नई दिल्ली, 27 अगस्त, 2022: भारत के सबसे बड़े म्युचुअल फंड ऐप्स में से एक और सबसे तेज़ी से विकसित होते इन्वेस्टमेन्ट अडवाइज़री प्लेटफॉर्म ईटी मनी ने हाल ही में अपनी एक्सक्लुज़िव रिपोर्ट ‘इंडिया इन्वेस्टर पर्सनेलिटी रिपोर्ट 2022’ जारी की है, जिसमें लाखों निवेशकों की सोच और उनके विचारों पर रोशनी डाली गई है। इनवेस्टर पर्सनेलिटी असेसमेन्ट फीचर के द्वारा इन रूझानों का आकलन किया गया है, जो चार मानकों- रिस्क टॉलरेन्स, लॉस एवर्ज़न, फाइनैंशियल मास्टरी और ओवरकॉन्फिडेन्स लैवल (जोखिम सहने की क्षमता, नुकसान को कम करना, वित्तीय महारत और ज़्यादा आत्मविश्वास) के आधार पर निवेशक (यानि इन्वेस्टर) का मूल्यांकन करता है और निवेश के बारे में उनकी सोच का अनुमान लगाता है।
यह मूल्यांकन निवेशक को आठ अनूठे इन्वेस्टर पर्सनेलिटी टैग्स देता है, जो निवेश के प्रकार पर निर्भर करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार ज़्यादातर भारतीय निवेशक स्टै्रटेजाइज़र (35 फीसदी) होते हैं- यह निवेशकों का ऐसा प्रकार है जो जोखिम की गणना करके ही एक्शन लेते हैं। इसके बाद 31 फीसदी निवेशक एक्स्प्लोरर होते हैं, जो स्मार्ट हैं और कभी-कभी ज़्यादा आत्मविश्वास के साथ जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं।
निवेशक की पर्सनेलिटी (व्यक्तित्व) के अन्य प्रकार हैं- प्रोटेक्टर, एनालाइज़र, सीकर, एडवेंचरर, रीसर्चर और ऑबज़र्वर- देश के शेष 34 फीसदी निवेशक इन बची हुई श्रेणियों में आते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीयों में जोखिम सहने की रेंज 52 से 81 के बीच है यानि वे निवेश के दृष्टिकोण से अच्छा जोखिम ले सकते हैं। ज़्यादा जोखिम (हाई-रिस्क टॉलरेन्स) लेने से लम्बी अवधि में अच्छे परिणम मिल सकते हैं, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कम जोखिम लेने वाले निवेशक (लो-रिस्क टॉलरेन्स) भी इक्विटी में भारी निवेश करते हैं, जिससे साफ है कि जोखिम लेने की क्षमता की अनदेखी की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार नुकसान उठाने की बात करें तो ज़्यादातर भारतीय इसमें कम सहज महसूस करते हैं। फिर वे भी ज़्यादा जोखिम लेते हैं, ऐसे में बाज़ार में उतार-चढ़ावा होने पर असहज हो जाते हैं।
रिपोर्ट में एक रोचक तथ्य सामने आया है कि भारतीय निवेशक जो फाइनैंशियल मामलों में मास्टरी रखते हैं, वे अपने मौजूदा एसआईपी के साथ-साथ सोच-समझ कर एक मुश्त निवेश भी करते हैं, जबकि वे निवेशक जिन्हें ज़्यादा फाइनैंशियल समझ नहीं हैं, वे सिर्फ एसआईपी पर ही टिके रहते हैं। रिपोर्ट का एक सकारात्मक पहलु यह है कि महिला निवेशक ज़्यादा संगठित होते हैं और योजना बनाकर निवेश करते हैं। यही कारण है कि पुरूषों की तुलना में ज़्यादातर महिला निवेशकों को स्टै्रटेजाइज़र और रीसर्चर के टैग मिले हैं।
इस एक्सक्लुज़िव रिपोर्ट के बारे में बात करते हुए मुकेश कालरा, संस्थापक एवं सीईओ, ईटी मनी ने कहा, ‘‘आपके निवेश के तरीकों पर ही निर्भर करता है कि आपका पैसा कैसे बढ़ेगा। और इन्हीं पहलुओं को समझ कर ही आप निवेश के स्मार्ट फैसले ले सकते हैं। ‘ईटी मनी इंडिया इन्वेस्टर पर्सनेलिटी रिपोर्ट 2022’ रियल टाईम में स्थिति को समझने में मदद करती है यानि भारतीय निवेशक जोखिम लेने की क्षमता पर विचार किए बिना ही रिटर्न के पीछे भाग रहे हैं। इन विचारों से बाहर आकर ही आप निवेश के बेहतर और स्मार्ट फैसले ले सकते हैं। यही कारण है कि हमारी अनूठी पेशकश ईटी मनी जीनियस सबसे पहले यूज़र की पर्सनेलिटी को समझती है और इसके बाद उनकी जोखिम लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उन्हें पोर्टफोलियो का सुझाव देती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीयों में निवेश के फैसले रिटर्न और मार्केट को देखते हुए लिए जाते हैं, इस व्यवहार में उचित बदलाव लाने की आवश्यकता है। इसी के मद्देनज़र मेंबरशिप सर्विस ईटी मनी जीनियस, निवेशकों को उनके निवेश के उद्देश्य समझने में मदद करती है ताकि वे सोच-समझ पर अनुकूलित पोर्टफोलियो बना सकें।’