Editor- Manish Mathur
उदयपुर 17 मई। पैरालम्पिक कमेटी ऑफ इण्डिया की अध्यक्ष एवं अर्जुन अवार्डी पैरा आॅलम्पियन दीपा मलिक ने दिव्यांगजन से कहा कि वे दिल से डर और निराशा को दूर करें और अत्याधुनिक सहायक उपकरणों की मदद लेकर जीवन को संवारने की पहल करें। वे रविवार को नारायण सेवा संस्थान के लियों का गुड़ा परिसर में अन्तर्राष्ट्रीय रोटरी के सहयोग से दो करोड़ की लागत से स्थापित देश की पहली अत्याधुनिक कृत्रिम अंग निर्माण इकाई का उद्घाटन कर रही थी। उन्होंने अपने जीवन संघर्ष से रूबरू कराते हुए कहा कि विकलांगता के दंश के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सार्थक जीवन के लिए सकारात्मक सोच और कड़े परिश्रम के साथ आगे बढ़ी। नारायण सेवा संस्थान द्वारा दिव्यांगजन के जीवन को बेहतर बनाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस ईकाई में बनने वाले कृत्रिम अंग दिव्यांगजन को सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या के निर्वाह में सहायक होंगे।
संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव’ ने मुख्य अतिथि दीपा मलिक, विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा व रोटरी क्लब, उदयपुर मेवाड़ के पदाधिकारियों का स्वागत किया। संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने कहा कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं चिंता का विषय हैं। इसमें हाथ-पैर खोने वाले ही नही, उनके परिवार भी अत्यंत कष्टदायी ज़िन्दगी जीने को मजबूर हो जाते हैं । आंकड़ों की बात करें तो देश की कुल आबादी का लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा दिव्यांगता का शिकार है, इसमें ज्यादा संख्या कटे हाथ-पैर वालों की है। ऑटोबोक जर्मनी से आयातित मशिनों से इस ईकाई में बनने वाले कृत्रिम अंग दिव्यांगजन को निःशुल्क उपलब्ध करवायें जायेंगे जो उनके जीवन को आसान बनायेंगे।
रोटरी क्लब ऑफ उदयपुर-मेवाड़ के संरक्षक हंसराज चैधरी ने कहा कि नारायण सेवा संस्थान द्वारा दिव्यांगजन के जीवन को बेहतर बनाने के पिछले 37 वर्षो से किये जा रहे कार्यों से इम्यूरी ड्यूड हिल्स यूएसए काफी प्रभावित हुआ और उसने इस ईकाई में सहयोग के लिए रोटरी क्लब उदयपुर की अनुशंसा को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकार किया। इससे संस्थान को देश ही नही विदेशों में भी कृत्रिम अंग लगाने के कार्यों में गति और आसानी होगी। संस्थान के प्रोस्थेटिक एवं ऑर्थोटिक यूनिट हेड मानस रंजन साहू ने नव स्थापित सेन्ट्रल फेब्रिकेशन यूनिट की प्रणाली और उपयोगिता की जानकारी दी। उद्घाटन समारोह में रोटरी कल्ब के अध्यक्ष आशीष हरकावत, पूर्व प्रांतपाल निर्मल सिंघवी, पूर्व अध्यक्ष सुरेश जैन, संस्थान सहसंस्थापिका कमला देवी अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल तथा परियोजना प्रभारी रविश कावडिया भी मौजूद थे। संचालन महिम जैन ने किया।