Editor – Manish Mathur
जयपुर 23 जनवरी 2021 – अखिल भारतीय समन्वित सूत्रकृमि विज्ञान परियोजना के तहत गुरुवार को कृषि विज्ञान केन्द्र, बाँसवाड़ा पर जनजाति किसानों हेतु पादप सूत्रकृमियों पर एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें बाँसवाड़ा के आस-पास के पच्चीस किसान पुरुष व महिलाओं ने भाग लिया। क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डाॅ. प्रमोद रोकड़िया ने आज के परिदृश्य में पादप सूत्रकृमियों के महत्व को प्रतिपादित किया। डाॅ. बसंती लाल बाहेती, आचार्य व विभागाध्यक्ष, सूत्रकृमि विज्ञान विभाग, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने विभिन्न सूत्रकृमियों द्वारा होने वाली हानि व उसके लक्षणों के बारे मंे किसानों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्व में बढ़ते तापमान, संरक्षित खेती इकाइयों के साथ-साथ अनार, अमरूद, पपीता बागानों के बढ़ने से व खेतों लगातार सब्जियाँ लगाने से पादप सूत्रकृमियों द्वारा होने वाला नुकसान निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। वरिष्ठ वैज्ञानिक व कृषि विज्ञान केन्द्र प्रभारी डाॅ. बी.एस. भाटी ने बागवानी फसलों के उत्पादन व विपणन के बारे में किसानों को अवगत कराया। डाॅ. हेमेन्द्र कुमार शर्मा ने पादप सूत्रकृमियों के प्रबंधन हेतु विभिन्न उपायों का उल्लेख किया। प्रशिक्षणार्थियों को आदान के रूप में नेपसेक स्प्रेयर, उन्नत बीज आदि प्रदान किया गया। कार्यक्रम में कृषि अधिकारी रामकिशन वर्मा ने किसानों को विभागीय योजनाओं की जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन डाॅ. गोपाल कोठारी ने किया व इसके बारे में प्रारम्भिक जानकारी दी।
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