मुंबई, 29 अक्टूबर, 2021- कटाई के बाद फसल अवशेषों को जलाना न सिर्फ मिट्टी की गुणवत्ता के लिए हानिकारक है, बल्कि इसका किसानों और स्थानीय समुदायों पर नकारात्मक आर्थिक प्रभाव भी पड़ता है। इसके अतिरिक्त, इस प्रक्रिया से वायु प्रदूषण भी होता है और जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों में भी बढ़ोतरी होती है।
इस बाधा को दूर करने के लिए अंबुजा सीमेंट लिमिटेड की सीएसआर शाखा अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन (एसीएफ) किसानों को अपनी फसल के अवशेष कंपनी को बेचने की सुविधा दे रही है। इस प्रकार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से एकत्र किए गए अवशेषों का उपयोग वैकल्पिक ईंधन संसाधनों के रूप में किया जाएगा। इसके कृषि आधारित आजीविका कार्यक्रम के तहत एसीएफ ने एफपीओ का गठन किया है, ताकि सभी किसानों की उत्पादकता और लाभप्रदता को बढ़ाया जा सके। एफपीओ के माध्यम से संचालित यह मूल्य श्रृंखला किसानों को फसलों के अवशेष इकट्ठा करने और कंपनी के संयंत्रों के लिए बायोमास ईंधन का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
वर्तमान में, 10,000 किसानों को एफपीओ के माध्यम से कवर किया गया है जिससे किसानों और उनके परिवारों के लिए दीर्घकालिक सुविधा मिलती है।
अंबुजा सीमेंट्स के एमडी और सीईओ नीरज अखौरी ने कहा, ‘‘अंबुजा सीमेंट्स की संस्कृति में ही सामुदायिक भलाई का भाव गहराई से निहित है। हमारे प्रयासों का उद्देश्य न केवल ग्रामीण समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है, बल्कि इनके माध्यम से हम स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने में भी सहायता करते हैं।’’
विलायती बबूल (जूली फ्लोरा) बायोमास की कटाई के लिए नई तकनीकों को पेश किया गया है। इसेे विशेष रूप से किसान समूहों द्वारा डिजाइन किया गया है और स्थानीय स्तर पर तैयार किया गया है। इसने किसानों को लागत बचाने में मदद की है क्योंकि इसमें न्यूनतम रखरखाव की आवश्यकता होती है। अपने संयंत्र संचालन के लिए बायोमास ईंधन खरीदकर, अंबुजा सीमेंट किसानों और खेत मजदूरों के लिए उनके कचरे से कमाई करने और आय बढ़ाने के लिए संसाधन बनाकर एक महत्वपूर्ण प्रभाव उत्पन्न करता है।
इस प्रयास से लाभान्वित हुए किसान प्रह्लाद बावरिया ने एसीएफ की पार्टनर कंपनी बालाजी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी में शामिल होने के बाद अपनी आजीविका में व्यापक तौर पर बदलाव देखा है। अपनी छोटी-सी जमीन के साथ गहरे कर्ज में दबे होने के कारण वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ था। लेकिन आज अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन की पहल के कारण वह हर महीने लगभग 30,000 रुपए की आमदनी कर रहा है। न केवल उसने अपना कर्ज चुकाया है, उसके पास अब उसके साथ काम करने वाले 10-15 मजदूर भी हैं, उसके बच्चे निजी स्कूलों में जाते हैं और वह अपनी पत्नी के कॉस्मेटिक की दुकान खोलने के सपने को पूरा करने में सक्षम है। एक जिम्मेदार संगठन के रूप में, एसीएफ लगातार काम कर रहा है न केवल ग्रामीण समुदायों के जीवन में सुधार लाने के लिए, बल्कि एक हरित और बेहतर कल का निर्माण करने के लिए भी।