जयपुर.17 दिसंबर। गुलाबी नगरी में शुक्रवार को श्रीमती गोविंदी देवी इंदरलाल डेरेवाला मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट व श्री गौ गौरी गोपाल सेवा संस्था समिति के तत्वावधान में होटल हवेली में चल रही भव्य सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं ने भागवत कथा को सुनने का लाभ उठाया। इस मौके पर कथा करते हुए वृंदावन धाम के अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा की स्वतंत्रता हमेशा अच्छी नहीं रहती। नारी के जीवन में मर्यादा व संस्कारों का बंधन जरूरी है। इसे उन्होंने माता सीता तथा शूर्पणखा का उदाहरण देकर समझाते हुए बताया की माता सीता स्वतंत्र स्वतंत्र नहीं थी वह लक्ष्मणरेखा में रहती थी उनके जीवन में मर्यादा और संस्कारों की बेड़ियां थी जबकि शूर्पणखा स्वतंत्र थी राम जी को पसंद किया तथा बात ना बनने पर लक्ष्मण से बात की जब लक्ष्मण ने कहा की तुम्हें सीता मैया की सेवा करनी पड़ेगी तब शूर्पणखा ने अपने कदम पीछे लिए। ठीक इसी तरह पुरुषों के लिए भी स्वतंत्रता हमेशा अच्छी नहीं रहती कहते हुए उन्होंने भगवान राम और रावण का उदाहरण देते हुए कहा की रावण स्वतंत्रता था जब चाहे किसी की भी पत्नी को ले जाता था व दुराचार करता था, उसने ना कभी अपने भाइयों की सुनी ना कभी अपने गुरुओं की बात मानी बस जो मन में आया वह स्वतंत्र रूप से करता चला गया। वहीं दूसरी ओर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम संस्कारों और मर्यादा की रस्सी से बंधे रहे जिसके चलते भरत के उनके पास आने व उन्हें राज्य संभालने का निवेदन करने तथा उनकी जगह खुद 14 साल का वनवास करने की बात कहने पर भी राम जी मर्यादा की उस रस्सी को नहीं तोड़ पाए जिससे वे बंधे थे।
भागवत कथा में आगे भगवान के स्वरूपों गुणों इत्यादि का वर्णन करते हुए बताया की किस तरह भागवत जी में श्रीमन नारायण के रूप का वर्णन किया गया है जिसके आधार पर ही मूर्तियां अपना रूप पाती हैं। महाराज ने बताया किसी भी मंत्र का जाप श्रद्धा व आस्था से करने पर औचित्य जरूर पूर्ण होता है। कथा के दौरान ” गाड़ी में बैठा ले रे बाबा.. जाना है नंद के गांव….. ” भजन समेत अन्य सभी भजनों पर श्रद्धालुओं ने जमकर नाचते गाते हुए कथा के श्रवण का आनंद लिया। आयोजक जुगल किशोर डेरेवाला ने बताया की छोटी काशी में यह आयोजन 15 से 21 दिसंबर तक प्रतिदिन दोपहर 2:30 से सांय 6:00 बजे तक कथा स्थल पर चलेगा।