भारतीय ज्योतिष विज्ञान वैदिक खगोल शास्त्र संस्था आइवा, जयपुर और एस्ट्रो Gpt के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस द्वि दिवसीय ज्योतिष सम्मेलन के दूसरे दिन पं. अक्ष्य मोगा ने स्वर विज्ञान के महत्व पर बात करते हुए कहा स्वर विज्ञान की क्षमता का विस्तार स्वस्थ्य सुधार ऊर्जा संतुलन सभी में उपयोगी हो सकता है। पं. अजय शर्मा ने गजकेसरी योग की विस्तार से व्याख्या की। स्वर विज्ञान के प्रश्नों के उत्तर देते हुए डॉ अंजना जोशी ने चंद्र नाड़ी व सूर्य नाड़ी दोनो को संतुलित कर ध्यान व स्वास्थ्य की उत्तम अवस्थाओं को प्राप्त किया जा सकता है। इसी सत्र में वैकल्पिक चिकित्सक डॉ आशीष शर्मा ने स्पाइन से संबंधित रोगों को बिना ऑपरेशन ठीक करने की अनोखी विधा के लिए व्याख्यान दिया। शर्मा ने जिन रोगियों को आधुनिक मेडिकल विज्ञान ठीक करने को मना कर दिया उनकी भी सफल चिकित्सा की है।कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ग्वालियर से पधारे श्री आनंद गुरुजी ने भगवत चर्चा करते हुए लोगों के प्रश्नों का समाधान भगवत कृपा से प्रदान किया। राकेश सोनी ने बताया कि जन्मपत्रिका में ग्रह स्थिति पूर्व जन्म के कर्म फल भोग हेतु निर्धारित होती है ।
जन्म पत्रिका में वक्री ग्रह यह दर्शाता है कि व्यक्ति पूर्व जन्म में उस ग्रह से दर्शित जिम्मेदारी व कर्म का ईमानदारी से पालन नही कर पाया। अब इस जन्म में वे कर्म अवश्य ही पूर्ण करने होंगे । मनोज जैन जी ने केपी सिस्टम में सातवें भाव के उप नक्षत्र स्वामी की सहायता से व्यक्ति की विवाह की आयु वर्ष का पता कैसे करें ये बताया। उस पर उदहारण सहित समझाया।