भौतिक सोना बनाम गोल्ड ईटीएफ: इस धनतेरस पर क्या चुनें

भारत में, पारंपरिक तौर पर, सोना सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला निवेश है। लोग सांस्कृतिक और परंपरागत महत्व वाले शुभ अवसरों और त्योहारों पर सोना खरीदते हैं। सोना महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता से भी बचाता है। समय के साथ, सोने में निवेश के तरीके बदल गए हैं। अब सोने में निवेश कई तरह से किया जा सकता है जैसे आभूषण, सिक्के, बार, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, गोल्ड फंड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम, डिजी-गोल्ड आदि के जरिये।

युवा पीढ़ी डीमैट के रूप में में गैर-भौतिक निवेश को तरजीह दे रही है और भौतिक रूप में सोने के अलावा अन्य साधनों में निवेश धीरे-धीरे बढ़ रहा है। भौतिक सोने और गोल्ड ईटीएफ के बीच निवेश के विकल्प को लेकर हमेशा मन में एक आम सवाल उठता है। दिवाली – “धनतेरस” पास है, और हमने निवेशकों के लिए इसे सरल बनाने की कोशिश की है ताकि वे दिवाली पर निवेश के बारे में अच्छी तरह से सोच-समझ कर फैसला कर सकें।

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भौतिक सोने का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनिट हैं जो कागज या डीमैट के रूप में हो सकती हैं और भौतिक सोने का विकल्प हैं। गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड हैं जो सोने के बुलियन में निवेश करते हैं और सोने की घरेलू कीमतों को ट्रैक करते हैं। वे 99.5% शुद्धता वाले सोने द्वारा समर्थित हैं। संशोधित नियमों के अनुसार, होल्डिंग अवधि के बावजूद गोल्ड फंड में निवेश से होने वाले लाभ पर संबंधित स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा।

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के लाभ:

न्यूनतम निवेश: गोल्ड ईटीएफ के लिए न्यूनतम निवेश राशि एक ग्राम की एक यूनिट है और इसके तहत निवेशकों के पास कई यूनिट खरीदने का विकल्प होता है। उदाहरण के लिए, यदि सोने की कीमत 70000 रुपये प्रति 10 ग्राम है, तो गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट एक्सचेंज (ईटीएफ की यूनिट बास्केट के आकार के अनुसार) पर लगभग 70 रुपये में मिल सकती है।

परेशानी मुक्त सुगम लेन-देन: गोल्ड ईटीएफ स्टॉक निवेश की लचीलेपन और सोने के निवेश की सरलता को जोड़ती है। गोल्ड ईटीएफ किसी भी कंपनी के स्टॉक की तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड (बीएसई) पर सूचीबद्ध और कारोबार किए जाते हैं। गोल्ड ईटीएफ किसी भी अन्य कंपनी के स्टॉक की तरह बीएसई और एनएसई के कैश सेगमेंट पर ट्रेड करते हैं और इन्हें बाजार मूल्य पर लगातार खरीदा और बेचा जा सकता है।

भौतिक सोना

नकदी/तरल: गोल्ड ईटीएफ भौतिक सोने की तुलना में अधिक नकदी/तरल (लिक्विड) होते हैं, जिससे निवेशकों को भौतिक सोने की तुलना में बगैर किसी किस्म की लॉजिस्टिक्स और परिचालन संबंधी चुनौतियों के एक्सचेंजों पर साधारण शेयरों की तरह यूनिट खरीदने और बेचने में मदद मिलती है।

शुद्धता और पारदर्शिता: पेश की गई यूनिट के मुकाबले भौतिक रूप से रखा गया सोना सेबी के मानदंडों के अनुसार एलबीएमए (लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन) द्वारा अनुमोदित ब्रांड की 995 और उससे अधिक शुद्धता के साथ आता है। गोल्ड ईटीएफ की प्राइस डिस्कवरी बहुत पारदर्शी है, जिससे निवेशक आसानी से मूल्य प्रदर्शन की निगरानी और आकलन कर सकते हैं।

सुरक्षा: गोल्ड ईटीएफ यूनिट डीमैट के रूप में आती हैं, जो चोरी, भंडारण लागत, धोखाधड़ी या मेकिंग चार्ज से सुरक्षित होती हैं।

कम खर्चीला: गोल्ड ईटीएफ के लिए कोई एंट्री लोड और एग्जिट लोड नहीं होता है। केवल ब्रोकरेज और फंड मैनेजमेंट फीस ही खर्च होती है।

भारत में निवेशक आभूषण, सिक्के और बार के रूप में फिजिकल गोल्ड के स्वामित्व से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। भारत में सोने का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है, भौतिक सोने की मुख्य खरीद घरों में होती है। कोई व्यक्ति सीधे जौहरी से आभूषण खरीद सकता है, इसलिए कोई प्रतिपक्ष जोखिम नहीं है। हालांकि, गोल्ड ईटीएफ के विपरीत, भौतिक सोने में निवेश में न्यूनतम निवेश, मेकिंग चार्ज और स्टोरेज लागत अधिक होती है।

आभूषणों के स्वामित्व/निवेश के लाभ:

भौतिक स्वामित्व: निवेशकों को भौतिक रूप में सोना मिलता है, जो अनिश्चित समय के दौरान सुरक्षा की भावना प्रदान करते हुए प्रत्यक्ष स्वामित्व के साथ इसे सुरक्षित निवेश बनाता है।

आसान तरलता: भारत का सोने का भौतिक बाजार बहुत तरल है, जहां कोई भी व्यक्ति बगैर किसी परेशानी के किसी भी समय सोना खरीद और बेच सकता है, जबकि स्पॉट मार्केट प्रीमियम/छूट क्षेत्रीय स्तर पर घरेलू स्तर पर भिन्न होती है।

आपातकालीन उपयोग: भौतिक रूप में सोना वित्तीय प्रतिकूलता या किसी अन्य आपातकाल से बचाता है। हालांकि गोल्ड ईटीएफ और भौतिक सोने के लिए निवेश पर रिटर्न लगभग समान है, दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। इसलिए निवेशकों के लिए निवेश के रूप में सोने के किसी एक रूप को चुनने से पहले अपनी सोने की निवेश आवश्यकता को ध्यान से तौलना महत्वपूर्ण है।

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