मुंबई, नई दिल्ली, 14 अप्रैल, 2022- डीकार्बाेनाइजेशन की दिशा में देश को और आगे बढ़ाने के लिए देश की शीर्ष रिफाइनर और ईंधन रिटेलर इंडियन ऑयल कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (इंडियनऑयल), भारत की प्रमुख इंजीनियरिंग, निर्माण और आईटी/टीएस सेवाओं के समूह लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) और भारत की अग्रणी अक्षय ऊर्जा कंपनी रीन्यू पावर (NASDAQ:RNW,RNWWW) ने एक संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी के गठन का एलान किया है। यह कंपनी देश में ग्रीन हाइड्रोजन बिजनेस के विकास के लिए गठित की गई है।
यह त्रिपक्षीय उद्यम एक ऐसा गठबंधन है, जो ईपीसी परियोजनाओं को डिजाइन करने, उन्हें लागू करने और डिलीवर करने में एलएंडटी की मजबूत साख, पेट्रोलियम रिफाइनिंग में इंडियन ऑयल की स्थापित विशेषज्ञता के साथ-साथ एनर्जी स्पेक्ट्रम में अपनी उपस्थिति और अक्षय ऊर्जा समाधान में रीन्यू की विशेषज्ञता को एक साथ लाता है।
इसके अतिरिक्त, इंडियन ऑयल और एलएंडटी ने ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में प्रयुक्त इलेक्ट्रोलाइजर्स के निर्माण और बिक्री के लिए इक्विटी भागीदारी के साथ एक संयुक्त उद्यम बनाने के लिए एक बाध्यकारी टर्म शीट पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
संयुक्त उद्यम के बारे में जानकारी देते हुए एलएंडटी के सीईओ और एमडी श्री एसएन सुब्रह्मण्यन ने कहा, ‘‘भारत अपने डीकार्बाेनाइजेशन प्रयासों में तेजी से आगे बढ़ने की योजना बना रहा है और इस प्रयास में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इंडियन ऑयल-एलएंडटी-रीन्यू की ओर से गठित संयुक्त उद्यम समयबद्ध तरीके से ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस तरह औद्योगिक पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन की आपूर्ति संभव हो सकेगी। इस संयुक्त उद्यम के रूप में एलएंडटी अपनी मजबूत ईपीसी साख को सामने लाएगा, जबकि आईओसी भारत का प्रमुख तेल रिफाइनर है, जिसमें रासायनिक प्रक्रियाओं और रिफाइनिंग में व्यापक क्षमताएं हैं, जिसने हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला के कई पहलुओं में गहरी आरएंडडी क्षमताओं को स्थापित किया है। इनके साथ ही रीन्यू पावर ने भी कम समय में खुद को स्थापित किया है और एक प्रमुख अक्षय ऊर्जा आपूर्तिकर्ता के रूप में खुद को मजबूती से कायम किया है। हम इस साझेदारी को वैकल्पिक ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं। साथ ही, ग्रीन हाइड्रोजन निर्माण श्रृंखला में व्याप्त अंतर को दूर करते हुए, इंडियन ऑयल-एलएंडटी जेवी इलेक्ट्रोलाइज़र के उत्पादन और बिक्री पर ध्यान केंद्रित करेगा।’’
‘‘इन दोनों संयुक्त उपक्रमों का उद्देश्य देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को तेजी से आगे बढ़ाते हुए हरित हाइड्रोजन को एक लागत प्रभावी ऊर्जा वाहक और कई क्षेत्रों के लिए एक रासायनिक फीडस्टॉक बनाने में सक्षम बनाना है।’’
इस अवसर पर टिप्पणी करते हुए इंडियन ऑयल के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा, ‘‘भारत की ऊर्जा का केंद्र होने के नाते, हम हरित हाइड्रोजन की शक्ति का लाभ उठाकर कार्बन न्यूट्रिलिटी की दिशा में भारत के अभियान को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इंडियन ऑयल भारत की हरित हाइड्रोजन संबंधी योजनाओं को साकार करने के लिए इस गठबंधन में शामिल हुआ है, जो भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात केंद्र बनाने के माननीय प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है। शुरुआत में, यह साझेदारी हमारी मथुरा और पानीपत रिफाइनरियों में हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं पर केंद्रित होगी। साथ ही भारत में अन्य हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं का भी मूल्यांकन किया जाएगा। हालांकि मोबिलिटी सेक्टर में हाइड्रोजन के इस्तेमाल में समय लगेगा, लेकिन रिफाइनरियां वह धुरी होंगी जिसके इर्दगिर्द भारत की हरित हाइड्रोजन क्रांति काफी हद तक मूर्त रूप ले लेगी।’’
‘’आज की गई साझेदारी इस प्रकार भारत के ऊर्जा क्षेत्र में हरित क्रांति को आगे बढ़ाने में सहायक होगी।’’
रीन्यू पावर के चेयरमैन और सीईओ श्री सुमंत सिन्हा ने कहा, ‘‘माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित 2030 और 2070 के लिए सरकार के व्यापक रणनीतिक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप, रीन्यू एलएंडटी और इंडियन ऑयल के साथ काम करने के लिए हरित हाइड्रोजन बिजनेस को डेवलप करने के लिए तत्पर है। रीन्यू, इंटेलिजेंट एनर्जी सॉल्यूशंस में एक लीडर के रूप में और अक्षय ऊर्जा से जुड़ी टैक्नोलॉजी में उन्नत क्षमता के साथ, हमारे भागीदारों की क्षमताओं के समकक्ष खड़े होने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।’’
‘‘इन प्रस्तावित संयुक्त उद्यमों के लिए समय बहुत अच्छा है क्योंकि ये भारत सरकार की हाल ही में घोषित हरित हाइड्रोजन नीति का समर्थन करने में मदद करेंगे ताकि भारत इंक. की डीकार्बाेनाइजेशन यात्रा को बढ़ावा दिया जा सके।’’
प्रस्तावित संयुक्त उपक्रमों का उद्देश्य भारत को एक ग्रे हाइड्रोजन इकोनॉमी से एक ग्रीन इकोनॉमी में बदलने में सक्षम बनाना है, जो अक्षय ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से हाइड्रोजन का तेजी से निर्माण करती है।
केंद्र सरकार ने फरवरी में ग्रीन हाइड्रोजन नीति को अधिसूचित किया था, जिसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के उत्पादन को बढ़ावा देना है, ताकि देश को इन तत्वों के पर्यावरण के अनुकूल वर्शन के लिए ग्लोबल सेंटर बनने में मदद मिल सके।
अपने बढ़ते तेल और गैस आयात बिल के साथ भारत जैसे देशों के लिए दरअसल ग्रीन हाइड्रोजन आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करके महत्वपूर्ण ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने में भी मदद कर सकता है।
आज भारत में उत्पादित हाइड्रोजन की लगभग पूरी मात्रा ग्रे हाइड्रोजन की श्रेणी में आती है, फिर भी यह अनुमान है कि 2030 तक हाइड्रोजन की मांग 12 एमएमटी होगी और देश में उत्पादित हाइड्रोजन का लगभग 40 प्रतिशत (लगभग 5 एमएमटी) हिस्सा हरित हाइड्रोजन का होगा, जैसा कि नेशनल हाइड्रोजन मिशन के मसौदे में बताया गया है।
2050 तक, भारत में नवीकरणीय बिजली और इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित लगभग 80 प्रतिशत हाइड्रोजन के ग्रीन होने का अनुमान है। 2030 तक हरित हाइड्रोजन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी मार्ग बन सकता है। उत्पादन से जुड़ी प्रमुख टैक्नोलॉजी और सोलर पीवी और विंड टर्बाइन्स जैसी क्लीन एनर्जी टैक्नोलॉजी की लागत में संभावित गिरावट से ऐसा हो सकता है।
आज, हाइड्रोजन का उपयोग मुख्य रूप से रिफाइनिंग, स्टील और उर्वरक क्षेत्रों में किया जाता है, जो कि संयुक्त उद्यम के शुरुआती प्रयासों का फोकस होगा। देश का रिफाइनिंग सेक्टर हर साल लगभग 2 एमएमटी ग्रे हाइड्रोजन की खपत करता है, जबकि इंडियन ऑयल के पास अपने रिफाइनिंग आउटपुट का सबसे बड़ा हिस्सा है।
भारतीय उद्योग जगत को कार्बन मुक्त करने में मदद करने के लिए नई हरित हाइड्रोजन नीति में 25 वर्षों की अवधि के लिए अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन चार्जेज में छूट और 30 दिनों तक के बैंकिंग प्रावधान की व्यवस्था है, जो हरित हाइड्रोजन की लागत को काफी कम करने में मदद करेगा। इस तरह यह ग्रे हाइड्रोजन के स्थान पर ग्रीन हाइड्रोजन को आगे बढ़ाएगा। विद्युत मंत्रालय ने हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर सभी मंजूरी और खुली पहुंच के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल भी प्रदान किया है।