उदयपुर, 07 दिसंबर, 2021- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट उदयपुर ने डिजिटाइज़िंग द फ़्यूचर विषय के साथ ग्लोबल वेबिनार ‘‘डी‘फ्यूचर’’ का आयोजन किया। संस्थान ने अपनी एक दशक की यात्रा पूरी होने के मौके पर 2 और 3 दिसंबर को इस इवेंट का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में इंडस्ट्री के अग्रणी लोग, ब्रांड प्रबंधक और डिजिटल प्रमुखों के साथ-साथ संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में आईआईएम उदयपुर के निदेशक प्रो जनत शाह ने कहा, ‘‘डीश्फ्यूचर इवेंट वास्तव में हमारे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि यह आईआईएम उदयपुर की एक दशक की शानदार यात्रा को रेखांकित करता है। वास्तव में यह एक बहुत अच्छा एहसास है जब हमारी तरह दूसरी पीढ़ी का आईआईएम एक दशक का सफर पूरा करता है। एक संस्थान के रूप में, हम डिजिटल टैक्नोलाॅजी के बढ़ते महत्व को पहचानने में सबसे आगे रहे हैं और इस बात को भी हमने समझा है कि किस तरह डिजिटल टैक्नोलाॅजी ने कारोबारों और अर्थव्यवस्थाओं के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ऑनलाइन इवेंट डी‘फ्यूचर दरअसल डिजिटल टैक्नोलाॅजी के भविष्य को समझने की दिशा में ही एक कदम है। इसके माध्यम से हमने यह समझने का प्रयास किया है कि नए दौर की इस बदलती दुनिया में कारोबारी जगत के लिए किस तरह नए अवसर जुटाए जाएं। हमारे विचार में यह इवेंट आयोजित करने का यही सबसे उपयुक्त समय है। मुझे उम्मीद है कि यह इवेंट डिजिटल व्यापार की दुनिया पर कुछ विचारोत्तेजक चर्चाओं को गति देगा।’’
प्रो शाह ने प्रतिष्ठित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स से लेकर फैकल्टी, स्टाफ, पूर्व छात्रों, वर्तमान छात्रों, सेवा प्रदाताओं और आईआईएम उदयपुर के निर्माण में भूमिका निभाने वाले उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने आज इसे अपनी विशिष्ट स्थिति तक पहुंचाने में मदद की।
प्रो शाह ने कहा, ‘‘संस्थान ने कोर एरिया के रूप में डिजिटल टैक्नोलाॅजी और ग्राहकों पर फोकस को लागू किया है। आईआईएमयू का प्रयास है कि मैनेजमेंट रिसर्च के तौर-तरीकों के क्षेत्र मंे भी अग्रणी स्थिति को हासिल किया जाए और साथ ही इस क्षेत्र में डिजिटल टैक्नोलाॅजी को अपनाने में भी आगे रहने की कोशिश की जाए। संस्थान ने अपने सभी शैक्षिक कार्यक्रमों में डिजिटल से संबंधित पाठ्यक्रम भी शुरू किए हैं।’’
उन्होंने आईआईएम उदयपुर के विजन 2030 के आधार पर विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त बिजनेस स्कूल बनने पर जोर दिया, जो अनुसंधान में शीर्ष 100 में विश्व रैंकिंग के साथ है।
दो दिन के इस कार्यक्रम में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के प्रोफेसर डॉ सुनील गुप्ता ने पहले दिन मुख्य वक्ता के तौर पर भाषण दिया, इसके बाद सुश्री बिदिशा नागराज, वीपी मार्केटिंग ग्लोबल मार्केटिंग (सीएमओ) श्नाइडर इलेक्ट्रिक इंडिया और बोर्ड निदेशक श्नाइडर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के साथ एक पैनल चर्चा हुई। इसमें सुश्री कविता चतुर्वेदी, सीओओ, आईटीसी स्नैक फूड्स बिजनेस और श्री साइमन थॉमस, अवनाडे, सिंगापुर ने भी हिस्सा लिया।
इवेंट के दूसरे दिन बोस्टन कॉलेज के कैरोल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में इन्फाॅर्मेशन सिस्टम्स के प्रोफेसर डॉ. गेराल्ड केन ने मुख्य भाषण दिया, जिसके बाद सुश्री कनिका सांघी, पार्टनर और एसोसिएट डायरेक्टर, सेंटर फॉर कंज्यूमर इनसाइट, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के साथ एक पैनल चर्चा हुई। इसमें श्री संजय मेनन, एमडी, पब्लिसिस सैपिएंट, इंडिया, और डॉ. साइमन रॉबट्र्स, बोर्ड प्रेसीडेंट, एपिक पीपल एंड स्ट्राइप पार्टनर्स, यूके ने भी हिस्सा लिया।
डॉ गुप्ता ने ‘ड्राइविंग डिजिटल स्टेªटेजी – ए गाइड टू रीइमेजिनिंग योअर बिजनेस’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने प्रस्तुति में तीन ऐसे व्यापक विषयों को शामिल किया, जिनके माध्यम से कैसे एक संगठन डिजिटल रणनीतियों को आगे बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ग्राहकों को हमेशा यह पता नहीं होता कि उनके आसपास क्या घट रहा है। इसलिए जरूरी है कि एक व्यावसायिक अवसर के साथ शुरुआत करें, सर्वाेत्तम तकनीक की तलाश करें, ग्राहकों की समस्याओं की पहचान करें और उन्हें सर्वाेत्तम समाधान प्रदान करें।’’
डॉ गुप्ता ने आगे कहा, ‘‘नई तकनीक को अपनाने के साथ-साथ हमें अपने पारंपरिक तौर-तरीकों पर भी लगातार फोकस करते रहना चाहिए, क्योंकि अगर हम अपनी जड़ों से कट जाते हैं, तो हमें चीजों को समझने में मुश्किल आ सकती है। उसी तरह संगठन को आगे बढ़ाने के लिए हमंे डिजिटल रणनीतियों को अपनाना जरूर चाहिए, लेकिन अपने ग्राहकों को सर्वश्रेष्ठ प्रदान करने के अपने विरासत व्यवसायों पर भी टिके रहना चाहिए जरूरी है।’’
डॉ. गेराल्ड केन का मुख्य भाषण उनकी पुस्तक ‘द ट्रांसफॉर्मेशन मिथ- लीडिंग योर ऑर्गनाइजेशन थ्रू अनसर्टेन टाइम्स’ पर केंद्रित था। उन्होंने डिजिटल व्यापार विकास को समझने पर अपने पांच साल के शोध के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘‘कारोबारी दुनिया में आने वाले परिवर्तनों के साथ कदम मिलाते हुए संगठनों को अधिक सक्षम, अधिक विकसित, अधिक चुस्त और लचीला होने और अधिक अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। कई कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने कोविड महामारी से पहले के दौर में ही खुद को बदलाव के लिए तैयार कर लिया था और इसने उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने में सहायता की। अगर आप इतिहास को जानते हैं, तो आप भविष्य को जानते हैं और इससे आपको डिजिटल भूमिका निभाने के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।’’
पहले दिन की पैनल चर्चा ‘द बाइनरी स्विच- डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एंड द फ्यूचर ऑफ बिजनेस’ पर केंद्रित थी। इस दौरान संगठनों में टैक्नोलाॅजी के क्रियान्वयन पर खास तौर पर फोकस किया गया और इस दिशा में एक मिला-जुला इकोसिस्टम विकसित करने, नवीन तकनीकों का उपयोग करने और समस्या-समाधान कौशल पर जोर देने के सुझाव दिए गए।
दूसरे दिन पैनल परिचर्चा ‘सोसाइटी 2.0- द राइज़ ऑफ़ डिजिटल एंथ्रोपोलॉजी’ पर केंद्रित थी। इस दौरान वक्ताओं ने बिजनेस सेटिंग्स में डिजिटल एंथ्रोपोलाॅजी की प्रासंगिकता से संबंधित सवालों पर गहराई से चर्चा की। इस बात पर भी विचार-विमर्श किया गया कि कैसे डिजिटल एंथ्रोपोलाॅजी मार्केटिंग संबंधी समस्याओं का जवाब देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। चर्चा में शामिल ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना था कि डिजिटल एंथ्रोपोलाॅजी की अवधारणा को आज भले ही कम महत्वपूर्ण समझा जाता है, लेकिन जल्द ही एक दिन आ सकता है जब संगठनों में ‘डिजिटल एंथ्रोपोलाॅजिस्ट’ का भी पद होगा।
आईआईएम उदयपुर के प्रो. श्रीनिवास पिंगली और प्रो राजेश नानारपुझा ने क्रमशः पहले दिन और दूसरे दिन पैनल चर्चा का संचालन किया। सेंटर फॉर डिजिटल एंटरप्राइज मैनेजमेंट के हैड डॉ वाई शेखर ने स्वागत भाषण दिया और मुख्य वक्ताओं का परिचय दिया। वेबिनार में फैकल्टी, शोधकर्ताओं और छात्रों के साथ-साथ बिजनेस लीडर, ब्रांड मैनेजर, डिजिटल हेड और प्रोफेशनल के तौर पर 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।