श्री कुमार मंगलम बिड़ला का वार्षिक विचार 2024-25

हमने 2024 के आगमन के साथ ऐतिहासिक क्षण – चौथाई सदी में प्रवेश किया। यह सोचकर आश्चर्य होता है कि इन 25 सालों में इतिहास के कितने पन्ने पलट चुके हैं। यह कोई साधारण समय नहीं था। यह भारी बदलाव का दौर रहा। डिजिटल दौर की शुरुआत और अर्थव्यवस्थाओं के वैश्वीकरण से लेकर जलवायु के प्रति सचेत और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अथक अभियान तक, इस अवधि में ऐसे बदलाव हुए हैं जिसमें कभी सदियां लग जातीं। कई मायनों में, अलग-अलग दौर आपस में टकराए, एक दूसरे पर हावी हुए और एक-दूसरे में विलीन हो गए, जिससे दुनिया हमेशा के लिए बदल गई, जो पहले से कहीं ज़्यादा जुड़ी हुई तो है लेकिन विभाजित है। यह दुनिया पहले से कहीं ज़्यादा उन्नत लेकिन चिंतित और पहले से कहीं ज़्यादा आशावान लेकिन अनिश्चित है।

यह स्पष्ट है कि 2025 में, हम एक ऐसी दुनिया को गले लगा रहे हैं जो अनिश्चित, अप्रत्याशित और अपरंपरागत होगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अनिश्चित दुनिया को गले लगाएंगे, उससे जूझेंगे नहीं। यह नया तरीका हमारे दौर के विरोधाभास को अच्छी तरह से परिभाषित कर सकता है। एक ऐसी दुनिया जो संभावनाओं से भरी हुई है, लेकिन अस्पष्टता से घिरी हुई है। कभी-कभी, ऐसा लग सकता है कि नई दुनिया सोशल मीडिया की रील पर आकार ले रही है। हालांकि, वास्तविकता रील से कहीं अधिक जटिल और महत्वपूर्ण है।

 

एक चीज़ जो इस साल को प्रभावित कर सकती है, वह है टी फैक्टर यानी ट्रम्प फैक्टर। इसमें भू-राजनैतिक स्थिति को नया रूप देने की क्षमता है, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यवसाय पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से भारत के बाहर हमारे समूह के लिए सबसे महत्वपूर्ण बाज़ार रहा है, जिसमें 15 अरब डॉलर से अधिक का निवेश है, जिसमें मौजूदा 4 अरब डॉलर का ग्रीनफील्ड विस्तार भी शामिल है। मुझे विश्वास है कि भारत-अमेरिका संबंधों की स्थायी ताकत आने वाले दिनों में और गहरी होती जाएगी। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गतिशीलता बेजोड़ है और हमारे मौजूदा निवेश इसके वृद्धि दर्ज करते विनिर्माण क्षेत्र के पुनरोद्धार में योगदान देंगे। वॉरेन बफेट ने ठीक ही कहा है, “अमेरिका के खिलाफ कभी भी दांव न लगाएं।”

 

विनिर्माण के लिए नए सिरे से वैश्विक प्रयास स्वागत योग्य बदलाव है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक लचीलापन और विविधीकरण की ओर बढ़ने का संकेत देता है। भारत को अक्सर अपनी औद्योगिक क्षमताओं के लिहाज़ से कमतर आंका जाता है, लेकिन देश इस शानदार क्षण पर काबिज़ होने के लिए तैयार है। ऐपल के परितंत्र का भारत में स्थानांतरण इस परिवर्तन का प्रतीक है; जल्द ही, दुनिया के एक चौथाई आईफोन भारत में बनाए जा सकते हैं। भारत का वाहन उद्योग भी वैश्विक शक्ति के रूप में परिपक्व हो गया है, जो दुनिया भर के बाज़ारों में कल-पुर्ज़ों और वाहनों का निर्यात करता है।

हालांकि, भारत के सीमेंट उद्योग की वैश्विक स्तर पर पहचान बहुत अधिक नहीं है जबकि आकार के लिहाज़ से यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है। यह एक उल्लेखनीय राष्ट्रीय चैंपियन है और इसने आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए रोज़गार पैदा किया है और शहर से लेकर गांव तक भारत के बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा दिया है। हमारे समूह की प्रमुख सीमेंट कंपनी, अल्ट्राटेक सीमेंट, ने 2024 में 150 एमटीपीए की क्षमता का मील का पत्थर पार कर लिया। अल्ट्राटेक आज अमेरिका के कुल सीमेंट उत्पादन के मुकाबले 1.5 गुना से भी अधिक और यूरोप के कुल उत्पादन के मुकाबले 80% से भी अधिक उत्पादन करती है। मेरे लिए, यह भारत की बढ़ती औद्योगिक ताकत और वैश्विक विनिर्माण पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हो रही कंपनी का प्रतीक है।

 

आदित्य बिड़ला समूह में हमारे लिए, 2024 अनोखा साल रहा – एक ऐसा दौर जब समूह सही मायने में बड़े दांव लगाने वाले संगठन के रूप में उभरा। हमने अपने व्यवसायों की गहराई और पैमाने की अभिव्यक्ति देखी और इस तरह हम एक साथ कई बड़े रणनीतिक पहलें कीं जिनमें पेंट, आभूषण खुदरा और निर्माण सामग्री के लिए बी2बी ई-कॉमर्स जैसे कई उच्च विकास प्लेटफार्म के लॉन्च करने तथा विस्तार लेकर सीमेंट तथा धातु जैसे मुख्य व्यवसायों में हमारे नेतृत्व को मज़बूत करने तक के प्रयास शामिल हैं। इन पहलों में हमारे दूरसंचार संयुक्त उद्यम को पुनर्जीवित करने से लेकर, हमारे वित्तीय सेवाओं और फैशन खुदरा व्यापार में परिवर्तन की यात्रा को गति देने तक के प्रयास भी शामिल रहे। यह वास्तव में उपलब्धियों भरा साल रहा।

इनमें से प्रत्येक कदम अपने आप में महत्वपूर्ण है, लेकिन एक साथ देखने पर यह समूह की शक्ति और गतिशीलता को दर्शाता है। पूंजी, प्रतिभा पूल, ब्रांड शक्ति, उद्योग विशेषज्ञता और संचित सद्भावना के हमारे अनूठे संयोजन ने हमें वैश्विक अनिश्चितता के समय में भी गति और निर्णायकता के साथ आगे बढ़ने में सक्षम बनाया है।

मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि हम जितनी शानदार वृद्धि दर्ज करते हैं उतना ही बदलाव लाने में सफल होते हैं और उतना ही हम जीवन को समृद्ध बना सकते हैं। इस मूलभूत दर्शन ने हमें पिछले कुछ साल में अपने दायरे को बढ़ाने और उस प्रभाव के बारे में और भी अधिक विस्तार से सोचने के लिए प्रोत्साहित किया है जो हम बना सकते हैं। यह हमें अपने पैमाने, संसाधनों और नेतृत्व का उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है ताकि हमारे सभी हितधारकों-कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, भागीदारों, निवेशकों और बड़े पैमाने पर समाज में बेहतर तरीके से बदलाव ला सकें।

क्योंकि, आखिरकार, व्यवसाय दूसरों की भलाई  का ज़रिया है और इसे ऐसा होना ही चाहिए।

वर्ष 2024 बिट्स पिलानी की विरासत में एक और उपलब्धि जुड़ी और वह हैं,  इसकी 60वीं वर्षगांठ। मेरे परदादा, श्री जीडी बिड़ला द्वारा स्थापित और पीढ़ियों से मेरे परिवार द्वारा पोषित, यह प्रतिष्ठित संस्थान भारत की उद्यमशीलता की भावना का प्रतीक बन गया है। पिछले 16 साल से, मुझे बिट्स पिलानी का नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला है, जहां मैंने भारत के उद्यमशीलता परितंत्र पर इसके परिवर्तनकारी प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से देखा है। इसके पूर्व छात्रों में 6,400 से अधिक स्टार्ट-अप संस्थापक हैं, जिनमें 17 यूनिकॉर्न और डेकाकॉर्न के निर्माता शामिल हैं और यह संस्थान के स्थायी प्रभाव का प्रमाण है।

 

बिट्स पिलानी हमेशा से आलोचनात्मक सोच, साहसिक सपनों और अथक महत्वाकांक्षा का केंद्र रहा है। हर परिस्थिति में टिके रहने की प्रवृत्ति 1970 के दशक में मेरे परदादा के साथ हुई बातचीत के बाद से मेरे मन में बसी रही। किसी रविवार की दोपहर को मैंने कहा था कि बिट्स इस छोटे से गांव पिलानी को हमेशा सुर्खियों में बनाए रखेगा। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा था, “पिलानी की पहचान सकारात्मक परिणाम पेश करने की है, लेकिन इसका वास्तविक उद्देश्य था, तेज़ी से औद्योगिक होते भारत के लिए प्रतिभा का कारखाना बनाना।” उनके शब्द इस संस्थान के गहरे उद्देश्य की हमेशा याद दिलाते हैं।

प्रतिभा की परिवर्तनकारी शक्ति में यह विश्वास आदित्य बिड़ला छात्रवृत्ति के ज़रिये भी ज़ाहिर होता है, जो मेरे पिता की याद में 25 साल पहले शुरू किया गया एक प्रमुख कार्यक्रम है। आज, इस कार्यक्रम के तहत 781 प्रतिभाशाली छात्र मदद पा चुके हैं। इन छात्रों का वैश्विक स्तर पर सफल भारतीयों का समूह है जो दुनिया भर में अग्रणी कंपनियों और संस्थानों की दिशा को आकार दे रहा है।

मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि प्रतिभा में निवेश वह बुनियाद है जिस पर भविष्य का निर्माण होता है। प्रतिभा का पोषण एक कालातीत प्रयास है, यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि हम तेज़ी से बदलते दौर की जटिलताओं और अवसरों का सामना करते हैं।

21वीं सदी की चौथाई सदी का जश्न का मौका गहरे बदलाव का दौर है। पहले दो दशक प्रौद्योगिकी के निरंतर विकास के रहे – सोशल मीडिया ने सामग्री को लोकतांत्रिक बनाया, अभिव्यक्ति को बढ़ाया, और पहले अकल्पनीय पैमाने पर अवसरों को अनलॉक किया। लेकिन इस क्रांति की कीमत चुकानी पड़ी। जो ज़रिये अरबों लोगों को जोड़ते थे, उन्होंने समाजों को विखंडित भी किया, सार्वजनिक चर्चाओं का ध्रुवीकरण किया और विश्वास को खत्म किया। मेरा मानना ​​है कि हम अब इस विभाजनकारी क्षण के चरम पर पहुंच रहे हैं।

अगला दशक और अधिक गहन बदलाव की शुरुआत कर सकता है – एकता की ताकत के रूप में प्रौद्योगिकी का उपयोग। प्रामाणिकता और जुड़ाव की लालसा – एल्गोरिदम-संचालित जुड़ाव की तुलना में अधिक गहरी और अधिक सार्थक – नवोन्मेष की अगली लहर को आगे बढ़ाएगी। प्लेटफॉर्म अपने मौजूदा उद्देश्य से आगे बढ़ेंगे, ऐसे मौके तैयार करेंगे जो विभाजन को पाटेंगे, समझ को बढ़ावा देंगे और स्पष्ट मतभेदों के बीच भी साझा मानवता का जश्न मनाएंगे। जुड़ाव की यह लालसा सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं होगी, बल्कि व्यवसायों, सरकारों और समुदायों के व्यक्तियों के साथ जुड़ने के तरीके तक विस्तारित होगी। इस रुझान की अभिव्यक्तियां हमें आश्चर्यचकित करेंगी। सीमाओं को पार करने वाले आभासी समुदायों से लेकर सीमाओं को भंग करने वाली इमर्सिव तकनीकों तक। जुड़ाव की चाहत बिखरी हुई दुनिया को जोड़ने वाला ज़रिया साबित हो सकती है।

 

21वीं सदी का अगला अध्याय हमारे इंतज़ार में है, जिसके लिए दूरदर्शिता, स्पष्टता और संकल्प की ज़रूरत है।

 

कुमार मंगलम बिड़ला

 

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