Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 8 मार्च 2021 – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संघटक अनुसंधान निदेशालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के तहत संचालित अनुसूचित जाति उप – योजना के अंतर्गत भोपाल सागर के वडवई गांव में खेती में ट्राइकोडरमा के फायदे एवं उत्पादन तकनीकी पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यशाला का आयोजन हुआ। प्रशिक्षण प्रभारी डॉ आर एन बुनकर ,(पौध रोग विशेषज्ञ) ने जैविक कृषि में रोग प्रबंधन हेतु जैव मित्र कवक ट्राइकोडरमा की उपयोगिता एवं वृहद स्तर पर इसे गोबर की खाद पर तैयार करने की उन्नत तकनीकी की जानकारी दी ।
इस अवसर पर अनुसूचित जाति के 30 किसानों को महत्वपूर्ण अदाननो- पीठ आधारित ट्राइकोडरमा कल्चर, प्लास्टिक टब, बेलचा/ सावल, प्रशिक्षण टेक्निकल फोल्डर एवं मास्क का वितरण किया गया। कार्यक्रम के सह प्रभारी डॉ हरि सिंह ने बताया कि किसान विभिन्न तकनीकों/ प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर अपना उत्पादन एवं रोजगार के अवसर कई गुना बढ़ा सकते हैं तथा जैविक कृषि में ट्राइकोडर्मा के महत्व पर विचार रखें । मृदा रोग विशेषज्ञ डॉ धर्मपाल सिंह डूडी ने किसानों को मृदा परीक्षण से संबंधित जानकारियों की चर्चा करते हुए असली और नकली खाद की पहचान एवं उपयोगिता पर प्रकाश डाला ।अंत में स्थानीय सरपंच श्री भैरू लाल जटिया ने सभी किसानों एवं अधिकारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।