भविष्य में पौध व्याधियों के परिदृश्य पर राष्ट्रीय वेबिनार

Editor-Ravi Mudgal 

जयपुर 14 मार्च 2021  – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधान में भविष्य में पौध व्याधियों के परिदृश्य पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित की गई  । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो0 नरेन्द्र सिंह राठौड़, कुलपति महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय, उदयपुर ने समेकित व्याधि प्रबन्धन की आवश्यकता के बारे में कहा कि प्रादेशिक रोग एवं रोग जनकों की सही पहचान एवं निदान कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया । उन्होंने उन्नत एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों के बीजोत्पादन पर अनुसन्धान की आवश्यकता पर बल दिया साथ ही जैव नियन्त्रण पर पौध व्याधि विज्ञान एवं मृदा विज्ञान विभागों में चल रहे कार्यो की सराहना की एवं गुणवत्ता युक्त उत्पाद की आवश्यता पर जोर दिया ।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉं0 दिलीप सिंह द्वारा स्वागत भाषण के दौरान फसलों में आने वाली विभिन्न बिमारियों एवं इनसे उत्पन्न विभिन्न चुनोतियों की चर्चा की एवं यह बताया कि इस परिपेक्ष्य में आज की वेबिनार में डॉं0 सी.डी. मई एक प्रख्यात रोग वैज्ञानिक द्वारा दी जाने वाली जानकारी प्रादेशिक रोगों के निदान में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी ।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पूर्व चेयरमैन कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल एवं अन्य प्रमुख पदों को सुशोभित करने वाले डॉं0 सी.डी. मई ने अपने विस्तृत व्याख्यान में कहा कि डॉं0 नरेन्द्र सिंह राठौड़, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अपने उप महानिदेशक कृषि शिक्षा के कार्यकाल में कृषि शिक्षा को बहुत उच्च आयामों तक पहॅुचाया, जिसे लम्बे समय तक याद किया जावेगा, साथ ही अपने उद्बोधन में डॉं0 मई ने बदलते हुये पर्यावरण से बदलते पौध रोग परिदृश्य पर प्रकाश डाला । डॉं0 मई ने बताया कि बागवानी की उत्पादकता अब फसलों की उत्पादकता से अधिक बढ़ गई है, साथ ही वर्तमान में गौण समझे जाने वाले रोग जैसे कि शीथब्लाईट, फाल््सस्मट, गेहॅूं का ब्लास्ट, अंगूर में रस्ट एवं धनिया में स्टेमगोल भविष्य में बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं । उन्होने रोग प्रबन्धन के नवीन तरीकों जैसे कि मार्कर असिस्टेड ब्रिडिंग, माईक्रोप्रोपेगेशन, ट्रान्सजैनिक टेक्नोलोजी एवं जी एम फसलों के सन्दर्भ में चर्चा की एवं बीटी कॉटन, बासमति चॉंवल एवं साबा मसुरी सुगन्धित चॉंवल के उदाहरण प्रस्तुत किये । उन्होने इस दिशा में उपयोग होने वाले विभिन्न जैव नियन्त्रकों, नोवलजीन व जिनोमिक एडिटिंग की पादप रोग प्रबन्धन में भूमिका की विस्तार से चर्चा की एवं महत्व के बारे में प्रकाश डाल ।

कार्यक्रम के अन्त में डॉं0 अमित त्रिवेदी, विभागाध्यक्ष, पौध व्याधि विभाग ने सभी का धन्यवाद अर्पित किया, कार्यक्रम का संचालन डॉं0 विरेन्द्र नेपालिया, विशेषधिकारी, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने किया तथा कार्यक्रम का तकनीकी संचालन श्री पियूष चौधरी ने किया।ं

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