मुंबई, 16 अगस्त 2023- ट्रांसयूनियन सिबिल-सिडबी एमएसएमई पल्स रिपोर्ट के नवीनतम संस्करण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में साल-दर-साल 15 प्रतिशत की पोर्टफोलियो बैलेंस वृद्धि के साथ कमर्शियल क्रेडिट वृद्धि की रफ्तार कायम है। तिमाही में वाणिज्यिक ऋण एक्सपोज़र 27.7 लाख करोड़ रुपये रहा, जिसमें 241हजार करोड़ रुपये की नई मांग शामिल है। एमएसएमई पल्स रिपोर्ट से पता चलता है कि कमर्शियल ऋण मांग (क्रेडिट इन्क्वायरी वॉल्यूम के संदर्भ में मापी गई) व्यावसायिक गतिविधि में सुधार से संबंधित है और इसमें 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि क्रेडिट आपूर्ति की मात्रा में सालाना आधार पर 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। माइक्रो और स्मॉल सेगमेंट में क्रेडिट सप्लाई के वॉल्यूम में 16 प्रतिशत और 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, मीडियम सेगमेंट में 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
एमएसएमई पल्स के इस नवीनतम संस्करण के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए सिडबी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री शिवसुब्रमण्यम रमन ने कहा, ‘‘एमएसएमई क्षेत्र के पुनरुत्थान के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रगतिशील सुधारों के बेहतर परिणाम मिले हैं और ये परिणाम जोरदार व्यावसायिक गतिविधि और माइक्रो और स्मॉल सेगमेंट में बेहतर क्रेडिट उठाव में नजर आ रहे हैं। हम क्रेडिट उद्योग को एमएसएमई के लिए ऋण अवसरों तक समय पर पहुंच प्रदान करके इस बढ़ती मांग का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इस तरह सरकार के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के उद्देश्य को पूरा करने के लिए क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास में योगदान मिलेगा।’’
ट्रांसयूनियन सिबिल के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ श्री राजेश कुमार ने कहा, ‘‘मांग और आपूर्ति के अंतर को दूर करना ऋणदाताओं के लिए प्राथमिकता वाली कार्रवाई है। बढ़ती मांग, बेहतर क्रेडिट प्रदर्शन और आर्थिक विकास की बेहतर संभावनाओं के साथ, ऋणदाताओं के लिए अपने एमएसएमई क्रेडिट पोर्टफोलियो का विस्तार करने के लिहाज से यह समय अनुकूल है। भारत में लगभग 630 लाख एमएसएमई कॉरपोरेट हैं, जिनमें से केवल 250 लाख ने ही औपचारिक स्रोतों से ऋण लिया है। वर्तमान दौर में यह क्षेत्र 2.5 प्रतिशत की अनुमानित कम्पाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) पर बढ़ रहा है, वित्त वर्ष 2023 तक एमएसएमई कॉर्पाेरेट इकाइयों की संख्या 750 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। इनमें से लगभग 500 लाख एनटीसी एमएसएमई होने की उम्मीद है। ऋणदाता योग्य एनटीसी एमएसएमई की पहचान करके, उनके साथ जुड़कर और उनकी आवश्यकताओं के लिए क्रेडिट उत्पादों को अनुकूलित करके इस विशाल सेगमेंट का लाभ उठा सकते हैं।’’
Exhibit 1. Mapping India’s MSME credit through the MSME Pulse lens
India’s MSME credit sector – FY 23-Q4
Demand (Commercial Credit Inquiry Volumes) Indexed to: FY 20-Q3 = 100 |
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FY 22-Q4 | FY 23-Q4 | YoY Growth (%) |
170 | 226 | 33% |
Supply (MSME Disbursement Amounts – In ₹ Lakh Crore) | ||
FY 22-Q4 | FY 23-Q4 | YoY Growth (%) |
2.45 | 2.41 | – 1.6 % |
Growth (Balance-Sheet MSME Credit Exposure – In ₹ Lakh Crore) upto 720days* | ||
FY 22-Q4 | FY 23-Q4 | YoY Growth (%) |
21.7 | 25.3 | 16.6% |
Performance (Delinquency Rates)# | ||
90-720 Days Past Due (DPD) (incl Sub-standard) | ||
FY 22-Q4 | FY 23-Q4 | YoY Change (bps) |
2.9% | 2.4% | -0.5% |
*MSME portfolio excludes ~ ₹ 2.4 lakh crores of default cases beyond 720 DPD /loss /doubtful category.
#New delinquency definition excludes legacy accounts with DPD beyond 720 days or reported as loss/doubtful.
पिछले तीन वर्षों में पिछले देय ऋण की राशि में धीरे-धीरे गिरावट आई है क्योंकि एमएसएमई ने अपने ऋण दायित्वों को अच्छी तरह से पूरा करना जारी रखा है। वित्त वर्ष 23-क्यू4 में, सभी तीन ऋणदाता श्रेणियों में पिछले देय ऋण की राशि में गिरावट आई, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में 3.0 प्रतिशत, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में 3.6 प्रतिशत और निजी बैंकों में सबसे कम 1.4 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 23-क्यू4 में एनबीएफसी ने पिछले देय ऋण की राशि में 3.6 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की, जो वित्त वर्ष 22-क्यू4 में 5.0 प्रतिशत से कम है।
माइक्रोसेगमेंट में उच्चतम वृद्धि
एमएसएमई पल्स के इस संस्करण के डेटा से पता चलता है कि पीएसबी माइक्रोसेगमेंट में एमएसएमई ऋण उत्पत्ति में अग्रणी हैं। माइक्रो-सेगमेंट, जहां क्रेडिट एक्सपोजर 1 करोड़ रुपए से कम है, ने मूल मूल्य में 23 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर्ज की, जबकि छोटे सेगमेंट, जहां क्रेडिट एक्सपोजर 1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए के बीच है, 1 फीसदी की दर से बढ़ा। हालाँकि मिड सेगमेंट में उत्पत्ति मूल्य, जहां क्रेडिट एक्सपोज़र 10 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये के बीच है, सालाना आधार पर 19 प्रतिशत गिर गया।
राज्य-दर-राज्य विश्लेषण से पता चलता है कि ऋण वृद्धि की दर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और हरियाणा में सबसे अधिक थी, जो मुख्य रूप से माइक्रो लोन्स द्वारा संचालित थी। इन चार राज्यों में से, कर्नाटक ने सालाना आधार पर 8 प्रतिशत की उच्चतम विकास दर प्रदर्शित की। कर्नाटक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा माइक्रो एंटरप्राइजेज को ऋण आपूर्ति में साल-दर-साल 119 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु के औद्योगिक राज्यों में ऋण आपूर्ति सबसे अधिक थी, जिसकी वित्त वर्ष 23-क्यू4 में एमएसएमई ऋणों के मूल मूल्य के मामले में सबसे बड़ी हिस्सेदारी बरकरार रही।
न्यू-टू-क्रेडिट (एनटीसी) इकाइयां एमएसएमई ऋण वृद्धि के अगले चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
एमएसएमई पल्स के इस संस्करण में एनटीसी एमएसएमई पर किए गए अध्ययन को शामिल किया गया है और एमएसएमई ऋण वृद्धि को उत्प्रेरित करने में इस सेगमेंट की क्षमता का विश्लेषण करता है। एफवाई23-फ4 में, एमएसएमई ऋण क्षेत्र में नए ऋण की उत्पत्ति में एनटीसी उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत थी। विशेष रूप से माइक्रो सेगमेंट (100 लाख से कम) के भीतर, एनटीसी उधारकर्ताओं ने 61 प्रतिशत से अधिक उत्पत्ति में योगदान दिया। इस माइक्रो सेगमेंट के भीतर उच्च ऋण मांग दरअसल लेंडर के पॉजिटिव सेंटिमेंट के साथ मिलकर, एनटीसी उधारकर्ताओं की वृद्धि को प्रेरित किया है, जो अधिक वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
50 लाख रुपये से कम का ऋण लेने वाले 50 प्रतिशत से अधिक एनटीसी उधारकर्ताओं ने छोटे-टिकट आकार के ऋण के साथ अपनी यात्रा शुरू की। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 50 लाख रुपये से कम ऋण चाहने वाले एनटीसी उधारकर्ताओं के प्रमुख ऋणदाता रहे हैं, जबकि निजी बैंक 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच ऋण के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के एनटीसी उधारकर्ताओं ने 10 लाख रुपये से कम टिकट आकार के ऋण का लाभ उठाया। राज्य-दर-राज्य विश्लेषण से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पत्ति के साथ-साथ अनुपात के संबंध में एनटीसी हिस्सेदारी में स्थिर वृद्धि का पैटर्न नजर आता है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में माइक्रो सेगमेंट में एनटीसी और एक्जिस्टिंग-टू-क्रेडिट (ईटीसी) उधारकर्ताओं का तुलनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए सीआईबीआईएल एमएसएमई रैंक (सीएमआर) पर आधारित एक अध्ययन शामिल है। इस विश्लेषण से पता चलता है कि 72 प्रतिशत एनटीसी उधारकर्ता मध्यम जोखिम (सीएमआर 4-6) वाले हैं, जबकि 46 प्रतिशत ईटीसी उधारकर्ता मध्यम जोखिम सीएमआर रेंज में मौजूद हैं, जहां एनटीसी उधारकर्ताओं के लिए सीएमआर रैंक उत्पत्ति के 6 महीने के बाद मापा जाता है।
अतिरिक्त निष्कर्ष इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि अपने पहले क्रेडिट ऋण की उत्पत्ति के बाद 18 महीनों के दौरान, एनटीसी एमएसएमई ने उल्लेखनीय क्रेडिट वृद्धि का प्रदर्शन किया, ईटीसी संस्थाओं की तुलना में 1.4 गुना अधिक संतुलन बनाया। जैसे-जैसे एनटीसी उपभोक्ता क्रेडिट पहुंच प्राप्त करते हैं और इस सुविधा का लाभ उठाते हैं, वैसे ही वे अपने ईटीसी समकक्षों की तुलना में सुधार की तेज़ दर प्रदर्शित करते हैं। यह एनटीसी उधारकर्ताओं की साख पर ऋण पहुंच के सकारात्मक प्रभाव पर जोर देता है।
सूचना से संबंधित बुनियादी ढांचे और टैक्नोलॉजी के तेजी से विकास के साथ, एमएसएमई क्रेडिट अंडरराइटिंग अब पहले से अधिक इन्फॉर्मेशन ओरिएंटेड, सूचना उन्मुख, तेज और अधिक भरोसेमंद बन गई है। क्रेडिट संस्थानों को योग्य एनटीसी एमएसएमई की पहचान करने और स्थायी विकास को बढ़ाने के लिए उन्हें ऋण की सप्लाई करने के दौरान डेटा की शक्ति का चतुराई से उपयोग करना चाहिए।