेश की समस्या को कम करने में मदद मिलती है, जिससे स्थायित्व को बढ़ावा मिलता है।