Editor-Manish Mathur
जयपुर 21 फरवरी 2021 – एक फौजी के जीवन को इतना करीब से देखकर उनके जज्बात, परिवार से उनका रिश्ता और प्रियजनों का इंतज़ार सब महसूस हुआ है। उनके जीवन और उनका कठनाइयों भरा सफर को सलाम करती है हमारी ये फिल्म ‘फौजी कॉलिंग’। ये कहना था फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे एक्टर शरमन जोशी का। फिल्म ‘फौजी कॉलिंग’ के सिटी प्रमोशन के लिए स्टारकास्ट शनिवार को जयपुर पहुंची। इस दौरान वे राजा पार्क स्थित स्टाइल एंड सीज़र्स पहुंचे, जहां सितारों ने फिल्म से जुड़े अनुभव साझा किए। अभिनेता शरमन जोशी, फिल्म हीरोपंती फेम विक्रम सिंह और फिल्म बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ फेम बिदिता बैग और राइटर डायरेक्टर आर्यन सक्सेना मीडिया से मुखातिब हुए।
एक्टर शरमन जोशी ने बताया कि भारत जैसे देश में जहां फ़ौजियों को हमेशा से काफ़ी सम्मान दिया जाता रहा है साथ ही जहां फ़ौजी अपने देश की रक्षा करना जॉब नहीं समझते बल्कि अपना मजहब समझते है, ऐसी खूबसूरत भावना को ही पिरोते हुए हमने इस फ़िल्म का निर्माण किया है। हाल ही में गणतंत्र दिवस पर फ़िल्म का पोस्टर और ट्रेलर भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी द्वारा लॉन्च किया गया जो कि हमारे लिए काफ़ी ख़ास अवसर था। इस फ़िल्म में अदाकारा मुग्धा गोडसे, ज़रीना वहाब और एक्टर शिशिर शर्मा भी मुख्य भूमिकाओं में दिखाई देंगे। पहले ये फ़िल्म ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज़ होने जा रही थी मगर कोविड के इतने लम्बे दौर के बाद सभी दर्शकों के लिए ये फ़िल्म 18 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज़ की जाएगी।
फ़िल्म के बारे में एक्ट्रेस बिदिता बैग ने बताया कि जब मुझे इस फ़िल्म का ऑफ़र हुआ तब ही मुझे महसूस हो गया था कि ये फ़िल्म काफ़ी इमोशनल और यादगार होने वाली है। मैं इस फ़िल्म में एक फ़ौजी की पत्नी का किरदार निभा रही हूं और मैं समझ सकती हूं कि आज हमारे देश के फ़ौजीयों की पत्नियां भी कम फ़ौजी नहीं है। मैंने इस फ़िल्म की शूट के दौरान कुछ ऐसी ही वीरांगनाओं से मुलाक़ात की और समझा कि एक फ़ौजी को पूरी ताक़त और साहस अपने परिवार से ही मिलता है। किस तरह वे महीनों उनका इंतेज़ार करती है और पूरी ग्रहस्ती का भार अकेले उठाती है।
ओटीटी पर नहीं है सेन्सरशिप की ज़रूरत, मगर डायरेक्टर्स का सॉफ़्ट पोर्न दिखाना ग़लत –
देश में गर्माएं ओटीटी पर सेंसरशिप के मुद्दें पर शरमन कहते है कि मुझे नहीं लगता कि ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर सेंसरशिप की केंची चलाने की ज़रूरत है। ये ज़रूरी है कि सभी डायरेक्टर्स समझे कि एक्स्पोज़र और सेन्शूएलिटी के नाम पर नूडिटी दिखाना ग़लत है। जो बच्चों को गलत तरह की शिक्षा दे वो फ़िल्में रोकनी चाहिए जिसके लिए खुद डायरेक्टर्स को इस सोच को सम्मान देना चाहिए।