बिरला मंदिर में भागवत कथा

गालव ऋषि की तपो भूमि जयपुर में भगवत सप्ताह बिरला मंदिर के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाने वाला अवसर के मुख्य प्रसंग में भगवान शंकर स्वयं साधु का रूप धारण कर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप के दर्शन करने हेतु पधारते है यशोदा मैया ने दान में हीरा जवाहरात,सोना चांदी देने आती है लेकिन भगवान भोले यह सब कुछ लेने से मना कर देते है मैया मोहे तो लला दर्शन करवा देवो जब मैया ने भगवान शंकर को दर्शन करने से मना कर देती है तब भोले बाबा भगवान श्री कृष्ण को ध्यान करते है भगवान श्री कृष्ण जोर जोर से रोने लगते है मैया दौड़ी दौड़ी अपने लला को चुप करवाने आती है लेकिन लला चुप नही होते है और जैसे ही बाबा भोले के पास मैया लेकर जाती है भगवान कृष्ण खिल खिलाकर हंसने लगते है भगवान कृष्ण सम्पूर्ण बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए इंद्र के प्रकोप से भक्तो की रक्षार्थ गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठा कर सभी भक्तो की रक्षा करते हुए गिरिराज धरण कहलाए भगवान गिरिराज धरण के 56 भोग अन्नकूट का भोग लगाया
मुख्य रूप से गोर्वधन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण ने नख पर धारण किया
इसी मध्य राजस्थान खादी बोर्ड के अध्यक्ष श्री बृजकिशोर जी शर्मा,राजसिको अध्यक्ष श्री राजीव जी अरोड़ा,श्री एम डी बियानी जिनका स्वागत संत श्री रमताराम जी महाराज चितौड़गढ़ व्यासपीठ अलंकृत संत श्री दिग्विजय रामजी महाराज आयोजक परिवार के मुखिया श्री मान मदनलाल जी एवम् श्री राकेश कुमार जी विजयवर्गीय थली वाले मुख्य संरक्षक एवम् पूर्व महासभा अध्यक्ष अखिल भारतीय विजयवर्गीय वैश्य महासभा ने एवम् बिड़ला मंदिर के मैनेजर श्री राकेश जी डाड ने माला , साफा दुपट्टा पहनाकर किया मंत्री जी की अगवानी मुकेश जी विनोद जी थली वालो ने करी एवम् समस्त समाज बंधुओ भक्त जनों ने जोरदार स्वागत किया श्री श्याम लाल जी ( टहला ), ने संत श्री को 5100/ की भेंट चितौड़गढ़ रामद्वारा कबूतरो के दाने हेतु भेट करी जहा पर हजारों किं तादात पक्षी रोज 300 किलो दाना चुगते है

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