राजस्थान, 05 अगस्त 2023: ग्लोबल हैल्थ और वेलनेस कंपनी हर्बालाइफ इंडिया ने अपनी सीएसआर पहल के हिस्से के रूप में भारत में किसानों को प्रशिक्षित और सशक्त करने के लिए गैर-लाभकारी संगठन संभव फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है। हर्बालाइफ की सीड-टू-माउथ पहल के माध्यम से संगठन ने पूरे भारत में 9,300 से अधिक किसानों की कृषि क्षमताओं को मजबूत किया है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के प्रति हर्बालाइफ की प्रतिबद्धता के अनुरूप इस व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम ने कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश के 84 गांवों में 25,000 से अधिक परिवारों के जीवन में बदलाव किया है।
राजस्थान के अजमेर में, सीड टू माउथ पहल ने 3,000 किसानों पर सीधा प्रभाव डाला है, जिससे 8,463 परिवारों को बहुत फायदा हुआ है। कार्यक्रम ने सावर और केकड़ी तालुकों में थोक डीलरों की पहचान करके किसानों की उपज की थोक बिक्री को सफलतापूर्वक सुविधाजनक बनाया। किसानों को सीधे थोक डीलरों से जोड़कर, कार्यक्रम ने किसानों के लिए बड़ी मात्रा में अपनी उपज बेचने के लिए कुशल और प्रभावी चैनल बनाए। बाजार तक किसानों की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए किराए के वाहन उपलब्ध कराए गए, ताकि परिवहन का काम आसानी से हो सके। साथ ही, कटाई के समय एपीएमसी कीमतों पर नज़र रखना किसानों की उपज के लिए सर्वोत्तम संभव कीमतों की गारंटी देता है। इसके अतिरिक्त, किचन गार्डनिंग अवधारणा की शुरूआत ने 230 महिलाओं को सक्रिय रूप से शामिल और सशक्त बनाया है, जो घरेलू आय में योगदान दे रही हैं। नई शुरू की गई किसान राहत योजना में नामांकन के माध्यम से किसानों के लिए मुफ्त राशन, बिजली, स्वास्थ्य बीमा और गैस सिलेंडर जैसी 10 से अधिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का फायदा हासिल करना संभव हुआ।
यह प्रोजेक्ट अजमेर (राजस्थान), जैसे प्रमुख जिलों में लागू किया गया था, जिससे कृषक समुदाय को अत्याधुनिक कृषि शिक्षण संसाधनों से लैस किया गया, परिचालन लागत कम की गई और आय बढ़ाने के लिए उनकी बाजार तक पहुंच बनाई गई। जुलाई 2022 में लॉन्च होने के बाद से, सीड-टू-माउथ पहल ने किसानों को प्रमुख उद्योग के खिलाड़ियों के साथ जोड़कर क्षेत्र तक पहुंच को बढ़ाया है, जिससे उन्हें बड़े पैमाने पर ग्राहकों तक पहुंचने और अपनी बाजार पहुंच का विस्तार करने में मदद मिली है।
हर्बालाइफ इंडिया के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर अजय खन्ना ने कहा, ‘हमारा मानना है कि सामुदायिक सशक्तिकरण और उत्थान एक समतापूर्ण समाज बनाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। इस पहल का उद्देश्य छोटे पैमाने के किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है। सहयोग का उद्देश्य किसानों को उनकी खेती के तरीकों को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध करवाना है।’
एनजीओ ने किसानों को बीज, उपकरण, उर्वरक और ऋण जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करके कृषि के तौर—तरीकों में बदलाव को महसूस करने के लिए राज्यों में 50 से अधिक कृषि-विशेषज्ञों के परामर्श से एक नैदानिक अध्ययन किया। किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्रों और विश्वविद्यालय इनक्यूबेटरों के सहयोग से उन्नत कृषि तकनीक, फसल विविधीकरण, रसायनों का सुरक्षित उपयोग, भूमि प्रबंधन, ऋण सहायता और बाजार पहुंच जैसे आवश्यक विषयों पर व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त किया। खेती और सिंचाई पर विशेषज्ञों के नेतृत्व वाले सत्रों ने किसानों को पूरी खेती प्रक्रिया में सहायता प्रदान की।
श्री खन्ना ने आगे कहा, ‘इस पहल का उद्देश्य न केवल भारत में कृषि इको सिस्टम को मजबूत करना है बल्कि किसानों की कृषि पद्धतियों को भी बढ़ाना है जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकें। इस पहल का परिवर्तनकारी प्रभाव भारतीय गांवों में किसानों के जीवन में महसूस किया गया है, जिससे आजीविका और समग्र कल्याण में सुधार हुआ है।’
संभव फाउंडेशन की सीईओ सुश्री गायत्री वासुदेवन ने कहा, ‘अन्नदाता’ के प्रति संभव का समावेशी दृष्टिकोण उन्हें खेती के अत्याधुनिक ज्ञान के साथ सशक्त बनाकर, इनपुट लागत को कम करने और बाजार पहुंच की सुविधा प्रदान करके स्थायी आय उत्पन्न करने में सहायता करेगा। भारतीय कृषक समुदाय के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों के समाधान पर ध्यान देने के साथ, भारत में कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए सीड-टू-माउथ परियोजना की कल्पना की गई थी।’
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) जैसी भारत सरकार की बड़ी पहलों के अनुरूप है। इन सरकारी पहलों के साथ जुड़कर, सीड-टू-माउथ परियोजना यह सुनिश्चित करती है कि इसके प्रयास देश में कृषि क्षेत्र और किसानों की आजीविका में सुधार के लिए सरकार के बड़े लक्ष्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें।