“हेलो गोदरेज” – फसल सुरक्षा के लिए गोदरेज एग्रोवेट द्वारा शुरू की गई कृषि परामर्श हेल्पलाइन

भारत के सबसे बड़े तथा विविधीकृत खाद्य एवं कृषि-व्यवसाय समूहों में से एक, गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड (जीएवीएल) ने हाल ही में एक बहुभाषी कृषि परामर्श हेल्पलाइन, ‘हेलो गोदरेज’ शुरू करने की घोषणा की। यह हेल्पलाइन पर फोन करने से फसल सुरक्षा के लिए फौरन विशेषज्ञता पूर्ण समाधान मुहैया कराया जाएगा। कंपनी कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है और ऐसे में देश भर के किसानों के लिए आठ क्षेत्रीय भाषाओं – हिंदी, मराठी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल, बंगाली, पंजाबी और अंग्रेजी में उपलब्ध यह नई पहल किसानों को ज़रूरत पड़ने पर उनके खेत पर या फोन पर मदद करेगी।

गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, बलराम सिंह यादव ने इस पहल पर अपनी टिप्पणी में कहा, “गोदरेज एग्रोवेट में हम जो कुछ भी करते हैं उसके केंद्र में किसान और इनका परिवार ही होता है। बेहतर पैदावार के लिए सही समय पर सही समाधान की उपलब्धता और उपयोग अनिवार्य है, “हैलो गोदरेज” हमें वास्तविक समय में व्यक्तिगत समाधान प्रदान करके किसानों और कृषि विशेषज्ञों को जोड़ने में मदद करेगा।”

जलवायु में हो रहे बदलाव और कीटों के बढ़ते हमलों ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। खेती में ऐसी लगातार बदलती परिस्थितियों के बीच, किसानों को नए फसल सुरक्षा समाधानों और उनकी पसंदीदा भाषा में व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान करना समय की मांग है। देश भर के किसान “हैलो गोदरेज” के जरिये अब हमारे कृषि विशेषज्ञों की टीम से सीधे सलाह ले सकते हैं।

 गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड में फसल सुरक्षा व्यवसाय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राजावेलु एनके ने कहा, “हैलो गोदरेज” पहल, कंपनी के भारतीय किसानों के लिए लाभदायक खेती की दिशा में सबसे भरोसेमंद भागीदार बनने के दृष्टिकोण को दर्शाती है। इस पहल का उद्देश्य है, गोदरेज एग्रोवेट के व्यापक अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर किसानों के साथ मज़बूत और भरोसेमंद रिश्ता बनाना, ताकि यह खेती से जुड़ी विश्वसनीय कृषि जानकारी के लिए भरोसेमंद स्रोत बन जाए और इस तरह कृषि क्षेत्र में कंपनी का नेतृत्व बढ़े।“

 

कंपनी इस पहल के जरिये देश भर के किसानों तक पहुंचना चाहती है ताकि खेतिहर परिवारों के उत्थान के लिए गुणवत्तापूर्ण और विश्वसनीय उत्पाद प्रदान करने के प्रति गोदरेज एग्रोवेट की प्रतिबद्धता के साथ उनकी विशिष्ट जरूरतें पूरी की जा सके और उनकी चुनौतियों का समाधान किया जा सके।

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