‘‘भारत आयात मूल्य के 1/4वें हिस्से पर तेल का उत्पादन कर सकता है, जबकि केयर्न भारत सरकार को 26 डॉलर पर तेल उपलब्ध करा रहा है। भारत एक तरह से प्रतिभाशाली लोगों का पावरहाउस है और टेक्नोलॉजी, रिसर्च और इनोवेशन की दुनिया में आगे बढ़ने की राह पर है। हमारा आर्थिक विकास पुराने उद्योगों और स्टार्ट-अप के संयोजन से संचालित होता है। हमारे स्टार्ट-अप्स और उद्यमियों को बिना किसी डर और बाधाओं के काम पर अपनी ऊर्जा लगाने के लिए प्रोत्साहित करने से सरकार के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार और बड़े पैमाने पर राजस्व का सृजन होगा। उन्हें निजी इक्विटी से धन प्राप्त करके और खोज के बाद अपने लाइसेंस बेचकर, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ऑटोमेशन और डेटा एनालिटिक्स जैसी नवीनतम तकनीकों के साथ नई खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए माननीय प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप भारत में किफायती तेल और गैस भी प्राप्त हो सकती है।
भारत को निवेश के लिए एक ग्लोबल डेस्टिनेशन के रूप में पेश करते हुए, माननीय प्रधान मंत्री ने अनेक अवसरों पर उल्लेख किया है कि भारत लालफीताशाही के स्थान पर अब रेट कार्पेट में बदल रहा है। यह वह समय है जब सभी खदान पट्टे कम से कम 50 वर्षों के लिए होने चाहिए ताकि भारतीय और विदेशी कंपनियां अच्छी तरह से योजना बना सकें और निष्पादित कर सकें। सभी मौजूदा खदानें, जिन्हें निजी क्षेत्र द्वारा खोजा गया था लेकिन जहां काम रोक दिया गया है, उन्हें वापस दी जानी चाहिए। यदि सरकार अधिक राजस्व चाहती है, तो वह उचित होने पर शुल्क और रॉयल्टी बढ़ा सकती है, लेकिन हम उत्पादन को रोकने का जोखिम नहीं उठा सकते। अगर हम अगले दो दशकों में न केवल 5 ट्रिलियन डॉलर बल्कि 15-20 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं, तो एक अच्छी तरह से काम करने वाले खानों और खनिज क्षेत्र को एक बड़ी भूमिका निभानी होगी। इसके अलावा, हमें सेल्फ-सर्टिफिकेशन की एक प्रणाली की ओर बढ़ना चाहिए और उसमें ही उत्पादन को 2-3 गुना बढ़ाने की क्षमता है।
भारत के लिए धातुओं, दुर्लभ धातुओं, खनिजों और हाइड्रोकार्बन की विस्तृत श्रृंखला के लिए अपनी एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन नीति को उदार बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रकृति की ओर से भारत को धातुओं और खनिजों के महत्वपूर्ण भंडार का उपहार हासिल हुआ है, लेकिन यह विडंबना है कि हम साल-दर-साल भारी आयात बिल का भुगतान करते रहते हैं। इन सभी धातुओं को आने वाले दशकों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है क्योंकि अत्याधुनिक टैक्नोलॉजी के निर्माण में इनका व्यापक उपयोग किया जाता है। मजबूत घरेलू उत्पादन हमें किसी भी वैश्विक संकट से बचाएगा, उद्यमिता को प्रोत्साहित करेगा, बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करेगा और एक जीवंत इकोसिस्टम का निर्माण करेगा।
सरकारी सूचीबद्ध कंपनियों के मूल्यांकन में कुछ कंपनियों का निजीकरण और अन्य कंपनियों का निगमीकरण दोनों से 10 गुना वृद्धि की जा सकती है क्योंकि हमारे सार्वजनिक उपक्रमों के पास न केवल अच्छी संपत्ति है बल्कि मजबूत मानव पूंजी भी है। 20 प्रतिशत कंपनियों का निजीकरण किया जा सकता है, बाकी, रक्षा कारखानों सहित, को इस शर्त के साथ निगमित किया जाना चाहिए कि कोई नौकरी का नुकसान नहीं होगा, और किसी को भी 5 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने की अनुमति नहीं होगी। यह कंपनी चलाने के दौरान ब्रॉड बेस होल्डिंग और व्यावसायिकता की शुरूआत करेगा। यह मॉडल अमेरिका और पश्चिमी दुनिया में पहले ही सफल हो चुका है। जैसा कि हमारे प्रधान मंत्री ने कहा है कि कारोबार करना सरकार का काम नहीं है, इसी क्रम में पर्यटन क्षेत्र का निजीकरण या निगमीकरण भी बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करेगा और भारत में 10 गुना अधिक पर्यटकों को आकर्षित करेगा। पर्यटक हर साल 15-20 मिलियन से बढ़कर लगभग 100 मिलियन हो सकते हैं।’’