Editor-Ravi Mudgal
जयपुर, 4 मार्च 2021. ‘यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज को आगे बढ़ाने के लिए भ्रष्टाचार निरोधकता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही वाले दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक हैं। हमें भ्रष्टाचार पर निरंतर शिक्षा की पहल वाला कार्यक्रम जारी रखना चाहिए। इस कार्यक्रम को स्वास्थ्य कवरेज एवं स्वास्थ्य सेवा के लाभार्थियों को सशक्त बनाने के लिए यूनिवर्सिटीज व स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों से भी आगे बढ़ना होगा। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर की ओर से ‘कॉलोब्रेटिव एकेडमिक एक्शन फॉर गुड हैल्थ एंड वेलबीईंग’ विषय पर आयोजित इंटरनेशनल डायलॉग में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क के यूनाइटेड नेशंस एकेडमिक इम्पैक्ट के प्रमुख श्री रामू दामोदरन ने यह बात कही। वे इस इंटरनेशनल डायलॉग के मुख्य वक्ता थे। यह वेबीनार बेहतर स्वास्थ्य व वैलबीईंग को बढ़ावा देने के लिए संभावित सहयोगी साझेदारी और हस्तक्षेप पर केंद्रित है। इसके प्रतिष्ठित वक्ताओं में श्री रामू दामोदरन (मुख्य वक्ता) के अलावा डॉ. पी. आर. सोढानी, प्रेसीडेंट, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर, भारत; प्रो. डॉ. केरियाकोस कुवेलियोटिस, प्रोवोस्ट व चीफ एकेडमिक ऑफिस, बर्लिन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड इनोवेशन, जर्मनी; डॉ. गंका डेनियल न्यमसोगोरो, डिप्टी-वाइस-चांसलर (एकेडमिक), मुजुम्बे यूनिवर्सिटी, तंजानिया; श्री मिलेंको गुदिक, सह-अध्यक्ष, (यूएन) पीआरएमई, एंटी-पावर्टी एजुकेशन ग्रुप, सर्बिया और डॉ. देव तिवारी, प्रोफेसर व पूर्व डीन, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ज़ुलुलैंड, दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, जिनके द्वारा विषय पर विचार व्यक्त किए जा रहे हैं।
अपने मुख्य संबोधन में न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के युनाइटेड नेशंस एकेडमिक इम्पैक्ट के प्रमुख श्री रामू दामोदरन ने ‘कॉलोब्रेटिव एकेडमिक एक्शन फॉर गुड हैल्थ एंड वेलबीईंग’ को इस इंटरनेशनल डायलॉग का विषय चुने जाने के लिए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य भी है। उन्होंने आगे बताया कि ‘शांति, मानव अधिकारों और विकास नहीं होने पर कल्याण कभी नहीं हो सकता है। अब हम व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के बजाय डिजिटल रूप से उपस्थित होने को प्राथमिकता दे रहे हैं और यह तकनीक व प्रबंधन का ही कमाल है कि हम इस प्रकार कई कार्य कर पा रहे हैं। स्वास्थ्य और कल्याण को खोजने के लिए प्रबंधन न केवल देखभाल के पैमाने को रणनीतिक और आर्थिक रूप से व्यवस्थित करने की अनुमति देता है बल्कि जन स्वास्थ्य के कई अप्रत्याशित खतरों से निपटने के लिए भी तैयार है।’
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट, डॉ. पी. आर. सोढानी ने कहा कि ‘कोविड-19 की वजह से बेहतर स्वास्थ्य व कल्याण को एक चुनौती के रूप में देखा जाने लगा है। इस समय के दौरान, दुनिया भर में स्वास्थ्य व कल्याण के पहलुओं पर चर्चा करने के लिए शिक्षाविदों को आगे आना चाहिए। हम इस आयोजन में मुख्य वक्ता के तौर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के युनाइटेड नेशंस एकेडमिक इम्पैक्ट के प्रमुख श्री रामू दामोदरन की उपस्थिति से काफी खुश हैं। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी द्वारा देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य के वातावरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। हमें इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी करने में काफी गर्व हो रहा है, क्योंकि यह मुख्य रूप से स्वास्थ्य व कल्याण के एकमात्र उद्देश्य के लिए शैक्षणिक संस्थानों को एकजुट करने पर प्रमुखता से केंद्रित है।’
इस कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रोफेसर व डीन ट्रेनिंग— डॉ. शिव त्रिपाठी ने कहा कि ‘यूनिवर्सिटी ग्लोबल कोअलिशन की योजना के पीछे यूनिवर्सिटीज व अन्य उच्च शैक्षणिक संगठनों को एक वैश्विक मंच का गठन करना और शिक्षा, अनुसंधान व सेवा मिशनों के जरिए स्थानीय व वैश्विक स्तर पर सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र के साथ साझेदारी में कार्य करने का विचार है। विभिन्न संदर्भों में स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार के लिए ज्ञान के हस्तांतरण के वैकल्पिक तरीकों की पहचान करना इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य है, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ की विकासशील एवं उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में।’
जर्मनी के बर्लिन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड इनोवेशन के प्रोवोस्ट एवं चीफ एकेडमिक ऑफिस के प्रोफेसर व चीफ प्रो. डॉ. केरियाकोस कुवेलियोटिस ने ‘इफैक्टिव वेज ऑफ नॉलेज ट्रांसफर ग्लोबली’ विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि ‘तकनीक के कारण वैश्विक स्तर पर शिक्षा में बदलाव आया है। समकालीन हेल्थकेयर मैनेजमेंट एजुकेशन को छात्रों पर अधिक केंद्रित होना चाहिए और इसे साथ मिलकर सीखने की ओर बढ़ना चाहिए।’
तंजानिया की मेजुम्बे यूनिवर्सिटी के डिप्टी वाइस चांसलर (एकेडमिक) डॉ. गंका डेनियल न्यमसोगोरो ने कहा कि ‘स्वास्थ्य सेवा के विकास में स्वास्थ्य सेवा विकास एवं उपकरणों के इस्तेमाल के मामले में अंतर है। स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य और स्वास्थ्य प्रणालियों में बदलाव व सुधार करने हेतु इनोवेशन का उपयोग किया जा सकता है। स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में जानकारी के हस्तांतरण के माध्यम से एक्सचेंज प्रोग्राम बड़ा प्रभाव पैदा करते हैं।’
सर्बिया के एंटी-पावर्टी एजुकेशन ग्रुप के सह-अध्यक्ष, (यूएन) पीआरएमई, श्री मिलेंको गुदिक ने ‘कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव्ज’ पर बात करते हुए कहा कि ‘हमें हेल्थकेयर मैनेजमेंट के लिए और वैलबीईंग के सस्टनेबल डवलपमेंट गोल्स को हासिल करने के लिए कैपेसिटर्स को प्रशिक्षित करने हेतु हमारे पहले से मौजूद संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए ज्ञान अनुशासनात्मक है और मुख्य रूप से इस पर फोकस होना चाहिए कि कैसे सीखना चाहिए।’
सुश्री विनीता गुप्ता ने ‘हाउ इंटीग्रेटिंग हैल्थकेयर मैनेजमेंट एट द अंडरग्रेजुएट लेवल’ विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए हमें शिक्षा में बदलाव करना होगा। स्नातक छात्रों के लिए हेल्थकेयर एजुकेशन को सह-पाठ्यक्रम के रूप में लागू किया जाना चाहिए। शिक्षा छात्रों पर तभी केंद्रित हो सकती है जब हम उनकी भलाई पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’
श्री रामू ने अपने संबोधन के दौरान बताया कि ‘एसडीजी-3 व एसडीजी-5 मिलकर ही एसडीजी-4 बनाते हैं, जो शिक्षा है। हेल्थकेयर व शिक्षा में जब हम मिलकर काम करते हैं तो ज्ञान के आदान-प्रदान व इनोवेशन को लागू करके चमत्कार कर सकते हैं।’