मुंबई (भारत), 07 दिसंबर 2022: विश्व स्तरीय डिजिटल इकोसिस्टम एनेबलर टाटा कम्युनिकेशंस ने भारत में बिहार और ओडिशा राज्यों में 2024 तक 50 लाख महिलाओं को उद्यमिता शिक्षा (entrepreneurship education) और प्रोफेशनल गाइडेंस प्रदान करने के उद्देश्य से अपनी ‘स्कूल ऑफ होप एंड एम्पावरमेंट‘ (एसएचई) प्रोजेक्ट के दूसरे फेज की शुरुआत की। प्रोजेक्ट के फेज 1 ने महिलाओं को इंटरनेट और आईवीआर के द्वारा स्वतंत्र रूप से एक व्यवसाय स्थापित करने और उसका मैनेजमेंट करने के लिए ज्ञान तथा कौशलता प्रदान की है और उद्यमिता की ओोर प्रेरित किया है।
टाटा कम्युनिकेशंस के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी आदेश गोयल ने कहा, “स्कूल ऑफ होप एंड एम्पावरमेंट प्रोजेक्ट के पहले चरण ने झारखंड में महिलाओं के हितों के काम को आगे बढ़ाया है और उन्हें अपने परिवार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के काबिल बनाया है। जबकि फेज 2 में अब हम भारत के बिहार और ओडिशा राज्यों में महिलाओं की मदद करने के लिए इस प्रोजेक्ट को 10 गुना बढ़ा रहे हैं। इस परियोजना के माध्यम से हम ग्रामीण और लैंगिक विकास की खाई (gender development gap) को पाटने के लिए आत्म–सशक्त शिक्षण मॉड्यूल, लोकल सपोर्ट इकोसिस्टम और सूक्ष्म समुदायों तक पहुंच का विस्तार कर रहे हैं।
2021 में यूनेस्को विश्व सम्मेलन में लांच किये गए प्रोजेक्ट के फेज 1 ने अपने लक्ष्य को पार कर लिया है और झारखंड में 10 लाख से अधिक महिलाओं को तयशुदा समय से 3 साल पहले ही उद्यमिता की शिक्षा (entrepreneurship education) प्रदान की है।
इस प्रोजेक्ट की सशक्त महिलाएं लैंगिक रूढ़िवादिता (gender stereotypes), घरेलू जिम्मेदारियों, वित्तीय बाधाओं, सामाजिक दबावों सहित संरचनात्मक बाधाओं (structural barriers) पर काबू पाकर साहस और आत्मविश्वास दिखाने का प्रतीक बन गई हैं। टाटा कम्युनिकेशंस और द बेटर इंडिया के सहयोग से मल्टी–मीडिया और मल्टी–स्टेकहोल्डर वाला यह प्रोजेक्ट भारत के ग्रामीण हिस्सों की महिलाओं को हर तरीके से सपोर्ट देने और उन्हें शिक्षित करने के लिए डिज़ाइन की गई है. जैसा कि टाटा कम्युनिकेशंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिपोर्ट 2022 में बताया गया है, इसकी सतत (sustainability) बुनियाद से सकारात्मक आर्थिक परिणाम संभव होते हैं जब हम अपने पर्यावरण, समाज और शासन (ईएसजी) की गतिविधियों को प्रभावी ढंग से मैनेज करते हैं और इसकी नीतियां तथा आचार विचार यूनाइटेड नेशंस सस्टेनेबल गोल्स (यूएन एसडीजी) के साथ मेल खाते हैं.
स्कूल ऑफ़ होप एंड एम्पावरमेंट
यह प्रोजेक्ट संयुक्त राष्ट्र एसडीजी नंबर 5 (लिंग समानता) और नंबर 8 (आर्थिक विकास) के साथ मेल खाता है। यह युवाओं और ग्रामीण समुदायों (विशेष रूप से महिलाओं) को व्यावसायिक, उद्यमिता और जीवन कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बना रहा है, जिससे संसाधनों, नई तकनीक और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ती है और जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अर्थव्यवस्था में सक्रिय योगदान करने में मदद मिलती है।
इस प्रोजेक्ट के फेज 1 की सफलता का जश्न मनाने और उसे पहचानने के लिए, दोनों पार्टनर्स ने एक एजुकेशन वीडियो सीरीज बनाई है जिसमें वास्तविक जीवन की महिला उद्यमियों को सक्सेस स्टोरी के साथ दिखाया गया है। ऐसी ही एक कहानी है झारखंड के सिमडेगा जिले के कुरुम देगी गांव की रहने वाली कलावती कुमारी की। इस प्रोजेक्ट की एक लाभार्थी कलावती ने एक व्यावसायिक अनुदान (business grant) जीत कर एक आटा चक्की स्थापित की जिसे आज वह अपने स्वयं के पैसे से चलाती है। कलावती ने कहा कि प्रोजेक्ट वर्कशॉप में एकाउंट्स मेंटेन रखने, कस्टमर रिलेशन को बनाये रखने, दुकान के माहौल को ठीक रखने और बचत के महत्व जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया।