बेंगलुरू, 30 सितंबर, 2021: एस्ट्राजेनेका इंडिया (एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड), जो कि एक प्रमुख विज्ञान-आधारित बायोफार्मास्युटिकल कंपनी है, ने हेल्थ-टेक स्टार्टअप, ट्रायकॉग के साथ मिलकर‘प्रोजेक्ट हार्ट बीट‘ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया, जो हार्ट अटैक के रोगियों के शुरुआती और सटीक निदान पर केंद्रित है, जिससे मृत्यु दर को कम किया जा सके।यह वर्तमान में टियर 1, 2 कस्बों और गांवों में चल रहा है, जहां गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवा की पहुंच नहीं है। यह परियोजना क्लाउड-आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समर्थित इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) की व्याख्या को सक्षम करके, रोगियों को निकटतम कैथ लैब या फाइब्रिनोलिसिस केंद्रों तक पहुंचाकर संदिग्ध दिल के दौरे के रोगियों के लिए शीघ्र निदान और हस्तक्षेप की आवश्यकता को पूरा करती है, जिससे सटीक निदान और समय पर उपचार सुनिश्चित होता है और अंततःरोगी के परिणाम में सुधार होता है।
इस पहल का उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक देखभाल केंद्रों में चिकित्सकों और तकनीशियनों को बेहतर उपचार परिणामों के लिए अनुशंसित एसीएस (एक्यूटकोरोनरी सिंड्रोम) उपचार प्रोटोकॉल और तृतीयक देखभाल केंद्रों के लिए प्रारंभिक रेफरल का पालन कर के दिल के दौरे के रोगियों का बेहतर प्रबंधन करने में मदद करना है।
प्रोजेक्ट हार्टबीट के सफल रोल आउट पर टिप्पणी करते हुए, एस्ट्राजेने का इंडिया के प्रबंध निदेशक, गगन सिंह बेदी ने कहा, “हार्टअटैक और इसके उपचार के संबंध में, शीघ्र निदान और समय पर उपचार महत्वपूर्ण है। चूंकि युवा आबादी भी इन दिनों दिल के दौरे से ग्रस्त है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम देश के ग्रामीण हिस्सों में शीघ्र निदान और उपचार के लिए सुविधाओं की व्यवस्था करें, क्योंकि उनके पास आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक आसान पहुंच नहीं है । इस कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्यों में एमआई रोगियों का शीघ्र और सटीक निदान, डोर टू बैलून टाइम / नीडल टाइम को कम करना और प्राथमिक देखभाल केंद्रों पर आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराना शामिल है। इस कार्यक्रम के माध्यम से, हम पहले ही 13,000 से अधिक रोगियों के जीवन को स्पर्श कर चुके हैं और इसके परिणाम स्वरूप असामान्य ईसीजी की शीघ्र पहचान हुई है, जिन्हें प्रभावी रोग प्रबंधन में और सहायता के लिए उनके संबंधित टर्शियरी केयर अस्पतालों में भेजा गया था।”
इस अभियान के लिए, एस्ट्राजेने का ने हब एंडस्पोक मॉडल का प्रयोग किया है , जिसमें इसने बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप ट्रायकॉग हेल्थ के साथ साझेदारी की है। वर्तमान में 39 प्राथमिक/द्वितीयक देखभाल केंद्रों (स्पोक) से जुड़े 8 तृतीयक देखभाल केंद्र (हब) हैं, जहां एक संचारक उपकरण के साथ 12-लीड ईसीजी मशीनें लगायी गयी हैं। डिवाइस वास्तविक समय में क्लाउड पर ईसीजी रीडिंग भेजता है, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) एल्गोरिदम डेटा की व्याख्या करता है, जिसकी समीक्षा प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा की जाती है और प्रतिक्रिया को प्राथमिक / माध्यमिक देखभाल केंद्र में वापस भेज दिया जाता है। साथ ही 10 मिनट से भी कम समय में इसे तृतीयक देखभाल केंद्र को भेज दिया जाता है।
इस पहल पर टिप्पणी करते हुए, ट्राय कॉग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी,डॉ चरित भोगराज ने कहा, “हम इस परियोजना के लिए एस्ट्राजेने का के साथ साझेदारी कर के खुश हैं क्योंकि यह कुछ ऐसा है जो कई भारतीयों के जीवन को प्रभावित करता है । भारत दुनिया भर में कार्डियो वैस्कुलर बीमारी (सीवीडी) के उच्चतम बोझों में से एक है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि दिल के दौरे के आधे से अधिक मामलों में अस्पताल पहुंचने में छह घंटे से अधिक समय लगता है, और दुर्भाग्य से, निदान और उपचार में देरी के कारण कई लोग अपने प्रियजनों को खो रहे हैं। यहां हम इस अंतर को पाटने की कोशिश कर रहे हैं।”
वर्तमान में, प्रोजेक्ट हार्टबीट के भारत में हार्टअटैक के रोगियों के इलाज के लिए सभी सुविधाओं युक्त आठ प्रमुख केंद्र हैं।इसमें संजीवन मेडिकल सेंटर, कराड- महाराष्ट्र, मेट्रो हार्ट- फरीदाबाद, स्पंदन अस्पताल- भोपाल, मध्यप्रदेश, सीकेएस अस्पताल- जयपुर, लाइफलाइन अस्पताल- ठाणे, बीकेएलवाला वाला कर ग्रामीण मेडिकल कॉलेज, कसारवाड़ी- महाराष्ट्र शामिल हैं और आने वाले महीनों में पूरे भारत में पहल का विस्तार करने की योजना है।