Edit-Rashmi Sharma
जयपुर, 27 मार्च 2020। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कोरोना महामारी से बचाव के लिए जिला कलेक्टरों को स्थानीय स्तर पर अर्जेंट टेम्परेरी बेसिस पर डॉक्टरों एवं नर्सिंग स्टाफ की सेवा लेने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में सरकार ने विधायकों को यह छूट दे दी है कि वे अपने विधायक कोष से सोशल वेलफेयर एवं गरीबों को भोजन व्यवस्था आदि के लिए शत-प्रतिशत राशि तक खर्च कर सकेें। मेडिकल उपकरणों के लिए भी विधायक कोष से वे अब एक लाख की जगह 5 लाख रूपए तक की अनुशंसा कर सकेंगे।
श्री गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर कोर गु्रप, वार रूम अधिकारियों एवं जिला कलेक्टरों तथा पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ भामाशाहों ने इस भावना के साथ कोविड-19 राहत कोष में अंशदान किया है कि उनकी सहयोग राशि का उपयोग उनके जिले में हो। सरकार उनकी इस भावना का सम्मान करते हुए यह राशि संबंधित जिला कलेक्टर को आवंटित कर देगी।
अंतरराज्यीय सीमाएं सील, प्रवासी राजस्थानियाेंे का ख्याल रखें
राज्यबैठक के दौरान बताया गया कि राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन तथा भारत सरकार के एनडीएमए एक्ट के तहत कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यह निर्देश पूर्व में जारी किए गए हैं कि जो जहां है, वहीं रहे। इस कारण देश के सभी राज्यों की अंतरराज्यीय सीमाएं सील कर दी गई हैं। ऎसे में अपील की जाती है कि जिस प्रकार राजस्थान सरकार प्रदेश में रह रहे अन्य राज्यों के श्रमिकों का ध्यान रख रही है, उसी प्रकार अन्य राज्य सरकारें वहां रह रहे प्रवासी राजस्थानियाें का ख्याल रखें। राजस्थान सरकार प्रवासी राजस्थानियों की समस्याओं के लिए संबंधित राज्य सरकारों से समन्वय करती रहेगी। इसी तरह राजस्थान में रह रहे अन्य राज्यों के श्रमिक, कामगार एवं अन्य लोग भी राजस्थान से बाहर नहीं जा सकेंगे। उन्हेें भोजन एवं राशन सामग्री सहित अन्य व्यवस्थाएं राजस्थान सरकार उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगी।
हाई रिस्क जोन में काम कर रहे डॉक्टर-नर्सेज को एचसीक्यू दवा का कोर्स
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर एवं नर्सेज हाई रिस्क जोन में सेवाएं दे रहे हैं। राज्य सरकार उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि मरीजों के सीधे सम्पर्क में आने वाले इन चिकित्सकों एवं नर्सेज को संक्रमण से बचाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार एचसीक्यू दवा का कोर्स दिया जाए। उन्होंने कहा कि एक लाख तक की आबादी वाले नगरों में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए सेम्पल कलेक्शन की सुविधा उपलब्ध हो। आवश्यकता होने पर जिला कलेक्टर सेवानिवृत्त चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्मियों की सेवाएं भी ले सकते हैं।
कफ्र्यू की तरह ही लें लॉक डाउन को
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में फिलहाल कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या नियंत्रण में है, लेकिन कभी भी यह बीमारी भयावह रूप ले सकती है, ऎसे में प्रदेशभर में लॉक डाउन की सख्ती से पालना कराई जाए। लॉक डाउन को कफ्र्यू की तरह ही लिया जाए। लोगों को घरों में रखने के लिए सख्ती करनी पडे़ तो करें। पुलिस के आला अधिकारी भी सड़कों पर निकलें और आवश्यकता हो तो आर्मी की ड्रिल भी करवाएं।
असहाय एवं निराश्रित लोगों का सर्वे कराएं, होम डिलीवरी से पहुंचाएं खाद्य सामग्री
श्री गहलोत ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वे असहाय एवं निराश्रित लोगों का सर्वे करवाकर यह सुनिश्चित करें कि जरूरतमंद लोगों तक आवश्यक रूप से मदद पहुंच सके। उन्होंने बेघर एवं बेसहारा लोगों को तैयार खाना पहुंचाने तथा जरूरतमंद लोगों तक राशन सामग्री के पैकेट होम डिलीवरी के जरिए उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर होटल व्यवसायियों से भी इस कार्य में सहयोग लें। होटल्स में भोजन बनाने के लिए कुक सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, ऎसे में वे संकट की इस घड़ी में मददगार हो सकते हैं।
आटा मिल मालिक सीधे एफसीआई गोदाम से खरीद सकेंगे गेहूं
मुख्यमंत्री ने कहा कि आटा मिल मालिक एफसीआई के गोदामों से सीधे गेहूं की खरीद कर सकते हैं। जिला कलेक्टर यह सुनिश्चित करें कि खरीदे हुए पूरे गेहूं का आटा तैयार कर यह उचित दर पर उपभोक्ताओं को मिले। इसमें किसी तरह की कालाबाजारी नहीं हो। उन्होंने कहा कि कलेक्टर फैक्ट्री मालिकों से भी बात करें। वे अपने श्रमिकों को लॉक डाउन की अवधि में सवैतनिक अवकाश दें ताकि उन्हें आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पडे़।
श्री गहलोत ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि यदि उनके जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों के पद रिक्त होने के कारण कोरोना महामारी से संबंधित कार्यों में बाधा आ रही है तो वे तुंरत प्रभाव से सूचना कार्मिक विभाग को उपलब्ध करवाएं। सरकार तत्काल प्रभाव से अधिकारी लगाएगी।
निजी अस्पतालों के स्टाफ की सूचियां करवाएं तैयार
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि जिला कलेक्टर अपने-अपने जिलों में निजी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ की सूचियां तैयार करवाएं ताकि आवश्यकता होने पर उनकी सेवाएं ली जा सकें। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ की आवश्यकता को देखते हुए आयुष चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ को भी इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
भोजन वितरण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और हैल्थ प्रोटोकॉल का रखें ध्यान
मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता ने कहा कि जरूरतमंद लोगों को भोजन एवं खाद्य सामग्री के वितरण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग एवं हैल्थ प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि भोजन वितरण के दौरान एनजीओ एवं जनप्रतिनिधि यह ध्यान रखें कि भीड़ एकत्रित नहीं हो। मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों के बिजली बिल जमा नहीं हुए हैं तो लॉक डाउन की स्थिति को देखते हुए उनका कनेक्शन नहीं काटा जाए।
बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन श्री सिद्धार्थ महाजन ने राज्य आपदा प्रबंधन नियमों की जानकारी के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा कि आपातकालीन स्थिति में इन नियमों के तहत जिला कलेक्टरों को राशन सामग्री पहुंचाने, खरीद, आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करवाने आदि के संबंध में विशिष्ट शक्तियां दी गई हैं। वे कोरोना महामारी को रोकने एवं जरूरतमंद व्यक्तियों को राहत पहुंचाने में इनका उपयोग कर सकते हैं।
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह श्री राजीव स्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा श्री रोहित कुमार सिंह, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त श्री महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।