Editor-Manish Mathur
जयपुर, 07 मार्च। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2022 ने, जयपुर से पांच दिवसीय वर्चुअल प्रोग्राम की शुरुआत की| आइकोनिक फेस्टिवल के 15वें संस्करण की ज़ोरदार शुरुआत नामी सितारों से सजी संगीतमयी प्रस्तुति से हुई, इसमें शामिल रहे बी.सी. मंजूनाथ, दर्शन दोशी, नाथूलाल सोलंकी, प्रमथ किरण व प्रवीण डी. राव| 2022 संस्करण के उद्घाटन सत्र में फेस्टिवल प्रोडूसर, संजॉय के. रॉय और फेस्टिवल डायरेक्टर्स, नमिता गोखले और विलियम डेलरिम्पल ने अपने विचार व्यक्त किये|
स्वागत वक्तव्य में, संजॉय के. रॉय ने अपने वर्तमान को समझने पर जोर दिया| उन्होंने कहा, “हमें अपने अतीत को देखते हुए, अपने बच्चों और अपनी धरती के लिए एक बेहतर भविष्य बुनने का प्रयास करना चाहिए—इसे व्यक्त करने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है साहित्य और लेखन| हमारी डिजिटल सीरिज जेएलएफ ब्रेव न्यू वर्ल्ड, जेएलएफ वर्ड्स आर ब्रिजेस, और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2021 (डिजिटल) के माध्यम से हम दुनियाभर के 27.5 मिलियन लोगों से जुड़े| आज आप बड़ी सहजता से, जयपुर में आये बिना भी इस फेस्टिवल का हिस्सा बन सकते हैं| हमारी सीरिज ‘द अर्जेंसी ऑफ़ बोरोड टाइम’, बताती है कि हम फेस्टिवल के माध्यम से वर्तमान से क्या आशा रखते हैं|”
श्रोताओं का स्वागत करते हुए, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की को-डायरेक्टर नमिता गोखले ने कहा, “युद्ध के बादल हमारी पृथ्वी पर गहरा रहे हैं, वो भी ऐसे समय में जब हम अभी महामारी से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तभी हमारे सामने विनाश का ये मंजर आ खड़ा हुआ| इस सबके बीच साहित्य, संगीत, काव्य और अपनी कहानी कहने का जज्बा ही हमारी प्रेरणा बनता है| फेस्टिवल का यह संस्करण दिल, दिमाग और बुद्धि के नाम रहेगा| ये हमारी वर्तमान समस्याओं का प्रतिनिधित्व करते हुए, साहित्य के माध्यम से गंभीर सवालों के जवाब तलाशने का प्रयत्न है|”
“आशा है कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल हममें से कईयों की प्रेरणा बनेगा, खासकर उन साहित्य प्रेमियों के लिए, जो अपने प्रिय लेखकों से मिलने के लिए बेचैन थे| इतने शानदार लाइन-अप की तुलना दुनिया के किसी भी अन्य लिटरेरी फेस्टिवल से नहीं की जा सकती, और हमें गर्व हैं कि अगले कुछ दिनों में हम क्लार्क्स आमेर, जयपुर से ये प्रस्तुति करेंगे,” फेस्टिवल के को-डायरेक्टर विलियम डेलरिम्पल ने कहा|
उद्घाटन संभाषण के समापन पर, टीमवर्क आर्ट्स की प्रेसिडेंट, प्रीता सिंह ने कहा, “दूसरा 10-दिवसीय वर्चुअल फेस्टिवल करते हुए हमें गर्व है कि आप अपने घर के आरामदायक वातावरण में, दुनियाभर के श्रेष्ठ वक्ताओं को सुन सकते हैं|”
अगले सत्र में साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुलरज़ाक गुरनाह और अलेक्सांद्र प्रिंगल ने श्रोताओं को संबोधित किया| गुरनाह का परिचय प्रिंगल ने स्वीडिश अकादमी के उद्धरण से दिया, जिसमें अकादमी ने गुरनाह के काम को “उपनिवेशवाद और शरणार्थियों की नियति का बेबाक और संवेदनशील वर्णन” बताया| सत्र में गुरनाह ने भाषा के साथ अपने रिश्ते को समझाया और बताया कि कैसे वो भिन्न भाषाएँ सुनकर बड़े हुए| “इंग्लिश हमारे सीखने-पढ़ने की भाषा थी, बोलने की नहीं| वैसे ही जैसे ख़ास तरीके से फ्रेंच सिखाई जाती है| मैं शायद 8 या 9 साल का था, जब मैंने सहजता से अंग्रेजी सीख ली थी और ये किसी तरह का टेलेंट नहीं था,” गुरनाह ने कहा|
एक अन्य दिलचस्प सत्र में अमेरिकी लेखक और पत्रकार पैट्रिक रेडेन कीफ ने टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के. रॉय के साथ अपनी किताब, एम्पायर ऑफ़ पेन: द सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ़ द सेक्लर डायनेस्टी, पर चर्चा की| कीफ ने कहा, “मैंने महज पिछले कुछ दशकों में अफीम से बनी दवाइयों के संकट पर ही फोकस नहीं किया, बल्कि अमेरिका की बड़ी दवाई कम्पनियों के इतिहास में गहराई से उतरने की कोशिश की है|”
पुरस्कृत ब्रिटिश-तुर्की उपन्यासकार और कार्यकर्त्ता एलिफ शफ़क ने अपने नए उपन्यास, द आइलैंड ऑफ़ मिसिंग ट्री पर बात की| यह उपन्यास युद्ध की विभीषिका, विस्थापन और मरती हुई उम्मीद पर आधारित है| नंदिनी नायर के साथ संवाद में, शफाक ने बंजारों के जीवन और एक व्यवस्थित जीवन का फर्क बताया| उन्होंने बताया कि अलग शहर में, अलग संस्कृति से तालमेल बिठाने में क्या परेशानियाँ सामने आती हैं|