Editor- Manish Mathur
जयपुर, 10 नवंबर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने गुरूवार को इण्डिया स्टोनमार्ट-2022 के 11वें संस्करण का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पत्थर व्यवसाय का एक लंबा इतिहास रहा है। आयामी पत्थर राजस्थान का एक प्रमुख खनिज है। देश-विदेश तक यहां के पत्थर को एक विशेष पहचान मिली है। राज्य सरकार निरंतर ऐसे फैसले ले रही है, जिससे खनन और उद्योग क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलने के साथ ही रोजगार और राजस्व में भी बढ़ोतरी हो रही है।
श्री गहलोत गुरूवार को सीतापुरा में आयोजित इण्डिया स्टोनमार्ट-2022 के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन्वेस्ट राजस्थान समिट से प्रदेश में निवेश के प्रति अच्छा माहौल बना है। विभिन्न कंपनियों द्वारा यहां नई इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। राज्य सरकार खनन में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि आवश्यक सुविधाएं, उपयुक्त माहौल, सुदृढ़ कानून व्यवस्था आदि निवेशकों को राजस्थान की ओर आकर्षित कर रही है।
राज्य सरकार अवैध खनन पर गंभीर
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अवैध खनन की समस्या के प्रति गंभीर है तथा निरंतर अभियान चलाकर इस पर पूर्णतया रोक लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि खनन विभाग तथा पर्यावरण विभाग को मिलकर एक ऐसी व्यवस्था विकसित करनी चाहिए जिससे खनन कार्य में आ रही परेशानियां तुरंत दूर हों एवं नवीन प्रस्तावों को भी समयबद्ध रूप से स्वीकृति मिल सके।
इन्वेस्ट राजस्थान से बना निवेश का माहौल
श्री गहलोत ने कहा कि इन्वेस्ट राजस्थान समिट से प्रदेश में निवेश का एक आदर्श वातावरण बना है। इस समिट में पत्थर उद्योग से जुड़े लगभग 800 करोड़ रूपए के एमओयू साइन हुए हैं। राज्य में खनिज भण्डारों के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर, कुषल मानव संसाधन और प्रभावशाली नीतियाँ लागू करने से बड़े स्तर पर निवेष की संभावनाएँ बढ़ी हैं। हमारी सरकार ने रिप्स-2019 लागू करके रोजगार और आर्थिक विकास हेतु जो वातावरण तैयार किया है, उसकी अगली कड़ी में रिप्स-2022 का हाल ही में लोकार्पण किया गया। हमारी सरकार ने लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए “मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना” लागू की है। एमएसएमई उद्योगों के लिए राज्य में उद्यमी एक सेल्फ घोषणापत्र भर कर अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं जो 5 वर्षों तक किसी भी प्रकार के निरीक्षण से मुक्त रहेगा। उद्योगों के लिए भूमि आवंटन प्रक्रिया को भी आसान बनाया गया है। एमएसएमई एक्ट के बाद अब तक 15000 एमएसएमई इकाइयां रजिस्टर्ड हुई हैं। इनमें से 6000 इकाइयां स्थापित हो चुकी हैं।
ब्लॉक स्तर पर औद्योगिक क्षेत्र
श्री गहलोत ने कहा कि रीको द्वारा ब्लॉक स्तर पर औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। राज्य सरकार की प्रभावशाली औद्योगिक नीतियों के कारण ‘ईज ऑफ डूईंग बिजनेस’ में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि सीआईएसएफ की तर्ज पर प्रदेश में राजस्थान इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स का गठन होगा। पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से भी राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार द्वारा पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है।
सिलिकोसिस को लेकर राज्य सरकार संवेदनशील
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिलिकोसिस बीमारी को लेकर राज्य सरकार गंभीर है तथा इसकी रोकथाम के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई संवेदनशील कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी की रोकथाम खनन एवं पत्थर उद्योगों का सामाजिक दायित्व है। श्री गहलोत ने उद्योगों का आह्वान करते हुए कहा कि वे कार्मिकों की सुरक्षा व सेहत के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करे।
सी-डॉस लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पत्थर उद्योग के विकास में बहुमूल्य योगदान के लिए आर.के गु्रप के श्री अशोक पाटनी, जेम गु्रप के श्री आर वीरमणी तथा राजस्थान उद्योग के श्री अरूण कुमार अग्रवाल को सी-डॉस लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। साथ ही, अखिल भारतीय स्टोन
आर्किटेक्चर अवॉर्ड का भी वितरण किया गया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्टोनमार्ट-2022 की एग्जीबीटर्स डायरेक्टरी तथा रीको की कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया। साथ ही, श्री गहलोत ने अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी तथा शिल्पग्राम का उद्घाटन कर विभिन्न स्टॉल्स का अवलोकन किया।
तेजी से विकसित हो रहा ग्रेनाइट उद्योग
उद्योग मंत्री श्रीमती शकुंतला रावत ने कहा कि राजस्थान पहले कभी सिर्फ मार्बल और सेंडस्टोन के लिए ही जाना जाता था। पिछले 10 वर्षों में जालोर, किषनगढ़, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द और उदयपुर आदि क्षेत्रों में बड़े स्तर पर ग्रेनाइट की खनन और प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित होने से ग्रेनाइट उद्योग तेजी से विकसित हुआ है। हमारे ग्रेनाइट के विभिन्न रंग और किस्में बहुत लोकप्रिय हो रही हैं। इस उद्योग को गति देने के लिए ही रीको के माध्यम से सेन्टर फॉर डवलपमेन्ट ऑफ स्टोन्स की स्थापना की गयी थी। यह संस्था पत्थर उद्यमियों को विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार समझौते करवाने हेतु एक मंच प्रदान कर रही है।
स्टोनमार्ट का विष्व की चुनिंदा प्रदर्षनियों में स्थान
मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा ने कहा कि इण्डिया स्टोनमार्ट की रूपरेखा मुख्यमंत्री श्री गहलोत के पहले कार्यकाल में वर्ष 2000 में बनी थी। इसका उद्देष्य विष्व के मानचित्र पर भारत के पत्थर उद्योग को प्रमुखता से स्थापित करना था। उसी वर्ष इसका प्रथम बार सफल आयोजन किया गया। पिछले 22 वर्षों के अरसे में इस प्रदर्षनी के आकार, प्रस्तुतिकरण ने व्यापक रूप ले लिया है। व्यापार जगत के प्रतिनिधियों की भागीदारी भी बहुत बढ़ी है। विष्व स्तर की इस प्रदर्षनी को न केवल भारत में बल्कि विष्व की चुनिन्दा प्रदर्षनियों में स्थान मिला जोकि गर्व की बात है।
10 लाख से अधिक लोगों को मिल रहा रोजगार
रीको के अध्यक्ष श्री कुलदीप रांका ने कहा कि देश के पत्थर उत्पादन में राजस्थान की 70 फीसदी भागीदारी है। आयामी पत्थर राजस्थान का एक प्रमुख खनिज है। यहां मार्बल, संेडस्टोन, ग्रेनाइट, कोटास्टोन, स्लेट आदि के प्रचुर भंडार हैं। इनका वैज्ञानिक तरीके से दोहन और प्रसंस्करण अपनाकर पत्थर उद्योग विगत वर्षों में अपनी एक विषेष पहचान बना चुका है। प्रदेश में 4,920 माइनिंग लीज हैं। देश में मार्बल और सेंडस्टोन का 90 प्रतिशत राजस्थान में उत्पादन होता है। राज्य के लगभग 10 लाख से अधिक व्यक्तियों को इससे रोजगार मिल रहा है।
इस अवसर पर राजस्थान लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष श्री राजीव अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग श्रीमती वीनू गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव खनन श्री सुबोध अग्रवाल, फिक्की के चैयरमैन श्री अशोक कजारिया, सी-डॉस के श्री मुकुल रस्तोगी, रीको के प्रबंध निदेशक श्री शिवप्रसाद नकाते सहित अन्य अधिकारी एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधि उपस्थित थे।