जयपुर, 23 दिसम्बर। श्रीमती गोविंदी देवी इंदरलाल डेरेवाला मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट व श्री गौ गौरी गोपाल सेवा संस्था समिति के तत्वावधान में हुई भागवत कथा के अंतिम दिन व्यासपीठ से नवयोगेश्वर संवाद, अवधूतोपाख्यान व द्वादश स्कंध के प्रसंगों का श्रवण कराया गया। अंतिम दिन शहर के साथ ही दूर-दराज के इलाकों से 20 हजार से अधिकश्रद्धालु कथा का आनंद लेने पहुंचे। खचाखच भरे कथा यज्ञ स्थल पर कथा व्यास वृंदावन धाम के अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि किसी भी यज्ञ के होने से मानव में आई विकृतियां अपने आप दूर हो जाती हैं। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के माध्यम से समाज में एकजुटता आती है। हवन करने से देवता प्रसन्न होकर मानव का कल्याण करते हैं। उन्होंने ने कहा कि गुरु का नाम जपने मात्र से ही तमाम पापों का नाश हो जाता है। अगर भक्त अपने गुरु की पूजा सच्चे मन से करें तो उनका उद्धार हो जाता है। कथा वाचक ने प्रेम को परिभाषित करते हुए उसके महत्व को भी समझाया। उन्होंने कहा कि प्रेम के बिना जीवन, जीवन ही नहीं होता। अपने प्रियतम की खुशी में ही खुद की खुशी को मानना प्रेम होता है। व्यास पीठ पर विराजमान महाराज ने जैसे ही ओ कान्हा रे, तेरे बिना भी क्या जीना.. भजन गया तो कथा का श्रवण कर रहे श्रद्धालु खुद को ठाकुर जी के प्रेम में नाचने से रोक नहीं पाए। इस अवसर पर ट्रस्टी व कथा के आयोजक जुगल किशोर डेरेवाला ने परिवार सहित इस आलौकिक आयोजन के साक्षी बने और कथा श्रवण के लिए आए हजारों लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया।