जयपुर 24 जून 2019 शिक्षा राज्य मंत्री श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा है कि प्रवेशोत्सव के तहत विद्यालयों में जितना नामांकन होगा, उतने ही नये पौधे भी लगाए जाएंगे। उन्होंने राजकीय विद्यालयों में शत-प्रतिशत नामांकन के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने, ड्रॉप आउट बच्चों को विद्यालयों से जोड़े जाने और पौधारोपण के लिए सभी स्तरों पर प्रभावी प्रयास किए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि प्रदेश के सभी बालक-बालिकाओं को बेहतर से बेहतर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। इसके लिए उन्होंने शिक्षा अधिकारियाें को प्रतिबद्ध होकर कार्य करने का आह्वान किया है।
श्री डोटासरा सोमवार को हरिश्चन्द्र माथुर राज्य लोक प्रशासन संस्थान (ओटीएस) में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यूनिसेफ एवं राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित शिक्षा अधिकारियों की एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में राजकीय विद्यालयों के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई है। शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के प्रयासों का ही परिणाम रहा है कि आज प्रदेश के सभी जिलों में औसत 76 प्रतिशत से अधिक शिक्षकों के पद भर दिये गये है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर बालसभाओं के आयोजन से ग्रामीण क्षेत्राें में आम जन का शिक्षा से सीधा जुड़ाव हुआ है। उन्हाेंने भामाशाहों की चर्चा करते हुए कहा कि बालसभाओं के जनता के मध्य आयोजन से भामाशाह शिक्षा में सहयोग के लिए और अधिक उत्सुक हुए हैं। इससे आने वाले समय में शिक्षा क्षेत्र में जन सहयोग से और तेजी से विकास हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि राजकीय विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही भौतिक संशाधनों और बेहतर शिक्षा वातावरण के केन्द्र हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को राजकीय विद्यालयों में ही पढ़ने के लिए भेजें। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों को बच्चों को अच्छी शिक्षा देने और राजकीय विद्यालयों को शिक्षा के उत्कृष्ट केन्द्र बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा में राजनीति की पक्षधर नहीं है। राज्य सरकार शिक्षा को बच्चों के विकास और उनके भविष्य से जोड़कर देखती है। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों से आग्रह किया कि वे ऎसे बच्चे जो गरीब हैं, ऎसे जिनको शिक्षा की आवश्यकता है और जो भविष्य में कुछ बनने की चाह रखते हैं, उनके मन से बनें। उन्हें खूब पढ़ाएं और राजस्थान को देश का अग्रणी शिक्षा राज्य बनाएं।
इस मौके पर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीपति श्री संदीप मेहता ने कहा कि ड्रापआउट के कारणों में जाते हुए शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जो शिक्षा पर रिपोर्ट प्रकाशित हुई है उसके अनुसार 18 लाख बच्चे ऎसे हैं जो बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं। इनमें अधिकांश संख्या ग्रामीण क्षेत्र की ऎसी बालिकाओं की है जो सामजिक सुरक्षा, गरीबी और बाल विवाह जैसे कारणों से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश में 65 हजार बच्चे चाइल्ड ट्रेफिकिंग का शिकार होते हैं। ऎसे बच्चों में से 10 प्रतिशत ही पंजीकृत होते हैं। बालश्रम शोषण इसका बड़ा कारण है। उन्होंने ऎस बच्चों को चिन्हित कर उनके लिए शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने पर जोर दिया।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री अशोक जैन ने ड्रापआउट बच्चों को शिक्षा से जोड़े जाने के लिए सत्त प्रयास किए जाने पर जोर दिया।
इससे पहले राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् के आयुक्त एवं शिक्षा विभाग के विशिष्ट शासन सचिव श्री प्रदीप बोरड़ ने शिक्षा क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों और बालसभाओं के आयोजन से आ रहे बदलाव पर प्रकाश डाला। यूनिसेफ की इस्बेला बर्डल ने कहा कि शिक्षा बच्चों का अधिकार है और इसके लिए समाज में वातावरण बनाने की जरूरत है। उन्होंने राजस्थान में शिक्षा क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि शैक्षिक विकास में यूनिसेफ हर संभव सहयोग करेगी। विधिक सेवा प्राधिकरण की निदेशक श्रीमती अर्चना मिश्रा ने सभी का आभार जताया। आमुखीकरण कार्यशाला में राज्य के सभी जिलों से जिला शिक्षा अधिकारियों, यूनिसेफ के प्रतिनिधियों और विधिक सेवा अधिकारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।