अलवर 25 फरवरी 2022 . 36 वर्षीय गोकुल चंद सैनी राजस्थान के अलवर ज़िले से हैं। वे पॉलिटिकल साइंस और ज्योग्राफी में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा हैं और उन्होंने सोशल वर्क में मास्टर्स किया है। सैनी ने सरकारी नौकरी के साथ अपना करियर शुरू किया। हालांकि जल्द ही उन्होंने इस नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया क्योंकि वे समाज सेवा करना चाहते थे।
सीएससी एकेडमी के साथ एसोसिएशन
सैनी 2015 में इलेक्ट्रोनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के तहत सीएससी एकेडमी में शामिल हो गए, जहां उन्हें डिजिटल एवं वित्तीय साक्षरता पर आधारित विभिन्न प्रोग्रामों के बारे में पता चला। उन्हें लगा कि यह उनके जुनून को पूरा करने के लिए सही मंच है और उन्होंने ग्रामीण स्तरीय उद्यमियों के सीएससी नेटवर्क में अपना पंजीकरण करवा लिया। उचित प्रशिक्षण पाने के बाद सैनी ने अलवर के बंसूर के आस-पास महिला स्वयं-सहायता समूहों के लिए ने डिजिटल वित्तीय साक्षरता प्रोग्राम में अपना पहला प्रोजेक्ट किया।
उनके सामने आई चुनौतियां
गांवों में अपने दौरे के दौरान उन्होंने पाया कि ग्रामीणों, खासतौर पर महिलाओं को कई वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और वे धन प्रबन्धन के बारे में नहीं जानती हैं। उन्होंने ऐसी महिलाओं की कहानियां सुनी थी जिन्होंनें अपने बच्चों को पढ़ाने और अन्य ज़रूरतों के लिए ऋण लिए थे। लेकिन समय पर पैसा नहीं चुकाने के कारण उन्हें धमकाया जा रहा था। हालांकि सैनी इन चुनौतियों से घबराए नहीं और मजबूत इरादे के साथ उन्होंने ग्रामीण इलाकों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया।
‘जादू गिन्नी का’ के साथ वित्तीय साक्षरता
पिछले सात सालों में वीएलई के रूप में अपनी यात्रा के दौरान सैनी ने वोडाफोन आइडिया के ‘जादू गिन्नी का’ प्रोग्राम के ज़रिए वित्तीय साक्षरता पर ध्यान केन्द्रित किया और वित्तीय प्रबन्धन की आवश्यकता के बारे में जागरुकता फैलाई। ‘जादू गिन्नी का’ का संचालन लर्निंग लिंक्स फाउन्डेशन के साथ साझेदारी में किया जाता है। यह प्रोग्राम लोगों को वित्तीय अवधारणाओं जैसे निवेश, वित्तीय नियोजन, डिजिटल फाइनैंसिंग टूल्स आदि के बारे में शिक्षित बनाता है। यह प्रतियोगिता साधारण स्टोरीटैलिंग प्रारूप पर आधारित होती है और इसमें रोचक गेम्स और क्विज़ भी शामिल होते हैं।
सैनी के अनुसार ‘जादू गिन्नी का’ प्रोग्राम ने महिलाओं को सशक्त बनाया है।आज आस-पास के गांवों की 5220 से अधिक महिलाओं ने आगे बढ़कर स्वयं -सहायता समूह बनाए हैं। एक साथ मिलकर वे लगभग चार करोड़ की बचत कर चुकी हैं।
सैनी की डिजिटल फाइनैंशियल लिटरेसी परियोजना बेहद कारगर साबित हुई, उन्होंने हाल ही में वोडाफ़ोन आइडिया फाउन्डेशन के ‘जादू गिन्नी का’ प्रोग्राम द्वारा लॉन्च की गई टेक्नोलॉजी से लैस मोबाइल वैन को संचालित करने के लिए चुना गया।
इस मोबाइल वैन में लैपटॉप, एलसीडी स्क्रीन, स्पीकर और जनरेटर हैं। इसके ज़रिए अंसारी ऑडियो एवं विजु़अल कंटेंट के माध्यम से डिजिटल वित्तीय साक्षरता का संदेश देते हैं। मोबाइल वैन क्लासरूम ऑन व्हील्स की भूमिका भी निभाती है, जिसके माध्यम से ग्रामीणों को लैपटॉप के द्वारा वित्तीय साक्षरता पर आधारित रोचक क्विज़ में हिस्सा लेने का मौका भी मिलता है।
मूलभूत प्रभाव
‘जादू गिन्नी का’ प्रोग्राम के तहत सैनी और उनकी टीम ने 148 से अधिक गांवों का दौरा किया और 1.25 लाख युवाओं को वित्तीय साक्षरता पर शिक्षित किया है।
वे दूर-दराज के गांवों में 140 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है और उन्हें वित्तीय रूप से साक्षर बनाया है। आज ये महिलाएं खुद वीएलई हैं। उन्होंने बहुत से ग्रामीणों को ज़ीरो बैलेंस बैंक खाते खोलने, निवेश एवं बीमा के आवेदन के लिए मदद की। उन्होंने ग्रामीणों को नकदरहित लेनदेन में भी सहयोग प्रदान किया है।
कोविड-19 के बारे में जागरुकता बढ़ाना
सैनी ने कोविड महामारी के दौरान मोबाइल वैन के माध्यम से कोविड जागरुकता अभियानों का आयोजन भी किया, मास्क और सैनिटाइज़र बांटे। मोबाइल वैन का उपयोग कर उन्होंने ज़रूरतमंद परिवारों तक सूखा राशन भी पहुंचाया।
भविष्य के लिए संभावनाएं
जब उनसे पूछा गया कि भविष्य में वीएलई के रूप में वे क्या करेंगे, उन्होंने उत्साहित होकर कहा ‘‘मैं भारत में बुनियादी स्तर पर बड़ा बदलाव लाना चाहता हूं।’’