जयपुर, 30 सितम्बर 2023 : 28 सितंबर से 2 अक्तूबर तक आयोजित होंने वाले साहित्य संगम में पिछली बार धाय माँ पन्न्रा के बलिदान पर नाट्य प्रस्तुति हुई थी। इसी क्रम में इस वर्ष शनिवार, 30 सितंबर को, गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय ‘दिवेर युद्ध विजय ‘ का नाट्य मंचन दीपक भारद्वाज के निर्देशन में कार्यरत युवतरंग संस्कृत नाट्य दल,जयपुर द्वारा प्रस्तुत किया गया.
शेखावाटी साहित्य संगम के संयोजक अभिमन्यु सिंह का कहना है कि इस प्रकार के गौरवपूर्ण व ऐतिहासिक नाट्य का मंचन भारत के विचार व स्वाभिमान को घर-घर व जन- जन तक जागृति लाने का कार्य करेंगे. विशेषकर युवा पीढ़ी में विजय के भाव जगाएंगे.
दिवेर राजस्थान ही नहीं, पूरे विश्व में भारत को गौरवांवित करने वाला विजय तीर्थ स्थल है, जहां एक भव्य विजय स्मारक भी बना है.
साहित्य संगम के संध्याकालीन कार्यक्रमों के संयोजक डा० नेकीराम बताते हैं
इस नाटक के दृश्य जो मुख्य आकर्षण के केंद्र -महाराणा प्रताप द्वारा बहलोल खां को चीरना ,14 वार्ष की आयु में युवराज अमर सिंह का सेनापति सुल्तान खां पर भाले से वार कर, उसे घोड़े समेत चीर देना . जनजाति सहित सर्व समाज का सहयोग व भामाशाह द्वारा मातृभूमि के लिए अपने सम्पूर्ण धन का समर्पण आदि रहे ।
कलाकार मंडली में सह निदेशक संदीप सहित यशस्वी, अर्जुन,देव आदि रहे। इसके लिए सशुल्क टिकिट व्यवस्था शहर के विभिन्न काऊंटर्स एवं रजिस्ट्रेशन डेस्क पर उपलब्ध रहे।
नारसी ने भक्ति संध्या में अपने भजनो द्वारा समां बंधा |
भारतीय संविधान और भारत का स्व विषय पर लक्समीनारायण भाला , हिरेन जोशी, इंदुशेखर तत्पुरुष ने अपने विचार रखे |
नागरिक शिष्टाचार विषय पर भाला, तत्पुरुष, जोशी और मेजर पुनिया ने सम्भोदित किया |
वर्तमान परिपेक्ष्य में हिन्दू पर इंदुशेखर तत्पुरुष और दीपक गोस्वामी ने चर्चा की | मेजर पुनिया ने युवाओं से संवाद किया |
शेखावाटी साहित्य संगम के दूसरे दिन शुक्रवार को विशिष्ट अतिथि मेजर सुरेंद्र पुनिया ने ‘भारत का स्व -वर्तमान चुनौतियां व हमारी भूमिका’ पर दर्शकों पर संबोधित करते हुए वैचारिक घोटाला को देश का सबसे बड़ा घोटाला बताया और बौद्धिक आतंकवाद को सबसे बड़ी चुनौती |
पुनिया ने कहा कि परिवार, समाज व राष्ट्र का स्वत्व उसकी चेतना में निहित हैं| भारत का स्वत्व हिन्दुत्व हैं, यह कोई धार्मिक शब्द नहीं यह हज़ारों वर्षों से चली आ रही भारत की संस्कृति है. मेजर पुनिया ने कहा कि 1947 में हम स्वाधीन तो हुए परंतु स्वतंत्र नहीं. देश में बड़े बड़े घोटाले हुए परंतु सबसे बड़ा घोटाला हुआ वैचारिक घोटाला | इतिहास की गलत व्याख्याएं की गई | भारत को अंधकारमयी देश बताया जिसे मुगलों व अंग्रेजों ने प्रकशित किया |
सबसे बड़ी छेड़छाड़ संविधान के साथ हुई जब आपातकाल के समय इसमे संशोधन कर सेकुलर शब्द जोड़ा गया| चुनौतियों की बात करते हुए मेजर ने कहा कि बौद्धिक आतंकवाद आज की सबसे बड़ी चुनौती हैं | बुरहान वानी और याक़ूब मेमन जैसे आतंकवादियों के लिए रात में कोर्ट खुलवा ली जाती हैं | न्यायपालिका का यह चयनित हस्तक्षेप देश के लिए घातक है.
प्रथम सेशन भाग्यश्री जी का रहा जिसमें भाग्यश्री ने प्राचीन काल से अब तक भारत के विकास में महिलाओं की भागीदारी उनकी उन्नति अवनति और सशक्तिकरण पर मुख्य रूप से बात की|
जिसमें उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में वेद लिखने से लेकर मध्यकाल में कई शासन को महिलाओं द्वारा चलाया गया तथा वर्तमान में चंद्रयान मिशन की सफलता में भी महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है में भी महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है…
वही शेखावाटी साहित्य संगम के दूसरे दिन के तृतीय सत्र में लेखक तेज सिंह राठौड़ ने अपनी पुस्तक झील का दर्द( कहानी संग्रह) पर परीचर्चा की| वीर रस के प्रसिद्ध कवि राम बधावर ने राजस्थान के गौरवमयी इतिहास को कविताओं के माध्यम से जीवंत किया |कवि हरिश हिन्दुस्तानी ने कविता पाठ कर ध्यान आकर्षित किया। भूमिका जैन की श्रृंगार रस पर कविताएं सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हुए तो वहीं हास्य रस के कवि लटूरी लट्ठ ने साधु साथ वहीं देंगे जैसी पंक्तियों के माध्यम से श्रोताओं को लोटपोट किया।
गुरुवार को कार्यक्रम के पहले सत्र में “स्व आधारित भारत का नवोत्थान” विषय पर चर्चा हुई जिसमें मुख्य वक्ता अरविंद महला, वरिष्ठ पत्रकार अर्चना शर्मा, प्रसिद्ध लेखिका अंशू हर्ष एवं महावीर रहे। दूसरे सत्र में लेखिका अंशू हर्ष की पुस्तक “महाभारत के हनुमान” पर विस्तृत चर्चा की गई। चौथे सत्र में “युवा-मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई जिसमें सुनिधी मिश्रा, अर्चना शर्मा, पुष्पेंद्र पणिकर ने विद्यार्थियों में तनाव और लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों पर अपने विचार साझा किए। सुनिधि मिश्रा ने मानसिक तनाव और बढ़ते सुसाइड केसेस पर अपने विचार व्यक्त किए। पल्लवी ने कहा कि सुसाइड केसेस को रोकने के लिए अपने बच्चो के साथ जबरदस्ती न करते हुए उन्हें अपनी इच्छा अनुसार करियर शुरू करने का मौका देना चाहिए।