जयपुर 27 नवम्बर 2019 – 1972 में रईसाना राजस्थान में जन्मे प्रभात ने बच्चों के लिए कहानियांए कविताएं और नाटक लिखे हैं। वर्तमान में वे राजस्थान के सवाई माधोपुर में रह रहे हैं। उनके बाल साहित्य की 25 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। साथ ही उन्होंने करीबन 40 किताबों का संपादन किया है। प्रभात की कथाएंए कवितायेँए गानें और नाटक कई पत्रिकाओं में प्रकाशित किए जा चुके हैं। बच्चों के लिए प्रकाशित की जाने वाली पत्रिकाओं के लिए लिखा गया साहित्य प्रभात के साहित्यिक जीवन में मौलिक मोड़ साबित हुआ।
2005 में उनकी पहली दो किताबें प्रकाशित हुई . श्कालीबाईश् . रूम टू रीड पब्लिकेशन और श्पानियों की गाड़ियों मेंश् . लोकायत प्रकाशन। उनकी कई किताबों को एकलव्य पब्लिशर्स ने भी प्रकाशित किया है जिनमें श्घुमंतुओं का डेराश्ए श्मेघ की छायाश्ए श्अच्छा मौसी अलविदाश् और श्क्या बात हो गयीश् आदि शामिल हैं।
समानुभूति और हास्य से भरपूर उनका साहित्य सभी आयु के पाठकों को खूब पसंद आता है। सरल और अक्सर स्थानीय भाषा का उपयोग करते हुए उन्होंने बच्चों के लिए आधुनिक शैली में लेखन की अगुआई की है। 47 वर्षीय प्रभात के बाल साहित्य में विशाल और व्यापक योगदान को शिक्षा क्षेत्र में भी नवाजा गया है।
17 नवंबर रविवार को मुंबई में संपन्न हुए टाटा लिटरेचर लाइव! द मुंबई लिटफेस्ट 2019 में पुरस्कार वितरण समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
श्कैसा कैसा खानाश् यह उनकी सबसे नयी और पुरस्कार से सम्मानित की गयी किताब एकताराए भोपाल ने प्रकाशित की है। हास्यए ज्ञान से भरपूर यह किताब छोटों से लेकर बड़े.बूढ़ों तक सभी को भाँती है। शब्दों का चतुरतापूर्ण उपयोग पाठकों के लिए हास्य निर्माण करता है। यह किताब भाषा के लचीलेपन के साथ खेलती है और हमें दिखा देती है कि भाषा का अर्थ केवल शब्द नहीं बल्कि आप जो पढ़ते हैं उसका अर्थ होता है भाषा।
प्रभात को मिले इस सम्मान के बारे में बिग लिटिल बुक अवार्ड के जूरी ने कहाए ष्प्रभात के साहित्य में ग्रामीण भारत की तस्वीरें और अनुभव दिखाई देते हैं। उनमें खरापन और सहजता है। उनकी कहानियोंए कविताओं में बच्चों को ख़ुशी मिलती हैए उनकी जिज्ञासा पूरी होती है। उनके द्वारा लिखे गए बाल साहित्य में बच्चों के लिए सम्मान दिखाई देता हैए उनके पात्र सभी सामाजिक.आर्थिक पार्श्वभूमियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। एक ही लेखक में इतनी सारी अच्छाईयांए खास कर हिंदी में पाना दुर्लभ है।ष्
बाल साहित्य में अहम् योगदान देने वाले भारतीय लेखकों और इलस्ट्रेटर्स का सम्मान करने के उद्देश्य से पराग द्वारा बिग लिटिल बुक अवार्ड की शुरूआत की गई। बीएलबीए की शुरुआत 2016 में हुईए इनमें दो विभाग हैं . लेखक और इलस्ट्रेटर्स ध् कलाकार। हर साल लेखक को पुरस्कृत करने के लिए एक भारतीय भाषा चुनी जाती है।
इसके पहले मराठीए बंगाली और कन्नड़ इन भाषाओं को पुरस्कारों के लिए चुना गया था। 2019 के लिए हिंदी भाषा को चुना गया है।
लेखकों ध् इलस्ट्रेटर्स का काम बच्चों और उनके माता.पिताए स्कूलोंए पब्लिशर्स और अन्य हितधारकों तक पहुंचाने के लिए एक प्रभावकारी मंच निर्माण करना बिग लिटिल बुक अवार्ड का उद्देश्य है। हर बच्चा पढ़ने की और बच्चों के लिए लिखी गई अच्छी किताबें पढ़ने की खुशियों का अनुभव कर सकें यह उनका लक्ष्य है।