Editor- Manish Mathur
जयपुर 25 अगस्त : यह शहर में बच्चों के लिए सजे सिनेमाई जगत का दूसरा दिन है और हमारे नन्हे दर्शकों का उत्साह चरम पर है। मौका है तीन दिवसीय आर्यन इंटरनेशनल चिल्ड्रंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ जयपुर और 16 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स के दूसरे दिन का, जहां दुनिया भर से आई अनूठी और मनोरंजक फिल्में बच्चों को दिखाई गई। शहर के लगभग दस स्कूलों में हुए फिल्मों के प्रदर्शन का हज़ारों बच्चों ने भरपूर आनन्द लिया।
विविध देशों से आई फिल्मों का हुआ प्रदर्शन
फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन विशेष रूप से दिखाई गई – पोलैण्ड के टोमाज़ पार्टिक स्टेंकीविक्ज़ निर्देशित महाराजाज़ चिल्ड्रन – अ ब्रेव बंच इन इंडिया, साउथ अफ्रिका की एनिमेशन फिल्म फेज़िटो गोज़ टू मार्केट, हन्ना बेकममबेतोवा निर्देशित एनिमेशन फिल्म एंड्रयूशाज़ डायरी, जर्मनी की लॉरा लेहमुस निर्देशित फीचर फिक्शन फिल्म दा स्वीट डिज़ास्टर, फ्रांस के अमर्तेई आर्मर निर्देशित शॉर्ट फिक्शन फिल्म सुटसुए, ऑस्ट्रेलिया से जॉन ह्यूज निर्देशित पीस पिलग्रिम्स और हॉन्ग कॉन्ग से यान यान निर्देशित साउंड ऑफ साइलेंस।
प्रदर्शित होने वाली भारतीय फिल्मों में राजा घोष निर्देशित चाबी वाला, तपेन नटम की 14 मिनट लम्बी बोर्म, एलन डे इलांगो और आयशा राव की शॉर्ट एनिमेशन फिल्म वॉइसेज़ फ्रॉम दा केज और एमी बरुआ की शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म स्क्रीमिंग बटरफ्लाइज़ ख़ास रही।
महाराजाज़ चिल्ड्रन – अ ब्रेव बंच इन इंडिया फिल्म का भारत से है ख़ास कनेक्ट
पोलैंड का भारत से क्या कनेक्ट रहा है? भारतीय दर्शकों के लिए यह फिल्म ज़रूरी और अहम क्यूं है? कई ऐसे रोचक प्रश्नों के इर्द – गिर्द बातचीत हुई, जहां पोलैंड की फिल्म महाराजाज़ चिल्ड्रन – अ ब्रेव बंच इन इंडिया को लेकर फिल्म की क्रिएटिव प्रोड्यूसर और स्क्रीन राइटर मोनिका कोवालेज़को – सुज़मोवस्का, डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर चन्द्रशेखर और जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के फाउंडर हनु रोज़ मीडिया से मुख़ातिब हुए। मोनिका बताती हैं कि यह फिल्म एक वेब डॉक फॉर्मेट में बनाई गई है, जो बच्चों से कम्यूनिकेट करती है और उन्हें बांधे रखती है, जो बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट है। मोनिका ने कहा कि भारत की दृष्टि से यह फिल्म बहुत महत्वपूर्ण है, जो दर्शाती है कि कैसे वर्ष 1942 में यहां के महाराजा ने पोलैंड की सहायता की। यह भारतीयों की दयालुता को दिखाती है और यह संदेश अधिकाधिक लोगों तक पहुंचना चाहिए।
बच्चों का उत्साह देख मैं बहुत खुश हूं – मोनिका
पोलैंड से भारत में चौथी मर्तबा आई मोनिका कोवालेज़को – सुज़मोवस्का आर्यन इंटरनेशनल चिल्ड्रंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ जयपुर और 16 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स के आयोजन पर अपार खुशी जताते हुए कहती हैं कि उनकी फिल्म स्क्रीनिंग के बाद बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। वे बताती हैं कि उत्सुकता से भरे नन्हे दर्शकों ने उनसे कई रोचक प्रश्न भी किए। मोनिका मानती हैं कि बच्चों के लिए इस प्रकार के फिल्म फेस्टिवल होना बहुत अच्छी शुरुआत है। बच्चों के लिए कई किताबें लिख चुकी मोनिका मानती हैं कि सिनेमा महज़ मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह लोगों को शिक्षित करने का कार्य करता है। भारत के अनुभवों को दर्ज करते हुए मोनिका ने बताया कि यहां के लोग अविश्वसनीय रूप से अच्छे रहे हैं, वहीं भारतीय सिनेमा भी जिस तरह कलरफुल है, उन्हें काफी पसंद है।
कल दिखाई जाएंगी यह फिल्में
फिल्म फेस्टिवल के तीसरे और आख़िरी दिन विशेष रूप से दिखाई जाने वाली फिल्मों में शामिल हैं – आयरलैण्ड से रुआन मगन की डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म स्टेप्स ऑफ फ्रीडम – दा स्टोरी ऑफ आइरिश डांस, लाट्विया से मारा लिनिना निर्देशित शॉर्ट एनिमेशन फिल्म हश हश लिटिल बीयर, इटली से रफेल सेल्वागिओला निर्देशित दा चेयर, ऑस्ट्रेलिया से रेबेका गौसी निर्देशित शॉर्ट फिक्शन फिल्म स्पेशल, शेज़ रिपब्लिक से फराज़ आलम की फिल्म बिटवीन दा लाइंस और ईशान योगेश राजाध्यक्ष निर्देशित डेस्टिनेशन पैराडाइज़, यू.एस. से डेविड ज्यूरिक की शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म अर्थ टू आर्ट: बास्केट मेकर, यू.के. से जेनिफर फर्नले निर्देशित अ बैटर प्लेस, बेल्जियम से एंटोनियो स्पेनो की एमुको और फ्रांस से शोले बेलोक् निर्देशित वूल्फ विस्पर्स।
भारतीय फिल्मों में कार्तिक स्वामीनाथन की मुगिज़, विनोथ वीरामणि निर्देशित शॉर्ट फिक्शन फिल्म काकिथम – पेपर, जीनत जूली अहमद की शॉर्ट फिक्शन फिल्म प्रोजेक्ट बंखोलिया दिखाई जाएगी।