मुंबई, 30 अगस्त 2022: टाटा केमिकल्स के सहायक, एनकरेज सोशल एंटरप्राइज़ फाउंडेशन ने देश के सुदूर इलाकों में सुरक्षित पानी उपलब्ध कराने के लिए पांच सालों में 457 ‘टाटा स्वच्छ टेक जल‘ वॉटर प्यूरिफिकेशन यूनिट्स लगाए हैं। भारत के 23 राज्यों में चलाई गयी इस पहल के लाभ एक लाख से भी ज़्यादा लोगों को मिल रहे हैं।
अब इस पहल की वजह से भारत 300 से भी ज़्यादा गावों के लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी मिल पा रहा है। ‘सर्विंग सोसाइटी थ्रू सायंस‘ यानी ‘विज्ञान के ज़रिए समाज की सेवा’ इस टाटा केमिकल्स के मिशन को यह पहल रेखांकित कर रही है। पानी की कमी की वजह से दूषित पानी से होने वाली कई बिमारियों का खतरा बढ़ता है इस बात को मद्देनज़र रखते हुए, ग्रामीण इलाकों के लोग टाटा स्वच्छ टेक जल वॉटर प्यूरिफिकेशन यूनिट्स के प्रमुख लाभार्थी हैं। इन यूनिट्स से उनके लिए फिल्टर्ड पानी आसानी से मिलने योग्य और किफायती बना है। इस पहल के लाभ देश भर के 116 विद्यालयों को भी मिल रहे हैं।
टाटा केमिकल्स के एचआर और सीएसआर के चीफ श्री आर नंदा ने कहा, “समाज का ऋण चुकाने के लिए टाटा केमिकल्स हमेशा से ही प्रयासरत रहा है। स्वास्थ्य के लिए सबसे बुनियादी आवश्यकता है पीने के लिए सुरक्षित पानी। हमने अक्सर देखा है कि पेय जल के अभाव की वजह से सुदूर इलाकों के लोगों कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है। हमारे 70 से ज़्यादा सहयोगियों और लोगों के समर्थन के कारण ही इन्स्टॉल किए गए टाटा स्वच्छ टेक जल वॉटर प्यूरिफिकेशन यूनिट्स की संख्या पिछले साल के मुकाबले 81% से बढ़ी है।”
टाटा स्वच्छ टेक जल वॉटर प्यूरिफिकेशन यूनिट्स बिजली के बिना चलाए जाते हैं और इनमें पानी का नुकसान नहीं होता, इसीलिए यह पानी के शुद्धिकरण का टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है। आम तौर पर आरओ प्यूरिफायर्स में फिल्ट्रेशन प्रक्रिया के दौरान काफी पानी का नुकसान होता है। लेकिन टाटा स्वच्छ टेक जल वॉटर प्यूरिफिकेशन यूनिट्स उन्नत अल्ट्राफिल्ट्रेशन प्यूरिफिकेशन प्रौद्योगिकी पर काम करते हैं जिससे पानी के बहुत ही कम नुकसान के साथ पीने के लिए स्वच्छ पानी मिलता है, जब कि पारंपरिक आरओ में शुद्धिकरण की प्रक्रिया में करीबन 60% पानी का नुकसान होता है। टाटा केमिकल्स द्वारा प्रस्तुत किया गया यह पर्यावरण के अनुकूल विकल्प पानी के महत्त्व को समझने के वर्ल्ड वॉटर वीक 2022 के विषय के अनुसार है।
एनकरेज की शुरूआत 2018 में की गयी। इस सामाजिक उद्यम में ऐसी गतिविधियां चलायी जाती हैं जिससे पीने के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पानी की मूल समस्या से निपटने और दूषित पानी के कारण होने वाली बिमारियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
श्री. आर नंदा ने बताया, “संयुक्त राष्टसंघ की जानकारी के अनुसार दुनिया में हर तीन में से एक व्यक्ति को पीने के लिए सुरक्षित पानी नहीं मिल पा रहा है और ऐसे समय में हम भारत में इन सुविधाओं को लोगों तक पहुंचा पा रहे हैं। हमारे समुदायों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए इस तरह की परियोजनाओं को चलाने के लिए हम लगातार प्रयास करते हैं और ‘SPICE यानी सुरक्षा, जज़्बा, ईमानदारी, देखभाल और उत्कृष्टता‘ के हमारे मूल्यों का पालन कर रहे हैं।”
समुदायों को स्वच्छ पानी देने के अलावा इस पहल ने बहुत ही किफायती कीमत में पेय जल वितरण के लिए वॉटर किओस्कस् सेट अप करके समुदाय स्तर पर उद्यमशीलता को भी बढ़ावा देने में मदद की है। फ़िलहाल तेलंगाना, महाराष्ट्र, अंदमान और निकोबार, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में इस तरह के टाटा स्वच्छ टेक जल डिस्पेंसर यूनिट्स कार्यरत हैं।