क्या आपने देखा है जयपुर का चरण मंदिर

Editor- Manish Mathur

जयपुर  19 अगस्त 2022 : छोटी काशी में नाहरगढ़ की पहाड़ियों में स्थित श्री चरण मन्दिर भगवान श्री कृष्ण की पावन भूमि है । जयपुर के दो प्रसिद्ध पर्यटन स्थल जयगढ़ फोर्ट और नाहरगढ़ फोर्ट की ऐतिहासिक इमारतों के मध्य स्थित है चरण मन्दिर । यहाँ पर द्वापर समय के भगवान श्री कृष्ण के दाहिने पैर व उनकी गायों के पांच खुरों के प्राकृतिक निशान की पूजा होती है । श्री चरण मन्दिर का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम ने करवाया था । किवदन्ती के अनुसार महाराजा मानसिंह प्रथम को भगवान श्रीकृष्ण ने स्वप्न में आकर अम्बिका वन (आमेर पहाड़ी) पर अपना चरण चिन्ह होने का स्थान बताया व मन्दिर बनाने के लिए कहा ।


राजा मानसिंह ने सेवकों से इस स्थान की खोज करवायी । राजा स्वयं अपने पुरोहितों के साथ इस स्थान पर आये । पुरोहितों ने इस चरण चिन्ह को द्वापर के समय का बताया और श्रीमद् भागवत कथा के 10 वें स्कन्ध के चौथे अध्याय में वर्णित विद्याधर (सुदर्शन) के उद्धार की कथा सुनाई ।
एक बार नन्द बाबा, श्रीकृष्ण और ग्वाल बालों ने अम्बिका वन (आमेर पहाड़ी) की‌ यात्रा की । अम्बिका वन में बड़ा भारी अजगर रहता था । उसने नन्द बाबा का पैर पकड़ लिया । नन्द बाबा ने अपनी सहायता के लिए श्रीकृष्ण को पुकारा । भगवान श्रीकृष्ण वहाँ दौड़कर पहुँचे और उस अजगर को दाहिने चरण का स्पर्श किया । उस स्पर्श मात्र से ही वह अजगर अपनी अजगर देह छोड़कर सर्वांग सुन्दर रूपवान पुरुष बन गया । उस पुरुष में से दिव्य प्रकाश निकल रहा था । वह पुरुष हाथ जोड़कर भगवान श्रीकृष्ण के‌ सामने खड़ा हो गया व उसने कहा “भगवान मैं इन्द्र पुरुष विद्याधर था । मेरा नाम सुदर्शन था । मेरे पास सौन्दर्य तथा लक्ष्मी भी बहुत थी । मैं एक दिन अपने विमान से आकाश विहार कर रहा था । तभी मैंने अंगिरा गौत्र के कुरूप ऋषियों को देखा वो अपने सौन्दर्य के घमंड में उनकी हँसी उड़ाई । मेरे इस कृत्य से क्रोधित होकर ऋषियों ने मुझे अजगर योनि में जाने का श्राप दे‌ दिया । यह मेरे पाप का फल था । अब मैं आपके चरणों के स्पर्श से श्राप से मुक्त हो गया हूँ ।” व उसने भगवान की परिक्रमा की एवं हाथ जोड़कर भगवान से अपने लोक जाने की आज्ञा माँगी । यह वही पवित्र भूमि हैं जहाँ भगवान श्रीकृष्ण‌ स्वयं पधारे थे । इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण व गायों के चरण चिन्ह है । यह चरण चिन्ह चमत्कारी हैं । इसके दर्शन से सुख-सम्पन्नता तथा मनोकामना पूर्ण होती हैं व सारे पाप नष्ट हो जाते हैं ।

महाराजा मानसिंह प्रथम ने इस मन्दिर के निर्माण के पश्‍चात् इसे पुरोहित जी को भेंट में दे दिया । उस समय राजा प्रतिदिन दर्शन करने आते थे व सेवा-भोग का खर्च उठाते थे । उस समय से आज तक पुरोहित परिवार पीढ़ियों से इस बियावन जंगल में रहकर भगवान की सेवा-पूजा करता आ रहा हैं । वर्तमान में मन्दिर विकास एवं प्रगति कार्य जन सहयोग से किया जा रहा है । नाहरगढ़ पहाड़ी पर चरण मंदिर के नीचे सुदर्शन की खोळ और नाहरगढ़ में सुदर्शन मंदिर आज भी प्रसिद्ध है । महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने नाहरगढ़ पहाड़ी पर सुदर्शन गढ़ के नाम से किला बनवाना शुरू किया, लेकिन नाहरसिंह भोमिया के व्यवधान के कारण किले का नाम सुदर्शन गढ़ के बजाय नाहरगढ़ रखा गया । मान्यता‌ है कि बृज से आमेर के नाहरगढ़ पहाडियों के क्षेत्र में पहले कदम्ब के पेड़ों का घना वन भी था । चरण मंदिर के नीचे सुदर्शन की खोळ में श्रीकृष्ण के अति प्रिय कदम्ब के हजारों पेड़ आज भी मौजूद है । यहाँ स्थित कदम्ब कुण्ड में हजारों कदम्ब के पेड़ है ‌।

About Manish Mathur