जयपुर, 05 मई 2022- जयपुर के सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज स्थित यूरोलॉजी विभाग ने मिनिमम इनवेसिव केयर तकनीकों की वर्ल्ड लीडर और रोबोट-असिस्टेड सर्जरी (आरएएस) में अग्रणी इंट्यूएटिव सर्जिकल की भारतीय शाखा इंट्यूएटिव इंडिया के साथ एक सहयोग किया। सहयोग का मकसद सर्जन बिरादरी के बीच रोबोट-असिस्टेड सर्जरी के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। इंट्यूएटिव के रोविंग-रोबोट कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के नए बने सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में ‘दा विंची शी सिस्टम’ का उपयोग करके रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी पर चार दिवसीय व्यावहारिक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य और राज्य उत्पाद शुल्क के कैबिनेट मंत्री श्री परसादी लाल मीणा ने राजस्थान चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव श्री वैभव गलरिया और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य और नियंत्रक डॉ. सुधीर भंडारी के साथ वर्कशॉप का दौरा किया।
इस पहल का उद्देश्य चिकित्सा बिरादरी को रोबोट-असिस्टेड सर्जरी, इसकी विशेषताओं और नैदानिक अनुप्रयोगों से परिचित कराना है। इंट्यूएटिव अपने रोविंग-रोबोट कार्यक्रम के एक भाग के रूप में भारत भर के संस्थानों और अस्पतालों के सहयोग से इस तरह की और कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है।
वर्कशॉप पर टिप्पणी करते हुए सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज के प्रो. (डॉ) शिवम प्रियदर्शी ने कहा, ‘इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पूरा विभाग उत्साहित था और इस जबरदस्त प्रतिक्रिया ने हमें रोबोट-असिस्टेड सर्जरी पर ऐसी और भी वर्कशॉप करने पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। वर्कशॉप्स उभरते सर्जनों के बीच आरएएस के लिए रुचि बढ़ाएंगी और रोगी पर बेहतर परिणामों के लिए इस तरह के सहायक उपकरणों को अपनाने की दर बढ़ेगी।’
आयोजन समिति ने सर्जन और रेजिडेंट्स को प्रेक्टिकल नॉलेज देने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया था। इंट्यूएटिव की नवीनतम ‘दा विंची शी’ टैक्नोलॉजी के साथ हुई वर्कशॉप ने रीयल-टाइम विज़ुअल असिस्टेंट, ड्यूल ग्रिप तकनीक और सिलाई और सिमुलेशन अभ्यास के लिए उन्नत तकनीकों का भी प्रदर्शन किया। फायरफ्लाई, फोर्स बाइपोलर, स्टेपलर, वेसल सीलर, और सिलाई और सिमुलेशन अभ्यास जैसी उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन भी इस कार्यशाला का एक हिस्सा था।
इंट्यूएटिव इंडिया के वीपी और जनरल मैनेजर मनदीप सिंह कुमार ने कहा, ‘भारत में ऐसे हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही हैं, जो अपने मरीजों की बेहतर सेवा के लिए उन्नत सर्जिकल तकनीकों को अपनाने के इच्छुक हैं। रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी के लाभों को तेजी से समझाने के लिए इंट्यूएटिव अस्पतालों और प्रसिद्ध चिकित्सा संस्थानों के साथ रोविंग-रोबोट जैसी पहल के माध्यम से सहयोग कर रहा है। इस तरह की शैक्षिक पहल क्लिनिकल रिजल्ट में सुधार के लिए तकनीक और इसके इस्तेमाल की एक मजबूत समझ बनाने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। हमारा मानना है कि पर्याप्त प्रशिक्षण के माध्यम से सर्जनों को कुशल बनाने और उनकी रोबोटिक्स जर्नी में इस तरह के रोबोटिक कार्यक्रम लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण है।’
आरएएस के लाभों पर जोर देते हुए, प्रो. (डॉ) शिवम प्रियदर्शी ने कहा, ‘ सर्जरी के लिए रोबोट एक मिनिमम इनवेसिव नजरिया देता है। हालांकि, यह अपनेआप कुछ नहीं कर सकता। इसे सही तरह से संचालित करने वाले चिकित्सक होते हैं। रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी (आरएएस) सर्जनों को बेहतर सटीकता, लचीलेपन और नियंत्रण के साथ कुछ जटिल प्रमुख सर्जिकल प्रक्रियाओं को करने की क्षमता प्रदान कर सकती है।’
प्रो. (डॉ.) शिवम प्रियदर्शी की अध्यक्षता में यूरोलॉजी के स्नातकोत्तर विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में यूरोलॉजी विभाग के सर्जन एवं रेजिडेंट्स शामिल हुए। एसएमएस मेडिकल कॉलेज में यूरोलॉजी विभाग देश में सबसे बड़ा है जिसमें प्रति वर्ष 10 एम.सीएच रेजिडेंट्स और 13 संकाय सदस्य होते हैं। इसे दुनिया में सिंगल सेंटर पीसीसीएनएलडी की सबसे बड़ी शृंखला में से एक होने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। विभाग में यूरोनकोलॉजी, पीडियाट्रिक यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी, स्टोन क्लिनिक और ट्रांसप्लांट क्लिनिक सहित विशिष्ट ओपीडी शामिल हैं जो जल्द ही नए ब्लॉक में शुरू होंगे। विभाग की अच्छी अकादमिक प्रतिष्ठा है और दुनिया भर में विभिन्न प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिकाओं में विभाग के कई शोध पत्र प्रकाशित हैं।