भारत को ऊर्जा रूपान्तरण के लिए खनन में करना होगा 1.7 ट्रिलियन डॉलर का निवेशः प्रिया अग्रवाल हेब्बर, चेर्पर्सन हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड

भारत को ऊर्जा रूपान्तरण के लिए खनन में 1.7 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करना होगा, हिंदुस्तान ज़िंक की चेयरपर्सन और वेदांता लिमिटेड की नॉन-एक्ज़क्टिव डायरेक्टर प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने बताया। दावोस में वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के दौरान बात करते हुए प्रिया ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के पास विश्वस्तरीय ऊर्जा रूपान्तरण को बढ़ावा देने के लिए अपार क्षमता है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर यूएस, चीन और मध्य पूर्व जैसे देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था के लिए बड़े पैमाने पर उनके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया है, वहीं दूसरी ओर भारत ने अपने 15 फीसदी से भी कम भंडर का दोहन किया है। ऐसे में भारत के पास अपने संसाधनों के उपयोग के लिए अपार संभावनाएं हैं, और देश, विश्वस्तर पर स्वच्छ ऊर्जा रूपान्तरण में योगदान देने के लिए मजबूत स्थिति में है।

प्रिया ने खनन सेक्टर में भारत सरकार के सक्रिय प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘भारत सरकार क्रिटिकल मिनरल्स मिशन के लॉन्च तथा क्रिटिकल मिनरल ब्लॉक्स की नीलामी द्वारा पहले से इस क्षेत्र में सक्रिय कदम उठा रही है। जिसके चलते वेदांता छह ब्लॉक्स के लिए प्राथमिक बिडर के रूप में उभरी है, और इस सेक्टर में प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर रही है।’ उन्होंने आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग द्वारा स्थायी खनन के लिए वेदांता की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। इस तरह का स्थायी खनन सुनिश्चित करता है कि खनन गतिविधियों के कारण पर्यावरण पर न्यूनतम या शून्य प्रभाव पड़े।

‘2050 तक शुद्ध शून्य कार्बन को हासिल करने की प्रतिबद्धता, सिर्फ एक लक्ष्य नहीं बल्कि यह भावी पीढ़ियों के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी भी है। मुझे गर्व है कि हमारी तीन सबसे बड़ी कंपनियां- हिंदुस्तान जिंक, जिंक इंटरनेशनल और कैयर्न ऑयल एण्ड गैस- अगले पांच सालों में इस उपलब्धि तक पहुंच जाएंगी। 2030 तक नवीकरणीय उर्जा और बैटरी-संचालित वाहनों (पूरी तरह से बैटरी-पावर्ड लॉजिस्टिक्स) को अपनाकर हम यह साबित कर रहे हैं कि स्थायित्व न सिर्फ इस धरती के लिए ज़रूरी है बल्कि कारोबार के दीर्घकालिक विकास का सबसे स्मार्ट तरीका भी है। वेदांता में हम इसी महत्वाकांक्षा को साकार रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ उन्होंने कहा।

लिथियम के स्थायी एवं लागत-प्रभावी विकल्प के रूप में ज़िंक-आधारित बैटरियों के विकास में वेदांता की योजनाओं एवं इनोवेशन्स पर बात करते हुए मिस प्रिया अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम इस क्षेत्र में कुछ पायलट परियोजनाओं का संचालन पहले से कर रहे हैं। दुनिया की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड जिंक उत्पादक हिंदुस्तान ज़िंक, आईआईटी एवं विश्वस्तरीय संस्थानों के सहयोग से इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है, जो पर्यावरण के अनुकूल समाधानों के द्वारा एनर्जी स्टोरेज मार्केट में बड़े बदलाव ला सकती है।’

अंत में उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन को दोगुना करने की वेदांता की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर रोशनी डाल। इन योजनाओं के तहत जिंक एवं सिल्वर आउटपुट को बढ़ाकर सालाना 2 मिलियन टन, एलुमिनियम उत्पादन को 4 मिलियन टन किया जाएगा तथा पर्याप्त पूंजी निवेश द्वारा तेल एवं गैस के आउटपुट को दोगुना किया जाएगा।

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