सीमेंट भट्टियों में ईंधन के लिए प्लास्टिक जलाना तात्कालिक समाधान है। दरअसल इससे प्लास्टिक का पुनर्चक्रण नहीं हो रहा है और वर्जिन प्लास्टिक का उत्पादन अभी भी बढ़ता ही जा रहा है। क्या हम वास्तव में प्लास्टिक के पुनर्चक्रण में प्रगति कर रहे हैं या हम इस प्रक्रिया में नई समस्याएं पैदा कर रहे हैं?
भारत में हर साल 3.4 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। हम जानते हैं कि रिसाइक्लिंग अर्थात पुनर्चक्रण इस समस्या को हल करने का समाधान है, बल्कि वास्तविकता कहीं और अधिक जटिल है। केवल उच्च मूल्य वाले प्लास्टिक को वास्तव में नए प्लास्टिक उत्पादों में पुनर्नवीनीकरण किया जा रहा है, जबकि मध्यम मूल्य का प्लास्टिक ज्यादातर सीमेंट भट्टों में ईंधन के रूप में खप जाता है। कम मूल्य वाले प्लास्टिक के लिए, जितना कम कहा जाए उतना अच्छा है – उनके अत्यधिक लैंडफिल से उप-मृदा या समुद्र में धीरे-धीरे निक्षालन हो रहा है। तो अब बड़ा सवाल यह है कि – हम रिसाइकिलिंग को खुद कैसे ठीक करें?
2016 के बाद से प्लास्टिक की खपत में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है लेकिन इतने ही समय में प्लास्टिक कचरे का उत्पादन दोगुना हो गया है। रिसाइकिल किया जाने वाला 65% से अधिक प्लास्टिक उच्च गुणवत्ता वाले प्लास्टिक हैं जिनका मेकेनिकल रिसाइक्लिंग होता है। बुनियादी ढांचे, धन और कुछ टेकर्स की कमी के कारण पुनर्चक्रण के अन्य तरीके अभी भी भारत में प्रारंभिक अवस्था में हैं। बहुत बार, पुनर्चक्रण के बारे में चर्चा प्रौद्योगिकी और प्रसंस्करण अवसंरचना पर ध्यान खींच ले जाती है, जैसे कि कुशल पुनर्चक्रण के लिए यही अड़चनें हों। हालाँकि, अधिकांश मौजूदा बुनियादी ढाँचे का भरपूर और श्रेष्ठतम उपयोग नहीं हो पा रहा है। असली चुनौती स्रोत से प्रसंस्करण तक एक सहज और पारदर्शी संबंध बनाने में है। एक बार जब आप स्रोत पर पृथक्करण से चूक जाते हैं और कचरा लैंडफिल में चला जाता है, तो रिसाइकिल योग्य प्लास्टिक की कुशल रिकवरी की बात बेमानी हो सकती है। कम कीमत वाले प्लास्टिक को लैंडफिल से कभी नहीं उठाया जा सकेगा।
स्रोत पर पृथक्करण (सख्त नियामक प्रवर्तन के माध्यम से) हेतु शासनादेश, स्रोत और प्रोसेसर के बीच क्षमतापूर्ण संबंध, संग्रह शुल्क (जो अत्यंत विवादास्पद और राजनीतिक मुद्दा है) को शुरू किए जाने और रीसाइक्लिंग पारिस्थितिकी तंत्र की क्षमता का अनुकूलन और एकत्रित एवं पुनर्चक्रित प्लास्टिक कचरे की मात्रा व प्रकार को बढ़ाए जाने हेतु रणनीति विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है।
नए, कड़े प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2022 (पीडब्ल्यूएम) इस दिशा में एक जबरदस्त प्रयास हैं। 100% संग्रह और पुनर्चक्रण पर ब्रांड मालिकों के लिए मौजूदा आवश्यकताओं के अलावा, अब पैकेजिंग में पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक के अनुपात को बढ़ाने, पैकेजिंग प्लास्टिक की मोटाई बढ़ाने और लेबलिंग हेतु दिशानिर्देशों के पालन के लिए लक्ष्य हैं। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य संग्रह क्षमता को बेहतर बनाना है। हालाँकि, इन नए दिशानिर्देशों की सफलता के लिए समग्र पारिस्थितिकी तंत्र का विकास जरूरी है।
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, रीसाइक्लिंग हब कुछ क्षेत्रों में केंद्रित होते हैं, इसलिए उनका कम उपयोग हो पाता है और उनकी आपूर्ति श्रृंखला सुव्यवस्थित नहीं होती है। दूसरा, प्लास्टिक पुनर्चक्रण से जुड़ी लागतें बहुत अधिक हैं, और जब तक अपशिष्ट पैदा करने वाले कुछ लागतों को वहन नहीं करते तब तक इसे संभाल पाना मुश्किल है। प्लास्टिक को रिसाइकिल करने की सबसे बड़ी चिंता कचरे को इकट्ठा करने और अलग करने पर आने वाली उच्च लागत है। घरों से अपशिष्ट मूल्य श्रृंखला, संग्रह बिंदुओं से प्रसंस्करण और पुनर्नवीनीकरण सामग्री के अंतिम वितरण के लिए प्रत्येक हितधारक को जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता होती है।
गोदरेज समूह ने कई ठोस और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन परियोजनाएं शुरू की हैं। हमारा अवलोकन यह है कि घरेलू स्तर पर स्रोत पृथक्करण वह तरीका है जहाँ हमें सबसे अधिक ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। घरों में कचरे को अलग-अलग करने के लिए व्यवहारिक परिवर्तन में लोगों के लिए दूसरी प्रकृति बनने के लिए निरंतर और मजबूत संचार के 3 साल तक का समय लग सकता है। कुछ बिंदु पर, नगर पालिकाओं को भी गैर-पृथक्करण की स्थिति में जुर्माना लगाने के बारे में सोचने की जरूरत है, उनके द्वारा डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से निगरानी किया जाना आवश्यक है (जो कि हमने अपनी कई परियोजनाओं में लागू किया है। व्यवहारिक परिवर्तन को लाने के लिए विभिन्न गतिविधियों के साथ-साथ, हमें लोगों को इस बात को लेकर प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है कि वो अपशिष्ट प्रबंधन के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा कि वे किसी अन्य नगरपालिका उपयोगिता जैसे बिजली, पानी या गैस की आपूर्ति को लेकर करते हैं।
अपशिष्ट मूल्य श्रृंखला में हम में से प्रत्येक को यह सुनिश्चित करना होगा कि रीसाइक्लिंग की अवधारणा भारत में पूरी क्षमता के साथ कारगर हो। पुनर्चक्रण उद्योग पर पुनर्विचार करने के कई लाभ हैं। हमारे समुदायों को कचरे से भरे कम लैंडफिल से लाभ होगा, हितधारक कचरे की एक स्थायी अर्थव्यवस्था बना सकते हैं, सरकार रोजगार और राजस्व उत्पन्न कर सकती है, और लोग अपशिष्ट स्थान में रोजगार के अवसर खोलकर आजीविका का स्रोत अर्जित कर सकते हैं। कचरे से पैसा बनाना सिर्फ एक सपना नहीं बल्कि निवेश और अवसर के लिए एक वास्तविक में बदल सकता है।
– रामनाथ वैद्यनाथन, एवीपी, एनवायरमेंट सस्टेनेबिलिटी, गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड एंड एसोसिएट कंपनीज