मीठापुर, 31 अगस्त, 2022| टाटा केमिकल्स ने अपने ‘सेव ह्वेल शार्क’ अभियान के माध्यम से गुजरात के समुद्र तट से लगे सौराष्ट्र क्षेत्र में अब तक इन लुप्तप्राय प्रजातियों में से 850 से अधिक को बचाया है। टाटा केमिकल्स, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) और गुजरात वन विभाग की इस पहल को व्यापक समर्थन मिला है। गुजरात के मछुआरा समुदायों द्वारा किए जाने वाले अवैध शिकार के मामलों में 1999-2000 के लगभग 600 से 2021 में शून्य तक की गिरावट आई है।
इस परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए, गुजरात वाटर्स के ह्वेल शार्क के प्रवास अनुसंधान अध्ययन किए गए हैं। बचाए गए ह्वेल शार्क पर अब तक आठ उपग्रह ट्रांसमीटर तैनात किए जा चुके हैं। ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंस (एआईएमएस) के सहयोग से परिणामों का विश्लेषण किया गया और इसे इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस में प्रकाशित किया गया। गुजरात के समुद्री जल में बचाई गई ह्वेल शार्क से 18 आनुवंशिक अध्ययन के नमूने एकत्र किए गए हैं और उनका विश्लेषण किया गया है।
इस अभियान के अंतर्गत, टाटा केमिकल्स हर साल श्रृंखलाबद्ध गतिविधियां आयोजित करता है। 14वें अंतर्राष्ट्रीय ह्वेल शार्क दिवस के उपलक्ष्य में, मीठापुर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन के दौरान, दो दशकों की संरक्षण साझेदारी, हासिल की गई उपलब्धियों, सामना की गई चुनौतियों और आगे की राह पर चर्चा की गई। डब्ल्यूटीआई के मैनेजर और टेक्निकल हेड – मरीन प्रोजेक्ट्स, बी.एम. प्रवीण कुमार; डब्ल्यूटीआई के कार्यकारी न्यासी, प्रो. बी. सी. चौधरी; वन विभाग के डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (एसएफ), श्री अग्नीश्वर व्यास; टाटा केमिकल्स के हेड – ऑपरेशंस, श्री सत्यजीत रॉय व अन्य इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
बीते वर्षों में, श्री मोरारी बापू जैसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक कथा वाचक को भी इसे जन अभियान बनाने के लिए शामिल किया गया था। इस अभियान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई शैक्षिक गतिविधियाँ की गईं। ह्वेल शार्क संरक्षण के लिए गुजरात तट पर मछली पकड़ने के बंदरगाहों पर बीस साइनबोर्ड लगाए गए हैं।
इस पहल के बारे में बताते हुए, श्री आर. नंदा, हेड-एचआर और सीएसआर, टाटा केमिकल्स ने कहा, “सीएसआर के माध्यम से कॉर्पोरेट्स हमारे पर्यावरण के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। यह अभियान पर्यावरण संरक्षण के लिए टाटा केमिकल्स की प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है। ह्वेल शार्क को बचाने के हमारे इस प्रयास में समुदाय को हितधारक बनाने के लिए डिज़ाइन की गई, इस पहल से व्यवहार में काफी परिवर्तन आना शुरू हो गया है।”
कंपनी और भागीदारों के ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप एशियाई शेरों के बाद ह्वेल शार्क गुजरात राज्य में दूसरा वन्यजीव गौरव बन गया है। अतटीय शहर, अहमदाबाद सहित गुजरात के सात तटीय शहरों ने व्हेल शार्क को अपने शहर के शुभंकर के रूप में अपनाया है। ह्वेल शार्क संरक्षण परियोजना ने संरक्षण का संदेश देने के लिए जागरूकता अभियान के माध्यम से 50,000 से अधिक मछुआरों और 100,000 तटीय छात्रों को संवेदनशील बनाया है।
2016 में दोहा और 2019 में ऑस्ट्रेलिया सहित वैश्विक स्तर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ह्वेल शार्क सम्मेलनों में इस परियोजना को दिखाया गया है। इसने वर्ष 2014 में सह-प्रबंधन श्रेणी में ह्वेल शार्क के संरक्षण के लिए यूएनडीपी द्वारा भारत जैव विविधता पुरस्कार, 2005 में बीएनएचएस द्वारा ग्रीन गवर्नेंस अवार्ड जीता है।