एडिटर – दिनेश भारद्वाज
जयपुर, 26 दिसंबर। मैंने अपनी किताब के किसी भी किरदार को नाम नहीं दिया, जिससे रीडर्स अपनी इमेजिनेशन को किसी एक छवि के साथ ना बांधे और हर कोई उस से आसानी से तालुख कर सके, ये कहना था साइकोलॉजिस्ट, शिक्षाविद और ऑथर डॉ. हर्षिका पारीक का। बुक ‘अपोस्टफी’ की लॉन्च और बुक रीडिंग का रविवार को मालवीय नगर स्थित अटरियां में आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान पुस्तक का विमोचन विजय लक्ष्मी पारीक, जानी-मानी ऑथर मृदुल भसीन, सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद भसीन, शिक्षाविद रितु सिंह और प्रोफ़ेसर डॉ एनडी माथुर ने किया।
इस अवसर पर ऑथर ने तोशी विजय से बातचीत में बताया कि मेरी ये बुक प्यार पर है और उसके इर्द गिर्द घूमने वाले अनुभवों पर है। मेरी जिंदगी और आस-पास घटने वाले किस्सों से प्रेरित कुछ शार्ट स्टोरीज इस किताब में कैद है। इन सभी कहानियों की ना कोई शुरुआत है ना ही कोई अंत, बस ये सभी छोटे-छोटे यादगार पलों को संजो के लिखा है। प्यार से जुडी घटनाओं पर गड़ी इन कहानियों के किसी भी किरदार का कोई नाम नहीं है, जिससे इसे पढ़ने वाले अपनी कल्पना की कोई सीमा ना बांधे। पेशे से साइकोलॉजिस्ट हर्षिका ने समाज में प्यार से जुडी मानसिकता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि मनोविज्ञानिक होने की वजह से मैं लोगों के जीवन को गहराई से देख पाती हूं। बचपन में काफी छोटी उम्र में मैंने अपने पिता को खो दिया, जिसके बाद मैंने जीवन में प्रेम का अर्थ समझा। आज दूसरे लोगों की दिमागी दुनिया के जरिए मैंने महसूस किया है कि हर किसी को प्यार की तलाश है मगर सामाजिक बंधनों में इतने जकड़े हुए है कि आज भी पुरानी रीतियों के चलते हम असली इमोशंस को महसूस नहीं कर पाते।