Editor-Manish Mathur
जयपुर 14 मार्च 2021 – ऐसे कई घरेलू ऐप्स हैं जो दुनिया के दिग्गज सोशल मीडिया ऐप्स के देशी विकल्प उपलब्ध कराते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं। इन ऐप्स की सफलता में सरकारी एजेंसियों की सहायता का भी आंशिक योगदान है।
ट्विटर की तर्ज पर उसके प्रतिस्पर्द्धी के रूप में मार्च 2020 में कू (Koo) लॉन्च किया गया था। डेटा एनालिटिक्स फर्म, सेंसर टॉवर के मुताबिक, भारत में लगभग 54 लाख उपयोगकर्ता इसे डाउनलोड कर चुके हैं। गूगल मैप्स की तर्ज पर मैप माय इंडिया लॉन्च किया गया और लगभग 10 लाख से अधिक इसके डाउनलोड्स हो चुके हैं। इसे को-विन ऐप्प के साथ भी एकीकृत किया गया है।
कू के सह-संस्थापक, मयंक बिदावतका ने कहा, ”हमारी प्रतिस्पर्द्धा ट्विटर के साथ नहीं है। ट्विटर का परिचालन वैश्विक पैमाने पर है और वो प्रमुख रूप से अंग्रेजी भाषाभाषी ऑडियंस पर लक्षित है। हमारा उद्देश्य भारत के लोगों की ज़रूरतें पूरी करना है जिनके लिए भाषाई बाधाओं के चलते उनकी अपनी भाषा में माइक्रोब्लॉग का विकल्प उपलब्ध नहीं है। हमें उपयोगकर्ताओं को उनकी अपनी भाषा के चुनाव का विकल्प दिया है।” यह देशी ऐप्प अभी अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु और मराठी में है। इसका बीटा वर्जन बांग्ला भाषा को भी सपोर्ट करता है।
कू की लोकप्रियता लगभग एक महीने पहले तेजी से बढ़ी, जब सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, रवि शंकर प्रसाद सहित बीजेपी के कई राजनेता इस प्लेटफॉर्म से जुड़े। 10 फरवरी को, श्री प्रसाद ने राज्य सभा में प्रश्न-काल के दौरान ‘कू’ की प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा, ”कू, भारत में बना ऐप्प है जो आज बेहद सफल है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए…आइए हम हमारे स्टार्ट-अप्स के असाधारण साहस को सलाम करें।”
6 महीने के भीतर, कू बड़े पैमाने पर बढ़ा है और लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कू को एक बड़े मंच पर पहचान तब मिली जब इसे आत्मनिर्भर भारत अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसकी खास बात यह है कि इसके उपयोगकर्ता अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, कन्नड़, तमिल और तेलुगु भाषाओं में पोस्ट कर सकते हैं।