जयपुर, 9 जुलाई, 2018
‘स्विस डुअल‘ शिक्षा प्रणाली पर आधारित देश का एकमात्र विशुद्ध कौशल आधारित विश्वविद्यालय भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू), जयपुर ने आज एसोसिएशन आॅफ इंडियन स्किल यूनिवर्सिटीज (एआईएसयू) की तीसरी और बोर्ड आॅफ स्टडीज (बीओएस) की ग्यारहवीं बैठक का आयोजन किया। बैठक में शामिल प्रतिभागियों में राजेंद्र और उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरयूजेसीटी) के अध्यक्ष श्री जयंत जोशी, एआईएसयू के प्रेसीडेंट और बीएसडीयू के कुलपति ब्रिगेडियर (डाॅ) सुरजीत पाब्ला, सेंचुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (सीयूटीएम) के प्रो-कुलपति डाॅ अनुराग, टीमलीज स्किल्स यूनिवर्सिटी (टीएलयू) के प्रो-कुलपति श्री विक्रांत पांडे और श्री अभिषेक पंडित (संगठन का नाम) के नाम प्रमुख हैं।
एआईएसयू की गुरुग्राम में हुई दूसरी बैठक के बाद कौशल विश्वविद्यालयों के मानदंडों पर सरकार को प्रस्तुत सुझावों और सिफारिशों पर इस दौरान चर्चा की गई और इस दिशा में अब तक हुई प्रगति का मूल्यांकन भी किया गया। सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि कौशल विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार सीमा पर इस बिंदु के तहत ध्यान देने की जरूरत है कि कौशल विश्वविद्यालयों को अन्य राज्यों में विद्यार्थियों को प्रशिक्षुण की सुविधा प्रदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि उन्हें आॅन-जाॅब ट्रेनिंग मिल सके।
समान प्रवेश परीक्षा की सिफारिश करते हुए एआईएसयू के प्रेसीडेंट और बीएसडीयू के कुलपति ब्रिगेडियर (डाॅ) सुरजीतसिंह पाब्ला ने कहा, ‘‘हमारा सुझाव है कि बी. वोक. पाठ्यक्रमों के व्यावसायीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इनके लिए एक समान प्रवेश परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए। इस तरह की समान प्रवेश परीक्षा से हमें देशभर से बेहतर विद्यार्थी मिल सकेंगे और आईआईटी की तरह इसमें देशभर से आवेदन करने वाले विद्यार्थियों को भी यह सुविधा होगी कि वे सर्वश्रेष्ठ कौशल विश्वविद्यालयों में से किसी एक को चुन सकेंगे।‘‘
सदस्यों को संबोधित करते हुए राजेंद्र और उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरयूजेसीटी) के अध्यक्ष श्री जयंत जोशी ने कहा, ‘‘एआईएसयू कौशल विश्वविद्यालयों में सीखने और प्रवेश मानदंडों के वैकल्पिक तरीके के रूप में सिफारिशों और लाइव वर्चुअल कक्षाओं के प्रस्तावों के बारे में यूजीसी और एमएसडीई की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहा है। एआईएसयू की सिफारिशों के आधार पर, यूजीसी कौशल विश्वविद्यालयों के लिए दिशानिर्देश और मानदंड तैयार करेगा।‘‘