भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास में 27 जनवरी, 2023 एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में याद रखा जनयेगा। इस दिन से इक्विटी सेगमेंट में किसी भी सिक्योरिटीज में किए गए सभी ट्रेडों को टी+1 आधार पर निपटाया जाएगा।
निपटान चक्र या सैटलमेंट साइकल को छोटा करने की यह यात्रा 7 सितंबर, 2021 को शुरू हुई, जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने स्टॉक एक्सचेंजों को इक्विटी खंड में उपलब्ध किसी भी प्रतिभूति पर 01 जनवरी, 2022 से टी+1 निपटान चक्र शुरू करने की अनुमति दी। सभी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी) ने संयुक्त रूप से चरणबद्ध तरीके से टी+1 निपटान चक्र के कार्यान्वयन के लिए रोडमैप को अंतिम रूप दिया।
इक्विटी का पहला बैच 25 फरवरी, 2022 को टी+1 निपटान में परिवर्तित हो गया, और उसके बाद, हर महीने लगभग 500 प्रतिभूतियों का एक बैच टी+1 निपटान में परिवर्तित होता चला गया। 27 जनवरी, 2023 से, सभी प्रतिभूतियां यानी एसएमई शेयरों सहित इक्विटी शेयर, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ), रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (आरईआईटी), इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (आईएनवीआईटी), सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी), सरकारी बॉन्ड और कॉरपोरेट बॉन्ड इक्विटी सेगमेंट में बिजनेस अब केवल टी+1 आधार पर निपटाया जाएगा।
भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आकार और इक्विटी सेगमेंट में संचालन के पैमाने को देखते हुए यह उपलब्धि महत्वपूर्ण है। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंज (डब्ल्यूएफई) के आंकड़ों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक ऑर्डर बुक में निष्पादित ट्रेडों की संख्या के आधार पर एनएसई कैलेंडर वर्ष 2021 में विश्व स्तर पर इक्विटी सेगमेंट में चौथे स्थान पर है।
एनएसई ने वित्तीय वर्ष 2022 में इक्विटी सेगमेंट में 2.7 करोड़ से अधिक निवेशकों (यूनीक पैन) का लेनदेन देखा और इस वित्तीय वर्ष में भी यह संख्या 2.3 करोड़ से अधिक हो गई है। वैल्यू की बात की जाए तो इंडीविजुअल निवेशकों के लगभग 36% के साथ इसका निवेशक श्रेणियों में भागीदारी का एक स्वस्थ मिश्रण है, इसके बाद 27% प्रॉपर्टी डेस्क, 15% फॉरेन इंस्टीट्यूशन निवेशक और 11% फीसदी डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशन निवेशक हैं।
विकसित और साथ ही उभरते बाजारों में विश्व स्तर पर अधिकांश स्टॉक एक्सचेंज टी+2 निपटान प्रणाली का पालन करते हैं।
एनएसई के एमडी और सीईओ श्री आशीष कुमार चौहान ने कहा: ‘यह भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा प्रदान किए गए निरंतर मार्गदर्शन और सभी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंटरमीडियरीज़ द्वारा विशेष रूप से क्लियरिंग कॉरपोरेशन, ट्रेडिंग सदस्यों, क्लियरिंग सदस्यों, संरक्षकों और अन्य सभी हितधारकों द्वारा निपटान चक्र को छोटा करने के लिए अनुकूलित करने के लिए क्रंचिंग टाइमलाइन प्रक्रियाओं को फिर से इंजीनियरिंग करने के लिए किए गए श्रमसाध्य प्रयासों के बिना यह उपलब्धि संभव नहीं होती। निपटान चक्र को टी+1 तक छोटा करने से निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण पूंजी दक्षता आएगी और पूरे उद्योग के लिए जोखिम कम करने में सुधार होगा।’