मुंबई, 20 दिसंबर 2023 : भारत के सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई एसएसई) सेगमेंट के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने 13 दिसंबर 2023 को एसजीबीएस उन्नति फाउंडेशन द्वारा देश की पहली लिस्टिंग का जश्न मनाते हुए एक ऐतिहासिक अध्याय रचा। मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) स्थित एनएसई के मुख्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों, एनपीओ, नियामकों और मीडिया घरानों ने हिस्सा लिया।
फर्स्ट लिस्टिंग में लगभग 1.8 करोड़ रुपए की फंडिंग देखी गई, जो एसजीबीएस उन्नति फाउंडेशन को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे विभिन्न राज्यों में स्थित सरकारी कॉलेजों से अपने अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे 10,000 युवा स्नातकों को प्रशिक्षण देने में सक्षम करेगा।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्वनी भाटिया ने कहा, ‘यह हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि हम एक नए प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग के लॉन्च का गवाह बन रहे हैं जो गैर-लाभकारी संगठनों सहित सामाजिक उद्यमों को पूंजी तक पहुंचने और एक नेक काम के लिए धन जुटाने में सक्षम बनाएगा। सोशल स्टॉक एक्सचेंज या एसएसई भारत सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जिसे सामाजिक नवाचार, समावेशन और प्रभाव को बढ़ावा देने वाला एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए 2019 के बजट में प्रस्तुत किया गया था। जैसा कि भारत में एसएसई की परिकल्पना की गई है, दुनिया भर में इसके जोड़ का कोई नहीं है। इसका उद्देश्य निवेशकों को उन सामाजिक उद्यमों की पहचान, मूल्यांकन और समर्थन करने के लिए एक पारदर्शी और विश्वसनीय तंत्र प्रदान करना है जो हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।’
सेबी की सोशल स्टॉक एक्सचेंज एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम ने कहा, ‘आज का आयोजन ऐतिहासिक है क्योंकि हम सामाजिक परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए असंगत, अपर्याप्त फंडिंग के संकट से घिरे समुदायों के साथ जमीनी स्तर पर काम करने वालों के साथ जुड़े हैं। इस आशा के साथ इस समारोह में शामिल होना वास्तविक गौरव और सम्मान का क्षण है कि इससे इस देश का सामाजिक ताना-बाना ही बदल जाएगा। यह सुनिश्चित करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि भारत का एसएसई एक वैश्विक बेंचमार्क बने।’ उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि क्षमता निर्माण न केवल एनपीओ के लिए आवश्यक है, बल्कि नियामकों और एक्सचेंजों के लिए भी आवश्यक है। उन्हें सामाजिक क्षेत्र को भी समान रूप से समझने की जरूरत है।’
एनएसई के एमडी और सीईओ आशीषकुमार चौहान ने कहा, ‘एनएसई सूचीबद्ध कंपनियों ने पिछले तीन दशकों से बाजारों में आम व्यक्ति की भागीदारी के माध्यम से धन सृजन, रोजगार सृजन और समग्र आर्थिक विकास के रूप में सामाजिक प्रभाव पैदा किया है। सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग के साथ ही इसका असर कई गुना बढ़ने वाला है। यह ढांचा पारदर्शिता, विश्वास, दक्षता, लागत बचत, खोज क्षमता, प्रभाव मापन और परिणाम आधारित परोपकार जैसे कई लाभ प्रदान करता है। कॉर्पोरेट सफलता और सामाजिक प्रभाव के दोहरे लक्ष्यों को साथ लेकर रेखित करके, एसएसई एक ऐसा स्थान बनाता है जहां परोपकारी, प्रभावशाली निवेशक, दानकर्ता और एनपीओ एकजुट होते हैं – प्रत्येक अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ भविष्य की साझा दृष्टि में योगदान देता है। उन्होंने सेबी का भी विशेष उल्लेख किया जिसने भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज ढांचे को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस अवसर पर, मध्य प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्री अजीत केसरी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज ढांचे के तहत परिणाम-आधारित फंडिंग तंत्र के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार की सोशल इम्पैक्ट इनशिएटिव के बारे में बात की। मध्य प्रदेश सरकार अनुसंधान और परिश्रम द्वारा समर्थित सेवा वितरण के लिए नए और नवीन तंत्र अपनाने में अग्रणी रही है। हमने सोशल इम्पैक्ट बांड के कार्यान्वयन के लिए स्वास्थ्य सेवा और आजीविका क्षेत्रों में कुछ परियोजनाओं को चिह्नित किया है और रिजल्ट के पैमाने को सरल और मापने योग्य तरीके से परिभाषित किया है। राज्य सरकार इस तंत्र के माध्यम से एसएसई पंजीकृत एनपीओ को बड़े पैमाने पर वृद्धि के अवसर प्रदान कर सकती है।
अमित चंद्रा, को-फाउंडर, ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन और चेयरपर्सन, बेन कैपिटल इंडिया, एसएसई समिति के सदस्य ने कहा कि ‘औसत भारतीय की कामना अपने भाइयों और बहनों की समस्याओं को हल करने की रहती है और वह इसमें सक्षम हैं और इसलिए सोशल स्टॉक एक्सचेंज जैसे विचार की आने वाले भविष्य में फलने-फूलने की भरपूर संभावना है। इससे पहले कि एक दशक से भी अधिक समय में दुनिया का हर सोशल स्टॉक एक्सचेंज विफल हो चुका है, इसमें सफल होने की क्षमता है। इस शुरुआत के साथ ही अब सैकड़ों, संभवत: हजारों लिस्टिंग होंगी जो भारतीय सामाजिक लाभ संगठनों के लिए पूंजी जुटाने का लोकतंत्रीकरण करेंगी।’
वर्तमान में, एनएसई एसएसई प्लेटफॉर्म पर 39 पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठन (एनपीओ) हैं और इनमें से कई एनपीओ ने पहले ही आदिवासी किसानों की शिक्षा, कौशल, कृषि और गरीबी उन्मूलन जैसे विकासात्मक क्षेत्रों में अपनी धन जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आगे बढ़ते हुए, कई अन्य एनपीओ एसएसई प्लेटफॉर्म के माध्यम से धन जुटाने का इरादा कर रहे हैं।